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उत्पन्ना एकादशी के दिन शुभ योग में पूजा-अर्चना करने से पूरी होगी मनोकामना, जानें कब है उत्पन्ना एकादशी - UTPANA EKADASHI 2024

उत्पन्ना एकादशी के दिन व्रत-उपासना से घर की सुख-संपन्नता बनी रहती है. दांपत्य जीवन में मधुरता आती है.

Utpana Ekadashi 2024
Utpana Ekadashi 2024 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 23, 2024, 5:18 PM IST

करनाल: सनातन धर्म में एकादशी का व्रत बहुत ही लाभकारी माना जाता है. एकादशी का व्रत करने से सभी प्रकार के पाप व दोष से मुक्ति मिल जाती है और अक्षय पुण्य का फल प्राप्त होता है. इस समय मार्गशीर्ष महीना चल रहा है और इस महीने में कृष्ण पक्ष की एकादशी आने वाली है. जिसका बहुत ही ज्यादा महत्व है. एकादशी का व्रत करने से घर में सुख समृद्धि आती है और वही सभी प्रकार की मनोकामना पूरी होती है. जिस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. तो आईए जानते हैं कि मार्गशीर्ष महीने में आने वाली उत्पन्ना एकादशी कब है और इसका क्या महत्व है.

कब है उत्पन्ना एकादशी: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि सनातन धर्म में एकादशी का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. एक साल में 24 एकादशी होती हैं और मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है. एकादशी की शुरुआत 26 नवंबर को रात के 1:01 पर होगी. जबकि इसका समापन 27 नवंबर को सुबह 3:47 पर होगा. इसलिए एकादशी का व्रत 26 नवंबर के दिन रखा जाएगा.

इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने का शुभ मुहूर्त का समय सुबह 9:31 से शुरू होकर दोपहर 1:27 तक रहेगा. एकादशी के व्रत का पारण अगले दिन किया जाता है. ऐसे में एकादशी के व्रत का पारण करने का समय 27 नवंबर को दोपहर 1:13 से शुरू होकर 3:19 तक रहेगा.

एकादशी के दिन बन रहे शुभ योग: उत्पन्ना एकादशी का दिन काफी लाभकारी माना जा रहा है. क्योंकि इस दिन तीन शुभ योग का निर्माण हो रहा है. इस दिन आयुष्मान योग, प्रीति योग और द्विपुष्कर योग बन रहे हैं. इसलिए इस बार एकादशी के व्रत का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. माना जाता है कि अगर इन तीनों योग में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें, तो उसमें ज्यादा लाभकारी है. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार उत्पन्ना एकादशी के दिन ही देवी एकादशी का अवतरण हुआ था. इसलिए इसको उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है.

पूजा व व्रत का विधि विधान: पंडित ने बताया कि एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहने. उसके बाद अपने घर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे देसी घी का दीपक जलाएं और उनके आगे पीले रंग के फल, फूल, वस्त्र, मिठाई, अक्षत, चंदन और तुलसी दल अर्पित करें. जो भी जातक इसका व्रत करना चाहता है. वह इस दौरान व्रत रखने का प्रण ले. सुबह शाम एकादशी की कथा करें. कथा करने के बाद भगवान विष्णु की आरती करें और उनको प्रसाद का भोग लगे. शाम के समय गरीब जरूरतमंद ब्राह्मण और गाय को भोजन दें और अगले दिन व्रत के पारण के समय अपने व्रत का पारण कर ले.

उत्पन्ना एकादशी का महत्व: पंडित ने बताया कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत सनातन धर्म में सबसे पवित्र व्रत में से एक होता है. इसका व्रत करने से घर में सुख समृद्धि आती है और सभी प्रकार की मनोकामना पूरी होती है. पूरी श्रद्धा से यह व्रत करता है. उसकी सभी प्रकार की इच्छा पूरी होती है. इसका व्रत करने से सभी प्रकार के पाप व दोष से मुक्ति मिलती है. उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से जातक के आरोग्य संतान की प्राप्ति होती है. संतान खूब तरक्की करती है. इस दिन व्रत करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और पुण्य फलों की प्राप्ति होती है.

ये भी पढ़ें: सर्वपितृ अमावस्या के दिन धरती लोक से होगी पितरों की विदाई, शुभ मुहूर्त पर ऐसे करेंगे पूजा तो मिलेगा पूर्वजों का आशीर्वाद - Sarvapitri Amavasya 2024

ये भी पढ़ें: जानें कब और क्यों मनाई जाती है दर्श अमावस्या, इस दिन पूजा करने से पितृदोष से मिलती है मुक्ति

करनाल: सनातन धर्म में एकादशी का व्रत बहुत ही लाभकारी माना जाता है. एकादशी का व्रत करने से सभी प्रकार के पाप व दोष से मुक्ति मिल जाती है और अक्षय पुण्य का फल प्राप्त होता है. इस समय मार्गशीर्ष महीना चल रहा है और इस महीने में कृष्ण पक्ष की एकादशी आने वाली है. जिसका बहुत ही ज्यादा महत्व है. एकादशी का व्रत करने से घर में सुख समृद्धि आती है और वही सभी प्रकार की मनोकामना पूरी होती है. जिस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. तो आईए जानते हैं कि मार्गशीर्ष महीने में आने वाली उत्पन्ना एकादशी कब है और इसका क्या महत्व है.

कब है उत्पन्ना एकादशी: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि सनातन धर्म में एकादशी का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. एक साल में 24 एकादशी होती हैं और मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है. एकादशी की शुरुआत 26 नवंबर को रात के 1:01 पर होगी. जबकि इसका समापन 27 नवंबर को सुबह 3:47 पर होगा. इसलिए एकादशी का व्रत 26 नवंबर के दिन रखा जाएगा.

इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने का शुभ मुहूर्त का समय सुबह 9:31 से शुरू होकर दोपहर 1:27 तक रहेगा. एकादशी के व्रत का पारण अगले दिन किया जाता है. ऐसे में एकादशी के व्रत का पारण करने का समय 27 नवंबर को दोपहर 1:13 से शुरू होकर 3:19 तक रहेगा.

एकादशी के दिन बन रहे शुभ योग: उत्पन्ना एकादशी का दिन काफी लाभकारी माना जा रहा है. क्योंकि इस दिन तीन शुभ योग का निर्माण हो रहा है. इस दिन आयुष्मान योग, प्रीति योग और द्विपुष्कर योग बन रहे हैं. इसलिए इस बार एकादशी के व्रत का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. माना जाता है कि अगर इन तीनों योग में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें, तो उसमें ज्यादा लाभकारी है. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार उत्पन्ना एकादशी के दिन ही देवी एकादशी का अवतरण हुआ था. इसलिए इसको उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है.

पूजा व व्रत का विधि विधान: पंडित ने बताया कि एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहने. उसके बाद अपने घर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे देसी घी का दीपक जलाएं और उनके आगे पीले रंग के फल, फूल, वस्त्र, मिठाई, अक्षत, चंदन और तुलसी दल अर्पित करें. जो भी जातक इसका व्रत करना चाहता है. वह इस दौरान व्रत रखने का प्रण ले. सुबह शाम एकादशी की कथा करें. कथा करने के बाद भगवान विष्णु की आरती करें और उनको प्रसाद का भोग लगे. शाम के समय गरीब जरूरतमंद ब्राह्मण और गाय को भोजन दें और अगले दिन व्रत के पारण के समय अपने व्रत का पारण कर ले.

उत्पन्ना एकादशी का महत्व: पंडित ने बताया कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत सनातन धर्म में सबसे पवित्र व्रत में से एक होता है. इसका व्रत करने से घर में सुख समृद्धि आती है और सभी प्रकार की मनोकामना पूरी होती है. पूरी श्रद्धा से यह व्रत करता है. उसकी सभी प्रकार की इच्छा पूरी होती है. इसका व्रत करने से सभी प्रकार के पाप व दोष से मुक्ति मिलती है. उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से जातक के आरोग्य संतान की प्राप्ति होती है. संतान खूब तरक्की करती है. इस दिन व्रत करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और पुण्य फलों की प्राप्ति होती है.

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