देहरादून: प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते आपदा जैसे हालात बनते रहते हैं. हालांकि, मानसून सीजन के दौरान आपदा की घटना और संभावनाएं दोनों ही बढ़ जाती हैं. राज्य में आपदा से निपटने को लेकर उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी आनंद स्वरूप ने कहा कि तमाम तरह कि आपदाओं से निपटने के लिए रिस्पांस टाइम का अध्ययन करना बेहद जरूरी है. क्योंकि, इस अध्ययन से यह समझने में काफी सहूलियत होगी की आपदा के दौरान राहत-बचाव कार्यों में कितना समय लगा और क्या कुछ कमियां रहीं.
यूएसडीएमए स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र में तमाम विभागों के नोडल अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की गई. बैठक के दौरान आनंद स्वरूप ने यूएसडीएमए के अधिकारियों को निर्देश दिए कि आपदाओं को लेकर एक डेटा बेस बनाया जाए. साथ ही डेटा बेस से यह अध्ययन किया जाए कि आपदा से निपटने के लिए अभी तक रिस्पांस टाइम क्या रहा है. क्योंकि, इससे राहत और बचाव कार्यों के दौरान आने वाले चुनौतियों और कमियों का पता चल सकेगा, ताकि भविष्य में उन कमियों को सुधारा जा सकें. बताया कि इस डेटा बेस अध्ययन से जो भी अच्छे कार्य सामने निकलकर आएंगे, उन कार्यों को दूसरे स्थानों पर भी नजीर के तौर पर लागू किया जा सकेगा.
तमाम विभागों के नोडल अधिकारियों को संबोधित करते हुए आनंद स्वरूप ने कहा कि उत्तराखंड आपदाओं को लेकर संवेदनशील है और इनसे कम से कम जान-माल का नुकसान हो, इसके लिए सभी विभागों के बीच आपसी तालमेल होना बेहद जरूरी है. बैठक के दौरान उन्होंने राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से जारी होने वाले मौसम और आपदा संबंधी चेतावनियों की भी समीक्षा की. साथ ही निर्देश दिए कि सभी चेतावनियों को समय पर आम जनता तक पहुंचाया जाए, ताकि लोग जागरूक और सतर्क रहें. राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र में तैनात तमाम विभागों के नोडल अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है. ऐसे में जरूरी है कि सभी महत्वपूर्ण विभागों के अधिकारी, सूचनाओं के आदान-प्रदान में सक्रियता दिखाएं.
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