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यूपी रोडवेज का बढ़ सकता है किराया; बसों में डीजल के साथ यूरिया भी पड़ेगा; अतिरिक्त खर्च यात्रियों के जेब से वसूलने की तैयारी - Urea purchase in UPSRTC - UREA PURCHASE IN UPSRTC

यूपीएसआरटीसी ने यूरो 6 बसों के लिए यूरिया खरीद पीपीपी मोड पर करने की तैयारी कर रहा है. इसके बाद रोडवेज का खर्च बढ़ना तय है. इसके बाद रोडवेज बसों में किराया बढ़ने की पूरी संभावना है. UPSRTC News

UPSRTC की तैयारी.
UPSRTC की तैयारी. (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 7, 2024, 6:17 PM IST

Updated : Aug 8, 2024, 3:34 PM IST

UPSRTC कर रहा प्राइवेट फर्मों से यूरिया खरीद की तैयारी पर लखनऊ संवाददाता की रिपोर्ट. (Video Credit : ETV Bharat)

लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम अब अपनी यूरो 6 बसों के लिए प्राइवेट फर्मों से यूरिया खरीदने का प्लान बना रहा है. यूपीएसआरटीसी ने हाल ही में सर्वे कराया कि क्या अपने यूरिया के प्लांट लगाए जा सकते हैं, लेकिन इसकी सर्वे रिपोर्ट निगेटिव आई है. अब इसके बाद पीपीपी मोड पर प्राइवेट फर्मों से यूरिया खरीदने की तैयारी हो रही है. BS6 बसों में डीजल के साथ ईंधन के रूप में यूरिया का उपयोग किया जाता है. परिवहन निगम यूरिया सप्लाई के लिए प्राइवेट फर्म को पार्टिसिपेट करने के लिए टेंडर इनवाइट करेगा.



बता दें, उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के बेड़े में अब डीजल से संचालित होने वाली यूरो 4 और यूरो 6 बसें ही शामिल हो रही हैं. पहले रोडवेज में बड़ी संख्या में यूरो 4 बसें जोड़ी गईं अब यूरो 6 बसों की खरीद हो रही है. इन बसों में ईंधन के रूप में डीजल के साथ ही यूरिया भी पड़ती है. इससे बसों का एवरेज अच्छा आता है. यूपीएसआरटीसी से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि साधारण बसें जो डीजल से चलती हैं उनका एवरेज तीन से चार किलोमीटर प्रति लीटर रहता है. वहीं डीजल के साथ यूरिया पड़ने पर यह औसत कम से कम छह किलोमीटर प्रति लीटर हो जाता है. बसों का इंजन भी दुरुस्त रहता है. डीजल टैंक के साथ ही बसों में यूरिया का टैंक अलग होता है. इसमें ईंधन के रूप में यूरिया फिल की जाती है.

परिवहन निगम के पास अपने यूरिया के प्लांट नहीं हैं. लिहाजा सेंट्रल गवर्नमेंट के पीएसयू के साथ ही टाटा और अशोक लीलैंड की तरफ से यूपीएसआरटीसी को यूरिया सप्लाई की जाती है. यूरिया की खपत को ध्यान में रखते हुए ही परिवहन निगम ने प्लान बनाया था कि क्या प्रदेश में दो ऐसे यूरिया प्लांट स्थापित किए जा सकते हैं जिससे यूरिया पर खर्च हो रहे पैसों की कुछ बचत की जा सके. इसके लिए परिवहन निगम की टीम ने यूरिया प्लांट का सर्वे किया, लेकिन नतीजा सकारात्मक नहीं आया. इसके बाद अपने यूरिया प्लांट लगाने की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया. अब प्राइवेट फर्म को आमंत्रित किया जा रहा है.



100 लीटर डीजल में फिल होती है पांच से छह लीटर यूरिया : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारी बताते हैं कि किसी बस में अगर 100 लीटर डीजल फिल किया जाता है तो पांच से छह लीटर तक यूरिया भी फिल की जाती है. यूरिया पड़ने से बसों का एवरेज बढ़ जाता है. इसलिए यूरो 6 बसों में डेफ का इस्तेमाल किया जा रहा है.

35 से 40 रुपये प्रति लीटर यूरिया पर रोडवेज का खर्च : अगर यूरिया की प्रति लीटर कीमत की बात की जाए तो 35 से 40 रुपये प्रतिकिलो है. इतने रुपये प्रति लीटर यूरिया पर परिवहन निगम खर्च करता है. ऐसे में अगर किसी बस में 100 लीटर डीजल भरा जाता है तो छह लीटर यूरिया फिल होती है. इसका सीधा सा अर्थ है कि 240 रुपये प्रति बस यूरिया पर खर्च होते हैं. परिवहन निगम अब जल्द ही 1000 नई बसें अपने बेड़े में और जोड़ रहा है लिहाजा, यूरिया की खपत और बढ़ने वाली है.

किराए पर भी पड़ सकता है असर : परिवहन निगम की बसों का किराया तभी तब बढ़ाया जाता है जब डीजल की कीमतों में इजाफा हो या फिर टोल टैक्स में बढ़ोतरी होती है. बहरहाल यूरो 6 बसों की फ्लीट बढ़ने के बाद यूरिया की खपत एक्सट्रा होगी. ऐसे में यूरिया खरीद का असर बसों के किराए में बढ़ोतरी रूप में देखने को मिलेगा. फिलहाल अधिकारी अभी यूरिया की वजह से किराया बढ़ाने जैसी कोई बात नहीं कह रहे हैं.



उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक मासूम अली सरवर का कहना है कि पहले स्वयं के यूरिया प्लांट लगाने की योजना था, लेकिन सर्वे में टेक्निकल ऑक्सपेक्ट और मैनपॉवर को देखते हुए ऐसा कर पाना संभव नहीं लगा. ऐसे में अब पीपीपी मोड पर जाना ही बेहतर विकल्प होगा. यूरिया एक बहुत ही महत्वपूर्ण कंपोनेंट है. यह BS6 बसों में ही इस्तेमाल होता है. हम लोग मंथन कर रहे हैं कि क्या ऐसी कोई व्यवस्था बनाई जा सकती है कि यूरिया का उत्पादन हम लोग खुद ही कर पाएं, इसके लिए हम विचार विमर्श की स्टेज में हैं. इसको पीपीपी मोड पर करने की भी तैयारी है.

यह भी पढ़ें : UP रोडवेज में मृतक आश्रितों की संख्या पहुंची 1100 के पार, अब भर्ती की तैयारी, अगस्त से शुरू होगी प्रक्रिया - recruitment in upsrtc

यह भी पढ़ें : यूपी रोडवेज 2500 रूटों पर चलाएगा 5000 इलेक्ट्रिक बसें, यात्रियों को हाईटेक एसी बसों में सफर की सुविधा - up roadways

UPSRTC कर रहा प्राइवेट फर्मों से यूरिया खरीद की तैयारी पर लखनऊ संवाददाता की रिपोर्ट. (Video Credit : ETV Bharat)

लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम अब अपनी यूरो 6 बसों के लिए प्राइवेट फर्मों से यूरिया खरीदने का प्लान बना रहा है. यूपीएसआरटीसी ने हाल ही में सर्वे कराया कि क्या अपने यूरिया के प्लांट लगाए जा सकते हैं, लेकिन इसकी सर्वे रिपोर्ट निगेटिव आई है. अब इसके बाद पीपीपी मोड पर प्राइवेट फर्मों से यूरिया खरीदने की तैयारी हो रही है. BS6 बसों में डीजल के साथ ईंधन के रूप में यूरिया का उपयोग किया जाता है. परिवहन निगम यूरिया सप्लाई के लिए प्राइवेट फर्म को पार्टिसिपेट करने के लिए टेंडर इनवाइट करेगा.



बता दें, उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के बेड़े में अब डीजल से संचालित होने वाली यूरो 4 और यूरो 6 बसें ही शामिल हो रही हैं. पहले रोडवेज में बड़ी संख्या में यूरो 4 बसें जोड़ी गईं अब यूरो 6 बसों की खरीद हो रही है. इन बसों में ईंधन के रूप में डीजल के साथ ही यूरिया भी पड़ती है. इससे बसों का एवरेज अच्छा आता है. यूपीएसआरटीसी से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि साधारण बसें जो डीजल से चलती हैं उनका एवरेज तीन से चार किलोमीटर प्रति लीटर रहता है. वहीं डीजल के साथ यूरिया पड़ने पर यह औसत कम से कम छह किलोमीटर प्रति लीटर हो जाता है. बसों का इंजन भी दुरुस्त रहता है. डीजल टैंक के साथ ही बसों में यूरिया का टैंक अलग होता है. इसमें ईंधन के रूप में यूरिया फिल की जाती है.

परिवहन निगम के पास अपने यूरिया के प्लांट नहीं हैं. लिहाजा सेंट्रल गवर्नमेंट के पीएसयू के साथ ही टाटा और अशोक लीलैंड की तरफ से यूपीएसआरटीसी को यूरिया सप्लाई की जाती है. यूरिया की खपत को ध्यान में रखते हुए ही परिवहन निगम ने प्लान बनाया था कि क्या प्रदेश में दो ऐसे यूरिया प्लांट स्थापित किए जा सकते हैं जिससे यूरिया पर खर्च हो रहे पैसों की कुछ बचत की जा सके. इसके लिए परिवहन निगम की टीम ने यूरिया प्लांट का सर्वे किया, लेकिन नतीजा सकारात्मक नहीं आया. इसके बाद अपने यूरिया प्लांट लगाने की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया. अब प्राइवेट फर्म को आमंत्रित किया जा रहा है.



100 लीटर डीजल में फिल होती है पांच से छह लीटर यूरिया : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारी बताते हैं कि किसी बस में अगर 100 लीटर डीजल फिल किया जाता है तो पांच से छह लीटर तक यूरिया भी फिल की जाती है. यूरिया पड़ने से बसों का एवरेज बढ़ जाता है. इसलिए यूरो 6 बसों में डेफ का इस्तेमाल किया जा रहा है.

35 से 40 रुपये प्रति लीटर यूरिया पर रोडवेज का खर्च : अगर यूरिया की प्रति लीटर कीमत की बात की जाए तो 35 से 40 रुपये प्रतिकिलो है. इतने रुपये प्रति लीटर यूरिया पर परिवहन निगम खर्च करता है. ऐसे में अगर किसी बस में 100 लीटर डीजल भरा जाता है तो छह लीटर यूरिया फिल होती है. इसका सीधा सा अर्थ है कि 240 रुपये प्रति बस यूरिया पर खर्च होते हैं. परिवहन निगम अब जल्द ही 1000 नई बसें अपने बेड़े में और जोड़ रहा है लिहाजा, यूरिया की खपत और बढ़ने वाली है.

किराए पर भी पड़ सकता है असर : परिवहन निगम की बसों का किराया तभी तब बढ़ाया जाता है जब डीजल की कीमतों में इजाफा हो या फिर टोल टैक्स में बढ़ोतरी होती है. बहरहाल यूरो 6 बसों की फ्लीट बढ़ने के बाद यूरिया की खपत एक्सट्रा होगी. ऐसे में यूरिया खरीद का असर बसों के किराए में बढ़ोतरी रूप में देखने को मिलेगा. फिलहाल अधिकारी अभी यूरिया की वजह से किराया बढ़ाने जैसी कोई बात नहीं कह रहे हैं.



उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक मासूम अली सरवर का कहना है कि पहले स्वयं के यूरिया प्लांट लगाने की योजना था, लेकिन सर्वे में टेक्निकल ऑक्सपेक्ट और मैनपॉवर को देखते हुए ऐसा कर पाना संभव नहीं लगा. ऐसे में अब पीपीपी मोड पर जाना ही बेहतर विकल्प होगा. यूरिया एक बहुत ही महत्वपूर्ण कंपोनेंट है. यह BS6 बसों में ही इस्तेमाल होता है. हम लोग मंथन कर रहे हैं कि क्या ऐसी कोई व्यवस्था बनाई जा सकती है कि यूरिया का उत्पादन हम लोग खुद ही कर पाएं, इसके लिए हम विचार विमर्श की स्टेज में हैं. इसको पीपीपी मोड पर करने की भी तैयारी है.

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Last Updated : Aug 8, 2024, 3:34 PM IST
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