नई दिल्ली: राजधानी में जाम के कारण हर दिन लाखों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है, जो आने वाले समय और अधिक बढ़ सकती है. इसे देखते हुए दिल्ली सरकार 2041 के मास्टर प्लान के तहत एक पॉलिसी लाने जा रही है. इस पॉलिसी के तहत मालवाहक वाहनों को दिल्ली में आने-जाने से चरणबद्ध तरीके से रोकने के लिए काम किया जाएगा. इसके लिए दिल्ली के बॉर्डर पर तीन अर्बन कंसोलिडेट लॉजिस्टिक डिस्ट्रिब्यूशन सेंटर का बनाए जाएंगे. भारी मालवाहक यहीं माल उतारेंगे और दिल्ली के अंदर दाखिल नहीं होंगे.
दिल्ली सरकार की ओर से दिल्ली के अंदर तीन वार्डों पर एक माइक्रो डिलिवरी हब बनाने की भी योजना है. इस तहत दिल्ली में करीब 70 माइक्रो डिलिवरी हब तैयार होंगे. राजधानी के बार्डर पर बने अर्बन कंसोलिडेट लॉजिस्टिक डिस्ट्रिब्यूशन सेंटर से माल माइक्रो डिलिवरी हब तक लाया जाएगा. इसके बाद डिलीवरी से पांच से सात किलोमीटर के दायरे में सामानों की डिलिवरी की जाएगी. इससे जाम से कुछ हद तक निजात मिल पाएगी. वहीं डिलीवरी करने वालों को भी लंबा चक्कर नहीं लगाया पड़ेगा और क्षेत्र का दायरा कम होने से वह कम समय में ज्यादा डिलीवरी कर सकेंगे.
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अधिकारियों की मानें, तो दिल्ली में रोजाना औसत एक लाख 93 हजार मालवाहक वाहन दूसरे राज्यों से आते हैं. वहीं करीब 79 हजार मालवाहक वाहन दिल्ली के अंदर सामान लादते और उतारते हैं. मालवाहक वाहनों के कारण दिल्ली की सड़कों पर अधिक दबाव होता है. एक अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2042 तक दिल्ली में प्रतिदिन चलने वाले मालवाहकों की संख्या पांच लाख से अधिक हो जाएगी. इसे देखते हुए अभी से इस समस्या पर काम करना जरूरी है. दिल्ली सरकार का औद्योगिक विभाग इस पॉलिसी पर काम कर रहा है. बहुत जल्द ही लोगों के इसपर प्रतिक्रिया व सुझाव लेने के लिए पॉलिसी के ड्रॉफ्ट सार्वजनिक किए जाएंगे. ट्रांसपोर्टर, गोदाम चलाने वाली एजेंसी, व्यापारी व उद्यमी पॉलिसी पर राय दे सकेंगे. ई-वे बिल के आधाकर पर दिल्ली सरकार द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में तुगलकाबाद, सरिता विहार, दरियागंज, गांधी नगर समेत 11 बड़े इलाके ऐसे हैं, जहां मालवाहक वाहनों के आवगमन से जाम की ज्यादा समस्या हो रही है.
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