देहरादूनः उत्तराखंड निकाय चुनाव को लेकर जारी हुई आरक्षण की अनंतिम सूची पर शहरी विकास निदेशालय को पहले ही दिन 53 आपत्तियां प्राप्त हुई हैं. ये आपत्तियां विपक्षी दल कांग्रेस के साथ ही सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी दर्ज कराई हैं. सबसे ज्यादा 28 आपत्ति हरिद्वार के लंढौरा नगर पंचायत से प्राप्त हुई हैं. हालांकि, निदेशालय स्तर को केवल निकायों की आपत्ति देने का प्रावधान है. वार्ड स्तर की आपत्ति जिला अधिकारी के पास दी जाती है. इस तरह से पूरे प्रदेश भर में इन आपत्तियों का आंकड़ा सैकड़ों में हो सकता है.
विपक्ष ने लगाया आरोप: नगर निकाय चुनाव को लेकर जारी की गई आरक्षण सूची पर कांग्रेस ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने आरक्षण सूची में सीधे-सीधे संविधान की परिकल्पना पर कुठाराघात करने का आरोप लगाया. कहा कि जिन नगर निकायों में 10 हजार से नीचे अनुसूचित जाति के लोग हैं, वहां पर अनुसूचित जाति के लोगों को प्रतिनिधित्व का मौका नहीं दिया. यह लोगों के मौलिक अधिकार का हनन है.
विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह भाजपा के वास्तविक चेहरे को दिखाता है. उन्होंने कहा, आरक्षण विधानसभा की प्रवर समिति के माध्यम से तय होना था, जो कि उत्तराखंड के लोगों द्वारा चुने गए सदन द्वारा बनाया गया होता. 6 महीने के भीतर प्रवर समिति को अपनी रिपोर्ट देनी थी. विशेष सत्र के माध्यम से यह पास होना था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
सीएम बोले-नियमों के अनुसार हुआ आरक्षण: वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि जनसंख्या के अनुरूप ही आरक्षण तय होता है. सबके मन मुताबिक आरक्षण हो, ऐसा संभव नहीं है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि अभी आपत्तियां ली जा रही हैं. जिसके अनुरूप आगामी कार्रवाई की जाएगी.
आपत्ति दर्ज करने के लिए पर्याप्त समय: वहीं शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि अभी आपत्तियां ली जा रही हैं. जैसे ही आपत्तियों का निस्तारण होगा, उसके अनुरूप ही चुनाव की ओर बढ़ा जाएगा.
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