लखनऊ : उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल ने हाल ही में एक आदेश में यूपीपीसीएल के संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों का तबादला करने की बात कही. इस बाबत सभी डिस्कॉम से एक ही स्थान पर तीन साल से ज्यादा काम करने वाले कर्मचारियों की सूची बनाकर दूसरी जगह भेजने के निर्देश दिए हैं. इसकी तैयारी भी शुरू हो गई हैं, लेकिन कर्मचारी संगठनों ने इस आदेश का विरोध शुरू कर दिया है. यूनियन नेताओं ने पावर काॅरपोरेशन पर न्यायालय की अवमानना का आरोप लगा है. साथ ही न्यायालय का रुख करने की बात कही है.
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन निविदा/संविदा कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री देवेंद्र पांडेय का कहना है कि यूपीपीसीएल ने 21 जून 2018 और एक जुलाई 2018 को आउटसोर्सिंग के माध्यम से कार्य कर रहे संविदा उपकेन्द्र परिचालकों के स्थान पर सैनिक कल्याण निगम से उपकेंद्र परिचालकों को तैनात करने का आदेश दिया. उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष ने 24 अगस्त 2018 को कर्मचारियों के स्थानांतरण का आदेश निर्गत किया. इसको ध्यान में रखकर उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन निविदा/ संविदा कर्मचारी संघ ने पावर कारपोरेशन के उक्त आदेशों के खिलाफ उच्च न्यायालय इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ में शरण ली.
न्यायालय ने कर्मचारी संघ के पक्ष में फैसला सुनाते हुए चार सितंबर 2018 को पावर काॅरपोरेशन के उक्त तीनों आदेशों पर रोक लगा दी. इसके बाद पावर काॅर्पोरेशन प्रबंधन ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ स्पेशल अपील दाखिल की थी जो आज भी विचाराधीन है. इसके बावजूद पावर काॅर्पोरेशन प्रबंधन ने आउटसोर्स कर्मचारियों के स्थानांतरण का आदेश निर्गत कर दिया है. जिससे उच्च न्यायालय के आदेश चार सितंबर 2018 की अवमानना है.
देवेंद्र पांडेय का कहना है कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने आउटसोर्स कर्मचारियों के स्थानांतरण पर रोक नहीं लगाई तो संगठन उच्च न्यायालय के उक्त आदेश का उल्लंघन करने के खिलाफ न्यायालय का रुख करेगा. आउटसोर्स कर्मचारियों पर स्थानांतरण की नीति लागू नहीं होती है. इसके बावजूद पावर काॅर्पोरेशन प्रबंधन 9000 से 11000 रुपये अल्प वेतन पाने वाले कर्मचारियों का स्थानांतरण करने की जिद पर अड़ा है. जिससे जहां एक तरफ दुर्घटनाओं में वृद्धि होगी. वहीं कर्मचारियों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा.