रायपुर: छत्तीसगढ़ में धान खरीदी खत्म हो चुकी है. लेकिन प्रदेश में धान की खरीदी को लेकर सियासी घमासान का दौर जारी है. बजट सत्र के दौरान साय सरकार को कांग्रेस ने धान खरीदी पर चर्चा नहीं कराए जाने को लेकर घेरा है. कांग्रेस की तरफ से इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव दिया गया था. जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने मानने से इनकार कर दिया. उसके बाद कांग्रेस के विधायकों ने हंगामा करते हुए सदन से वॉक आउट कर दिया. इस तरह छत्तीसगढ़ विधानसभा में धान खरीदी पर हंगामा हुआ.
धान खरीदी की तारीख नहीं बढ़ाने का लगाया आरोप: कांग्रेस ने साय सरकार पर धान खरीदी की तारीख नहीं बढ़ाने का आरोप लगाया है. नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने धान खरीदी पर चर्चा की मांग करते हुए स्थगन प्रस्ताव पेश किया था. इसके जरिए कांग्रेस ने दावा किया कि कई किसान धान खरीदी के सीजन 2023-24 में अपनी उपज नहीं बेच सके हैं. कांग्रेस विधायक राघवेंद्र सिंह ने साय सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार ने धान खरीदी की तारीख 31 जनवरी से 4 फरवरी तक बढ़ा दी. लेकिन कथित गड़बड़ी के कारण छत्तीसगढ़ के कई किसान धान नहीं बेच पाए.
मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने विपक्ष को दिया जवाब: कांग्रेस की मांग पर संसदीय कार्य मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि विशेष जानकारी की कमी में नोटिस की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. उसके बाद पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने मोर्चा संभाला. उन्होंने कहा कि यह मामला गंभीर है और किसानों से जुड़ा है. इसलिए स्थगन प्रस्ताव को स्वीकार कर इस मुद्दे पर चर्चा की जानी चाहिए. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह ने इसे मानने से इंकार कर दिया. उसके बाद कांग्रेस नेताओं ने हंगामा किया और सदन से वॉक आउट कर दिया.
सरकार नहीं कर रही मोदी की गारंटी पूरी: कांग्रेस विधायकों ने इसके बार साय सरकार के खिलाफ लगातार नारेबाजी की. उन्होंने नारे लगाए की मोदी की गारंटी सरकार पूरी नहीं कर रही है और चर्चा से सरकार भाग रही है. इस तरह कांग्रेस विधायकों ने चर्चा का बहिष्कार कर दिया और सदन से बाहर चले गए.
प्रश्नकाल में भी हुआ हंगामा: इससे पहले प्रश्न काल में भी धान खरीदी को लेकर छत्तीसगढ़ विधानसभा में जबरदस्त हंगामा हुआ. कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने खाद्य मंत्री दयालदास बघेल से धान खरीदी को लेकर सवाल पूछा. उमेश पटेल ने पूछा कि कितने पंजीकृत किसानों का धान खरीदा जाना बांकी है. इस पर मंत्री जी ने जवाब दिया कि कुल 145 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया है. उन्होंने कहा कि "राज्य में धान खरीद के पिछले रिकॉर्ड बताते हैं कि लगभग हर साल धान के रकबे में वृद्धि हुई है. लेकिन इस बार रकबा 2 लाख हेक्टेयर कम हो गया है. इस पर भूपेश बघेल ने कहा कि कई जिलों किसान अपना धान नहीं बेच सके हैं. इसलिए धान खरीदी की तारीख बढ़ाई जाए. इस पर मंत्री ने कहा कि ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है. इसलिए धान खरीदी की तारीख बढ़ाने की जरूरत नहीं है.
छत्तीसगढ़ की राजनीति में धान खरीदी का मुद्दा शुरू से हावी रहा है. कांग्रेस की सरकार में बीजेपी धान खरीदी में गड़बड़ी की बातें उठाती थी. सरकार जाने के बाद अब बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस हमलावर है.