लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसों में दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन ने सभी नोडल अधिकारियों को नियमित समीक्षा के निर्देश दिए हैं. इस संबंध में परिवहन निगम के एमडी की तरफ से सभी नोडल अधिकारियों को पत्र जारी किया है. पत्र में उन्हें दुर्घटनाओं की मुख्य वजहों के साथ-साथ उपाय भी बताए गए हैं. साथ ही चालकों की नियमित काउंसिलिंग के भी निर्देश दिए गए हैं.
चालकों की होगी काउंसिलिंग: परिवहन निगम के एमडी मासूम अली सरवर ने बताया कि ओवरस्पीड, उचित दूरी न बनाकर चलना, गलत और लापरवाही से ओवरटेकिंग करने से अधिकांश दुर्घटनाएं होती हैं. यह तीनों मानवीय कारण चालकों के नियंत्रण से बाहर नहीं है, इसलिए काउंसिलिंग के समय इन तीनों कारणों की ओर प्रमुखता से चालकों का ध्यान आकर्षित किया जाए जिससे दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके.
उन्होंने निर्देश दिया कि अपने-अपने नोडल क्षेत्रों के निरीक्षण के दौरान गत माह हुई समस्त दुर्घटनाओं की गहन समीक्षा करें. दुर्घटनाओं का कारण और दोषी चालक व क्रू के विरुद्ध क्या कार्रवाई की गई, पता करेंगे. दुर्घटनाओं को रोकने के लिए डिपो और क्षेत्र स्तर पर क्या-क्या कार्रवाई और निर्धारित हेल्थ कार्ड से स्वास्थ्य व नेत्र परीक्षण और प्रभावशाली काउंसिलिंग की जा रही है या नहीं, इसकी भी जानकारी देंगे. मुख्यालय आने पर नोडल अधिकारी अपनी निरीक्षण टिप्पणी के साथ पिछले माह की दुर्घटनाओं की समीक्षात्मक टिप्पणी प्रधान प्रबंधक (संचालन) को पेश करेंगे.
दुर्घटनाएं होने की वजह मानवीय कारण : एमडी के पत्र में कहा गया है कि परिवहन निगम की बसों की अधिकांश दुर्घटनाएं मानवीय कारण से हो रही हैं. इसमें ओवर स्पीडिंग, निर्धारित गति से अधिक गति में वाहन चलाना, आगे चल रहे वाहन से उचित दूरी न बनाकर चलना, नशे की हालत में वाहन चलाना, शराब या अन्य मादक पदार्थों के प्रभाव में रहते हुए वाहन चलाना शामिल है. साथ ही वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का प्रयोग करना या ईयर फोन लगाकर संगीत सुनना, सड़क पर लगे संकेतकों की अवहेलना, ट्रैफिक लाइट का उल्लंघन, गलत लेन में चलना, रांग साइड में वाहन चलाना, गलत समय पर गलत ढंग से ओवरटेकिंग करना शामिल है.
इसके अलावा घने कोहरे में पार्किंग लाइट का प्रयोग न करना, वाहन में रिफ्लेक्टिव टेप का न लगा होना, मुख्य मार्गों/हाईवेज से जुड़ते हुए शाखा मार्गों से आते हुए बिना दाएं बाएं देखे तीव्र गति से मुख्य मार्ग को ज्वॉइन करना, मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग में जल्दबाजी में क्रॉसिंग पार करना, नींद न पूरी होने या अत्यधिक थकान की दशा में गाड़ी चलाना, टायर की हवा, ब्रेक, क्लच और अन्य आवश्यक यंत्रों की फिटनेस पर ध्यान न देना और असामान्य मनोदशा वाले या मानसिक रूप से अस्वस्थ चालकों का वाहन चलाना भी शामिल है.
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