लखनऊ: उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी पिछले तीन वर्षों से अपने सालाना अवार्ड वितरण करने में असमर्थ रही है. इस कारण उर्दू साहित्यकार, लेखक, पत्रकार और कवि गहरे असंतोष का सामना कर रहे हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अब्बास राजा नय्यियर ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, कि अकादमी ने 2022, 2023 और 2024 के सालाना अवार्ड अब तक वितरित नहीं किए हैं.
समिति गठन न होने से अवार्ड वितरण प्रभावित : प्रो. नय्यियर ने इस समस्या की जड़ अकादमी की समिति के अभाव को बताया. उन्होंने कहा, उत्तर प्रदेश सरकार ने उर्दू अकादमी में समिति का गठन नहीं किया है. जिसमें अध्यक्ष और सदस्य शामिल होते हैं. इसी वजह से अवार्ड प्रक्रिया ठप है. समिति ही यह निर्णय करती है, कि किन साहित्यकारों और लेखकों को सम्मानित किया जाना है.
उन्होंने यह भी बताया, कि पूर्व अध्यक्ष अपने कार्यकाल में दो वर्षों के अवार्ड वितरण में असफल रहे थे. पूर्व अध्यक्ष का उर्दू से कोई खास नाता नहीं था. इसी कारण उर्दू अकादमी से जुड़े आवश्यक कार्य ठप पड़े रहे.
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अकादमी की अन्य योजनाएं प्रभावित : मेरठ विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो. असलम जमशेदपुर ने भी इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा, अकादमी का केवल अवार्ड वितरण ही नहीं, बल्कि अन्य योजनाएं भी रुकावट का शिकार हैं. सरकार समिति तो बनाती है, लेकिन उसमें उर्दू पृष्ठभूमि के लोगों को शामिल नहीं किया जाता. यह उर्दू भाषा के विकास में एक बड़ी बाधा है.
अवार्ड वितरण के लिए तैयारियां अधूरी : उर्दू अकादमी के सचिव शौकत अली ने इस समस्या को स्वीकार करते हुए बताया, पिछले एक साल से अकादमी में कोई समिति नहीं है. बिना समिति के अवार्ड वितरण का निर्णय संभव नहीं है. हालांकि, किताबों पर अवार्ड देने की प्रक्रिया के लिए ऑनलाइन ऑफ लाईन आवेदन लिए गए हैं. अन्य तैयारियां पूरी हैं. उन्होंने यह भी बताया, कि अन्य योजनाएं जैसे उर्दू कोचिंग सेंटर, वरिष्ठ साहित्यकारों को वजीफा, और किताब मेलों में स्टॉल लगाने जैसे कार्य सुचारू रूप से चल रहे हैं.
आने वाले सालों में समाधान की उम्मीद : प्रोफेसर नय्यियर ने कहा, कि उर्दू भाषा प्रेमियों और साहित्यकारों को उम्मीद है कि 2025 में उत्तर प्रदेश सरकार समिति का गठन करेगी और तीन वर्षों के बकाया अवार्ड वितरित किए जाएंगे. लेकिन, उर्दू अकादमी की निष्क्रियता ने साहित्य जगत में निराशा का माहौल पैदा कर दिया है.
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