हैदराबाद (डेस्क). आज का दौर कंपटीशन का है. नौकरी से लेकर पढ़ाई और एडमिशन में हर जगह प्रतिस्पर्धा है. माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे शिक्षा में उत्कृष्टता प्राप्त करें. वहीं, दूसरी तरफ बच्चों को न केवल कक्षा में पढ़ाए गए पाठ्यक्रम याद करना है, बल्कि करंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विषयों में भी महारत हासिल करनी है. हालांकि बच्चों पर लगातार दबाव बनाना काम नहीं करेगा. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर माता-पिता तथ्यों को समझें और कुछ सुझावों का पालन करें तो ही वे बच्चों को प्रतिभाशाली बना सकते हैं.
बच्चों से संवाद करें : विशेषज्ञों का कहना है कि माता-पिता को अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर तनाव नहीं लेना चाहिए. जब बच्चे पढ़ाई में पिछड़ रहे होते हैं तो वे उन पर ज्यादा दबाव न डालें. उनसे संवाद करें. माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद जितना स्पष्ट होगा, उनके बीच का बंधन उतना ही मजबूत होगा. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे दोनों के बीच दोस्ती दोगुनी हो जाएगी ताकि बच्चे अपने माता-पिता से कई चीजें सीख सकें.
टाइम टेबल सेट करना चाहिए: परीक्षा में अच्छे अंक लाने में माता-पिता की भी भूमिका होती है. जब उनकी परीक्षा हो तो पहले से ही एक टाइम टेबल बना लेना चाहिए. इसमें सभी सब्जेक्ट की प्रैक्टिस के लिए पर्याप्त समय दें. यह भी सुनिश्चित करें कि बीच-बीच में खेल और शौक के लिए भी समय निकल जाए. इनके साथ ही पर्याप्त नींद लेने के लिए भी टाइम टेबल में समय निर्धारित करना चाहिए.
लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए : बच्चों के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए. पूर्ण अंक प्राप्त करने के लिए अनावश्यक दबाव नहीं डालना चाहिए. सबसे पहले क्या किया जाना चाहिए और किस चीज पर कितना समय देना है, उन्हें ऐसी बातें सिखानी चाहिए. किसी विषय को उनकी कमजोरी और रुचि के अनुसार कितने समय तक पढ़ना है इसकी भी योजना बनाएं. सुनिश्चित करें कि घर पर पढ़ाई के दौरान आपके बच्चों का ध्यान विचलित न हो. घर में शांतिपूर्ण माहौल बनाएं. उन्हें कभी भी पाठ्यपुस्तकों के साथ समय बिताने के लिए न कहें. उन्हें कुछ दिलचस्प कहानी की किताबें आदि उपलब्ध कराएं.
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हर बच्चा है खास : परीक्षा से पहले जांच लें कि बच्चा ठीक से खाना खा रहा है या नहीं. यह भी सुनिश्चित करें कि भोजन में पर्याप्त पोषक तत्व हों. भले ही उन्हें परीक्षा में कम अंक मिले, या वो असफल हो जाएं, लेकिन किसी भी परिस्थिति में बच्चों को डांटें या पीटें नहीं. आश्वस्त रहें कि अगली बार हम बेहतर प्रयास करेंगे. उन लोगों की कहानियां सुनाएं, जिन्होंने असफलता के बाद सफलता प्राप्त की. बच्चों को आगे बढ़ने के लिए कहें. उनकी तुलना किसी से न करें. विशेषज्ञों का कहना है कि हर दिन उनके साथ कुछ समय बिताएं तो आप निश्चित रूप से अपने बच्चे में बदलाव देखेंगे.