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वनाग्नि बुझाने में जान की बाजी लगाने वाले कर्मचारी वेतन को तरसे, फिर उठा उपनल-आउटसोर्स कर्मियों की तनख्वाह का मामला - Uttarakhand Forest Fire - UTTARAKHAND FOREST FIRE

Uttarakhand Forest Fire उत्तराखंड वन विभाग में काम करने वाले अल्प वेतन भोगियों का दर्द एक बार फिर सामने आया है. दरअसल वनाग्नि की घटनाओं के बीच उन कर्मचारियों की बात उठाई जा रही है, जिन्हें कई महीनों से वेतन नहीं मिला. खास बात ये है कि ये मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में भी उठाया जा चुका है और कर्मचारी संगठन भी समय-समय पर उपनल और आउटसोर्स कर्मचारियों से जुड़े इस मुद्दे को लेकर सरकार से सवाल पूछते हैं.

Uttarakhand Forest Fire
आउटसोर्स कर्मचारियों को समय पर वेतन न मिलने का मामला (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 23, 2024, 11:58 AM IST

वनाग्नि बुझाने में जान की बाजी लगाने वाले कर्मचारी वेतन को तरसे (Video-ETV Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड में जंगलों में लगी आग चिंता का सबब बनी हुई है. इसी बीच उपनल और आउटसोर्स कर्मचारियों को समय पर वेतन न दिया जाना भी एक बड़ा मुद्दा बनता दिख रहा है. सुप्रीम कोर्ट में कर्मचारियों को समय पर वेतन न दिए जाने और उनके द्वारा झाड़ियों से आग बुझाने जैसी स्थिति को लेकर भी बातें रखी गई हैं. हालांकि मामले में मुख्य सचिव ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार की स्थिति को स्पष्ट किया है और सरकार द्वारा अब तक उठाए गए कदम की भी जानकारी दी है. विभाग से जुड़े कर्मचारी खुद इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि प्रदेश के कई रेंज में कर्मचारियों को अक्टूबर और कई कर्मचारियों को दिसंबर से वेतन नहीं मिल पा रहा है.

कर्मचारियों को समय पर नहीं मिल रहा वेतन: मिली जानकारी के अनुसार कुमाऊं की कालाढूंगी रेंज से लेकर नैनीताल वन प्रभाग और राज्य के दूसरे तमाम वन प्रभागों में भी कई कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है. जिससे पहले शासन के एक आदेश के चलते कुछ उपनल कर्मियों को भी बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है. कर्मचारियों को वेतन न मिलने के साथ-साथ जंगलों में आग बुझाने के दौरान इन्हें पर्याप्त मात्रा में उपकरण उपलब्ध नहीं कराये जा रहे हैं.

उपनल कर्मचारी संघ ने उठाई आवाज: उपनल कर्मचारी संघ के महासचिव प्रमोद गुसाईं ने बताया कि राज्य के जंगलों में आग बुझाने वाले उपनल और आउटसोर्स कर्मचारियों को उपकरण उपलब्ध नहीं कराया जा रहे हैं, जबकि कई ऐसे कर्मचारी भी हैं, जिन्हें अक्टूबर और दिसंबर महीने से वेतन नहीं मिल पाया है. यह स्थिति तब है, जब वन विभाग में यह कर्मचारी अल्प वेतन भोगी हैं और इनको वेतन बेहद कम दिया जाता है.

विभाग को बजट मिलने में होती है परेशानी: उत्तराखंड में जो कर्मचारी जंगलों की सुरक्षा से लेकर आग की घटनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं. ऐसे कर्मचारियों के वेतन में दिक्कतों की शुरुआत शासन के ही एक पत्र के बाद हुई थी. इस पत्र में स्पष्ट किया गया था कि ऐसे कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जा सकता, जबकि उन्हें दैनिक आधार पर मजदूरी दी जानी चाहिए. इसी आदेश के बाद ऐसे कर्मचारियों को वेतन की जगह मजदूरी मद में बजट जारी होता है और यह बजट अक्सर विभाग को मिलना मुश्किल हो जाता है, इसीलिए विभाग भी हर महीने समय पर ऐसे कर्मचारियों को वेतन देने में नाकामयाब होता है. जिससे कर्मचारियों को कई महीनों तक बिना वेतन के काम करना पड़ता है.

फायर वाचर को समय पर वेतन देने की कोशिश: प्रमुख वन संरक्षक हॉफ धनंजय मोहन के अनुसार उनकी तरफ से सभी कर्मचारियों को समय पर वेतन दिए जाने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने आउटसोर्स और उपनल कर्मचारियों को लेकर कुछ नहीं कहा, लेकिन जंगल में आग बुझाने के लिए आउटसोर्स पर लगाए गए फायर वाचर पर विभाग की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि विभाग में करीब 4000 फायर वाचर हैं, जिन्हें समय पर वेतन देने की कोशिश हो रही है.

अधिकारी बोले कर्मचारियों को दिए जा रहे पर्याप्त उपकरण: धनंजय मोहन की मानें तो कुछ कर्मचारियों को ही मामले में वेतन नहीं मिल पाया था, लेकिन इसके बावजूद कई लोगों को मार्च और कई लोगों की अप्रैल तक की सैलरी दी जा चुकी है. उन्होंने कहा कि वन विभाग कर्मचारी को पर्याप्त उपकरण दे रहा है. इसके बावजूद समय के साथ उपकरण को अपडेट किया जाना जरूरी है और इसके लिए भी काम किया जा रहा है.

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वनाग्नि बुझाने में जान की बाजी लगाने वाले कर्मचारी वेतन को तरसे (Video-ETV Bharat)

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कर्मचारियों को समय पर नहीं मिल रहा वेतन: मिली जानकारी के अनुसार कुमाऊं की कालाढूंगी रेंज से लेकर नैनीताल वन प्रभाग और राज्य के दूसरे तमाम वन प्रभागों में भी कई कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है. जिससे पहले शासन के एक आदेश के चलते कुछ उपनल कर्मियों को भी बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है. कर्मचारियों को वेतन न मिलने के साथ-साथ जंगलों में आग बुझाने के दौरान इन्हें पर्याप्त मात्रा में उपकरण उपलब्ध नहीं कराये जा रहे हैं.

उपनल कर्मचारी संघ ने उठाई आवाज: उपनल कर्मचारी संघ के महासचिव प्रमोद गुसाईं ने बताया कि राज्य के जंगलों में आग बुझाने वाले उपनल और आउटसोर्स कर्मचारियों को उपकरण उपलब्ध नहीं कराया जा रहे हैं, जबकि कई ऐसे कर्मचारी भी हैं, जिन्हें अक्टूबर और दिसंबर महीने से वेतन नहीं मिल पाया है. यह स्थिति तब है, जब वन विभाग में यह कर्मचारी अल्प वेतन भोगी हैं और इनको वेतन बेहद कम दिया जाता है.

विभाग को बजट मिलने में होती है परेशानी: उत्तराखंड में जो कर्मचारी जंगलों की सुरक्षा से लेकर आग की घटनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं. ऐसे कर्मचारियों के वेतन में दिक्कतों की शुरुआत शासन के ही एक पत्र के बाद हुई थी. इस पत्र में स्पष्ट किया गया था कि ऐसे कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जा सकता, जबकि उन्हें दैनिक आधार पर मजदूरी दी जानी चाहिए. इसी आदेश के बाद ऐसे कर्मचारियों को वेतन की जगह मजदूरी मद में बजट जारी होता है और यह बजट अक्सर विभाग को मिलना मुश्किल हो जाता है, इसीलिए विभाग भी हर महीने समय पर ऐसे कर्मचारियों को वेतन देने में नाकामयाब होता है. जिससे कर्मचारियों को कई महीनों तक बिना वेतन के काम करना पड़ता है.

फायर वाचर को समय पर वेतन देने की कोशिश: प्रमुख वन संरक्षक हॉफ धनंजय मोहन के अनुसार उनकी तरफ से सभी कर्मचारियों को समय पर वेतन दिए जाने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने आउटसोर्स और उपनल कर्मचारियों को लेकर कुछ नहीं कहा, लेकिन जंगल में आग बुझाने के लिए आउटसोर्स पर लगाए गए फायर वाचर पर विभाग की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि विभाग में करीब 4000 फायर वाचर हैं, जिन्हें समय पर वेतन देने की कोशिश हो रही है.

अधिकारी बोले कर्मचारियों को दिए जा रहे पर्याप्त उपकरण: धनंजय मोहन की मानें तो कुछ कर्मचारियों को ही मामले में वेतन नहीं मिल पाया था, लेकिन इसके बावजूद कई लोगों को मार्च और कई लोगों की अप्रैल तक की सैलरी दी जा चुकी है. उन्होंने कहा कि वन विभाग कर्मचारी को पर्याप्त उपकरण दे रहा है. इसके बावजूद समय के साथ उपकरण को अपडेट किया जाना जरूरी है और इसके लिए भी काम किया जा रहा है.

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