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ताजमहल में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की याचिका पर हुई सुनवाई, ASI ने जवाब देने के लिए कोर्ट से मांगा समय - Agra Tajmahal Tejomahalaya Dispute

आगरा स्थित ताजमहल को तेजोमहालय बताकर सावन में जलाभिषेक (Agra Taj Mahal) करने के लिए हिंदूवादी संगठन की ओर से कोर्ट में वाद दायर किया गया था. जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक के वाद पर आज अदालत में सुनवाई हुई.

आगरा में ताजमहल (फाइल फोटो)
आगरा में ताजमहल (फाइल फोटो) (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 16, 2024, 8:04 AM IST

Updated : Aug 16, 2024, 6:24 PM IST

आगरा : एक बार फिर ताजमहल या तेजोमहालय का विवाद गरमा गया है. लघुवाद न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव की अदालत में शुक्रवार को योगी यूथ ब्रिगेड के वाद सावन माह में तेजोमहालय (ताजमहल) में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग पर सुनवाई हुई. जिसमें प्रतिवादी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल की अधिवक्ता विवेक कुमार अदालत में पेश हुए. उन्होंने नोटिस का जवाब देने के लिए कोर्ट से समय मांगा. जिस पर न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव ने अगली सुनवाई की तारीख 27 अगस्त दी है.

वाद में किया ये दावा : वादी योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर का दावा है कि सन् 1212 में राजा पर्मादिदेव ने आगरा में यमुना किनारे एक शिव मंदिर बनवाया था. इसका नाम तेजोमहालय या तेजोमहल था. राजा राजा पर्मादिदेव के बाद राजा मानसिंह ने इसे अपना महल बनाया. राजा मानसिंह ने मंदिर को सुरक्षित रखा. बाद में मुगलों का शासन आया. मुगल शाहजहां ने राजा मानसिंह से तेजोमहालय को हड़प लिया. यहीं पर ताजमहल का निर्माण हुआ.

दावा है कि तेजोमहालय में शाहजहां और मुमताज की कोई कब्र नहीं है. यह एक सफेद झूठ है. मुमताज का निधन 1631 में हो गया था. जबकि, ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ था तो किसी भी मृत शव को एक साल बाद नहीं दफनाया जाता है. असल में मुमताज को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में ताप्ती नदी के किनारे दफनाया गया था.

मुख्य मकबरे के कलश हिन्दू मंदिरों की तरह : वादी योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर का कहना है कि मुगल बादशाह शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने अपने पिता को 1652 में ही खत लिखकर इमारत में दरारें आने की बात कही थी. यह कभी भी गिर सकती है. इसकी मरम्मत की जाए. इससे यह भी साफ है कि, कहीं न कहीं पुराने ही किसी चिन्ह पर इसको मॉडिफाई किया गया है. मुख्य गुम्बद पर जो कलश है, वो हिन्दू मंदिरों की तरह है. आज भी हिन्दू मंदिरों पर स्वर्ण कलश स्थापित करने की परंपरा है. कलश पर चंद्रमा बना है. अपने नियोजन के कारण चन्द्रमा एवं कलश की नोक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है. यह भगवान शिव का चिह्न है.

ताजमहल में शिव मंदिर के तमाम सबूत : वादी के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर का कहना है कि ताजमहल की बाहरी दीवारों पर कलश, त्रिशूल, कमल, नारियल और आम के पेड़ की पत्तियों के प्रतीक चिन्ह अंकित हैं. यह हिंदू मंदिरों के प्रतीक हैं. इन्हें सनातन धर्म में अहम महत्व रखते हैं. हिन्दू मंदिर प्रायः नदी या समुद्र तट पर बनाए जाते थे. इसी तरह से तेजोमहालय ताजमहल भी यमुना नदी के तट पर है.

मुगल आक्रांता ने हिंदू धार्मिक स्थल तोड़कर बनाए मकबरे : वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है कि मुगल आक्रांता थे, जिन्होंने भारत में आकर मंदिरों को तोड़ा. मंदिर को ध्वस्त करके उनके ऊपर मकबरे बनवाए. किसी दूसरे के घर पर नेम प्लेट लगाने से खुद का घर नहीं हो जाता है. मुगलों ने मंदिर ध्वस्त करके अपने नाम की नेम प्लेट धार्मिक स्थलों पर लगा रखी है, यह बर्दाश्त नहीं है. ताजमहल में मुस्लिम समुदाय नमाज अदा करता है. वहां उर्स भी होता है. फिर, सावन माह या महाशिव रात्रि पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक क्यों नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि अगर, अनुमति मिलती है तो योगी यूथ ब्रिगेड के पदाधिकारी ताजमहल में जाकर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक कर भगवान शिव की आराधना करेंगे.

दोबारा किया वाद दायर : वादी के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर का दावा है कि, तेजोमहालय हिंदू मंदिर है, जहां सावन के महीने में जलाभिषेक होना चाहिए. पूर्व में शिवरात्रि पर जलाभिषेक के लिए 4 मार्च 2024 में अदालत में वाद दायर किया था. इसे न्यायालय ने धारा 80 सीपीसी की छूट न देकर खारिज कर दिया था. इसके बाद 26 अप्रैल 2024 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ.राजकुमार पटेल को धारा 80 सीपीसी का नोटिस भेजा था. इसका जवाब नहीं आने पर दोबारा जलाभिषेक की मांग का वाद दायर किया है.

यह भी पढ़ें : ताजमहल या तेजोमहालय का फिर विवाद गरमाया, सावन में जलाभिषेक-दुग्धाभिषेक के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल - Agra Taj Mahal

यह भी पढ़ें : ताजमहल में अब महिला ने चढ़ाया गंगा जल, भगवा फहराया, हर-हर महादेव के नारे; 2 दिन पहले दो लड़कों ने भी किया था ऐसा - Jalabhishek in Taj Mahal

आगरा : एक बार फिर ताजमहल या तेजोमहालय का विवाद गरमा गया है. लघुवाद न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव की अदालत में शुक्रवार को योगी यूथ ब्रिगेड के वाद सावन माह में तेजोमहालय (ताजमहल) में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग पर सुनवाई हुई. जिसमें प्रतिवादी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल की अधिवक्ता विवेक कुमार अदालत में पेश हुए. उन्होंने नोटिस का जवाब देने के लिए कोर्ट से समय मांगा. जिस पर न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव ने अगली सुनवाई की तारीख 27 अगस्त दी है.

वाद में किया ये दावा : वादी योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर का दावा है कि सन् 1212 में राजा पर्मादिदेव ने आगरा में यमुना किनारे एक शिव मंदिर बनवाया था. इसका नाम तेजोमहालय या तेजोमहल था. राजा राजा पर्मादिदेव के बाद राजा मानसिंह ने इसे अपना महल बनाया. राजा मानसिंह ने मंदिर को सुरक्षित रखा. बाद में मुगलों का शासन आया. मुगल शाहजहां ने राजा मानसिंह से तेजोमहालय को हड़प लिया. यहीं पर ताजमहल का निर्माण हुआ.

दावा है कि तेजोमहालय में शाहजहां और मुमताज की कोई कब्र नहीं है. यह एक सफेद झूठ है. मुमताज का निधन 1631 में हो गया था. जबकि, ताजमहल का निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ था तो किसी भी मृत शव को एक साल बाद नहीं दफनाया जाता है. असल में मुमताज को मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में ताप्ती नदी के किनारे दफनाया गया था.

मुख्य मकबरे के कलश हिन्दू मंदिरों की तरह : वादी योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर का कहना है कि मुगल बादशाह शाहजहां के बेटे औरंगजेब ने अपने पिता को 1652 में ही खत लिखकर इमारत में दरारें आने की बात कही थी. यह कभी भी गिर सकती है. इसकी मरम्मत की जाए. इससे यह भी साफ है कि, कहीं न कहीं पुराने ही किसी चिन्ह पर इसको मॉडिफाई किया गया है. मुख्य गुम्बद पर जो कलश है, वो हिन्दू मंदिरों की तरह है. आज भी हिन्दू मंदिरों पर स्वर्ण कलश स्थापित करने की परंपरा है. कलश पर चंद्रमा बना है. अपने नियोजन के कारण चन्द्रमा एवं कलश की नोक मिलकर एक त्रिशूल का आकार बनाती है. यह भगवान शिव का चिह्न है.

ताजमहल में शिव मंदिर के तमाम सबूत : वादी के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर का कहना है कि ताजमहल की बाहरी दीवारों पर कलश, त्रिशूल, कमल, नारियल और आम के पेड़ की पत्तियों के प्रतीक चिन्ह अंकित हैं. यह हिंदू मंदिरों के प्रतीक हैं. इन्हें सनातन धर्म में अहम महत्व रखते हैं. हिन्दू मंदिर प्रायः नदी या समुद्र तट पर बनाए जाते थे. इसी तरह से तेजोमहालय ताजमहल भी यमुना नदी के तट पर है.

मुगल आक्रांता ने हिंदू धार्मिक स्थल तोड़कर बनाए मकबरे : वादी कुंवर अजय तोमर का कहना है कि मुगल आक्रांता थे, जिन्होंने भारत में आकर मंदिरों को तोड़ा. मंदिर को ध्वस्त करके उनके ऊपर मकबरे बनवाए. किसी दूसरे के घर पर नेम प्लेट लगाने से खुद का घर नहीं हो जाता है. मुगलों ने मंदिर ध्वस्त करके अपने नाम की नेम प्लेट धार्मिक स्थलों पर लगा रखी है, यह बर्दाश्त नहीं है. ताजमहल में मुस्लिम समुदाय नमाज अदा करता है. वहां उर्स भी होता है. फिर, सावन माह या महाशिव रात्रि पर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक क्यों नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि अगर, अनुमति मिलती है तो योगी यूथ ब्रिगेड के पदाधिकारी ताजमहल में जाकर जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक कर भगवान शिव की आराधना करेंगे.

दोबारा किया वाद दायर : वादी के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर का दावा है कि, तेजोमहालय हिंदू मंदिर है, जहां सावन के महीने में जलाभिषेक होना चाहिए. पूर्व में शिवरात्रि पर जलाभिषेक के लिए 4 मार्च 2024 में अदालत में वाद दायर किया था. इसे न्यायालय ने धारा 80 सीपीसी की छूट न देकर खारिज कर दिया था. इसके बाद 26 अप्रैल 2024 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ.राजकुमार पटेल को धारा 80 सीपीसी का नोटिस भेजा था. इसका जवाब नहीं आने पर दोबारा जलाभिषेक की मांग का वाद दायर किया है.

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Last Updated : Aug 16, 2024, 6:24 PM IST
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