प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद से जुड़े शिक्षकों के ऑनलाइन अटेंडेंस के विरोध के बीच एक नयी पहल और की जाने वाली है. माध्यमिक शिक्षा परिषद से जुड़े राजकीय इंटर कॉलेजों की क्लासेज में पढ़ाई की ऑनलाइन निगरानी की जाएगी. संयुक्त शिक्षा निदेशक दिब्यकान्त शुक्ला ने बताया, कि शिक्षा के स्तर को और अधिक बेहतर बनाने के लिए क्लासेज की ऑनलाइन निगरानी की जाएगी. शुरुआत में राजकीय इंटर कॉलेज में यह व्यवस्था लागू की जाएगी और बाद में सहायता प्राप्त और गैर सहायता प्राप्त कॉलेजों में भी व्यवस्था लागू की जाएगी.
प्रयागराज मंडल के प्रयागराज, कौशाम्बी, प्रतापगढ़ और फतेहपुर जिले के 149 राजकीय इंटर कॉलेज की पढ़ाई की ऑनलाइन निगरानी करने की तैयारी कर ली गयी है. प्रयागराज के संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय में क्लासेज की ऑनलाइन निगरानी की जाएगी. अभी तक यूपी बोर्ड के सचिव रहे दिब्यकान्त शुक्ला ने हाल ही में संयुक्त शिक्षा निदेशक के पद की जिम्मेदारी संभाली है. उन्होंने कहा, कि यूपी बोर्ड की तरफ से बोर्ड की परीक्षा के दौरान निगरानी के लिए स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए थे. उन्हीं कैमरों की मदद से परीक्षा के दौरान क्लासेज की निगरानी की जाती थी. अब उन्हीं कैमरों की मदद से कक्षा में हो रही पढ़ाई की ऑनलाइन निगरानी की जाएगी.
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ऑनलाइन निगरानी से सुधरेगी शिक्षा की गुणवत्ता: प्रयागराज मंडल के चार जिलों के 149 राजकीय इंटर कॉलेजों में कक्षाओं में होने वाली पढ़ाई की निगरानी संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय से सीधे की जाएगी. संयुक्त शिक्षा निदेशक दिब्यकान्त शुक्ला ने बताया, कि शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए कक्षाओं की ऑनलाइन निगरानी की व्यवस्था शुरू की जा रही है. जिसकी शुरुआत 20 जुलाई के बाद माध्यमिक शिक्षा परिषद के निदेशक से करवाने की योजना है.चार जिलों के 149 राजकीय इंटर कॉलेजों में ऑनलाइन निगरानी के लिए संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय में कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है. जहां से क्रमवार सभी कॉलेजों के क्लासेज की स्कूल के समय के दौरान लगातार निगरानी की जाएगी. जिससे यह भी पता चलता रहेगा, कि क्लासेज में शिक्षक किस तरह से पढ़ाई करवा रहे हैं. इससे क्लासेज में शिक्षकों के शत प्रतिशत पढ़ाने के साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार हो सकेगा.
संयुक्त शिक्षा निदेशक के इस नये प्रयोग को लेकर शिक्षकों का मिला जुला असर है. लेकिन, कोई भी शिक्षक अभी इस मसले पर कैमरे पर बोलने को तैयार नहीं हुआ है.उनका कहना है, कि जब व्यवस्था लागू हो जाएगी तो उसके लाभ हानि की जानकारी मिलेगी. उसके बाद ही इस मसले पर कुछ बोलना उचित होगा. शिक्षकों का कहना है, कि उन्हें छात्रों को पढ़ाना है. छात्रों की शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए कोई पहल हो रही है तो शिक्षक उसका स्वागत ही करेंगे.