सुलतानपुरः आज हम आपको एक ऐसे मेले के बारे में बताने जा रहे हैं जहां जाने वाले लाठी खरीदना नहीं भूलते हैं. हम बात कर रहे हैं सुलतानपुर के पांडेय बाबा धाम के ऐतिहासिक मेले के बारे में. इसमें भाग लेने के लिए आसपास के जिलों से लोग पहुंचते हैं. इस मेले को लेकर लोगों में गहरी आस्था है. यह मेला दशहरे से शुरू हो गया है.
कब से पहुंचे भक्तः पांडेय बाबा में अंबेडकर नगर, अयोध्या, जौनपुर, आजमगढ़, अमेठी, रायबरेली, प्रतापगढ़ आदि जनपदों से शुक्रवार शाम को ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर डेरा जमा दिया. शनिवार भोर से ही कड़ाही चढ़ाकर श्रद्धालु फूल कौड़ी बतासा व अनाज चढ़ाकर पांडेय बाबा के जयकारे लगा रहे हैं. धाम के आसपास श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिल रही है.
दशहरे के दिन लाठी खरीदतेः मान्यता है की पांडेय बाबा मेले में विजयादशमी के अवसर पर लाठी खरीदी जाती है. धाम पर माथा टेकने के बाद श्रद्धालु घर जाने से पहले लाठियों का मोल भाव कर खूब खरीददारी कर रहे हैं. मेले में दूर दराज से लाठी बेचने सैकड़ों व्यापारी पहुंचते हैं.
कहां लगता है मेलाः यह मेला जिला मुख्यालय से करीब 32 किलोमीटर दूर स्थित पांडेय बाबा मंदिर में लगता है. यहां मान्यता है कि चावल चढ़ाने से कभी घर में अन्न की कमी नहीं होती है. यहां लोग परिवार और पशुओं की लंबी आयु के लिए दुआ करते हैं.
कौन है पांडे बाबाः पांडे बाबा को धर मंगल पांडे के नाम से भी जाना जाता है. बताया जाता है कि 150 साल पहले कादीपुर तहसील के मोतिगरपुर के पास वह रहते थे. उन्होंने शादी नहीं की थी. वह तपस्वी थे. उनका एक जमीन को लेकर यहां के राजवंश से अनबन हो गई थी. इसके बाद राजवंश ने एक जल्लाद से बाबा की हत्या करवा दी थी. कहा जाता है कि मौत से पहले बाबा ने कई महीनों तक भोजन नहीं किया था. उनके चमत्कार के कई किस्से आसपास के जिलों में सुनाए जाते हैं.
लाठी क्यों खरीदते हैं: स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां मेले में आने वाले लोग लाठी जरूर खरीदते हैं. दरअसल पहले के जमाने में लोगों के पास आधुनिक हथियार नहीं थे. लोग लाठी के सहारे ही अपनी और परिवार की सुरक्षा करते थे. इस वजह से लाठी खरीदने की परंपरा यहां पड़ गई है. हर वर्ष यहां बड़ी संख्या में लोग लाठी खरीदने आते हैं.
कई पार्टियों के नेता भी पहुंचतेः पूर्व विधायक अरुण वर्मा ने बताया कि पांडेय बाबा का जो ऐतिहासिक स्थान है इसका बहुत बड़ा महत्व है और लगभग पिछले 15 सालों से यहां पर पार्टी का कैंप लगता है. वहीं, जयसिंहपुर के विधायक राजबाबू उपाध्याय ने भी धाम पर पहुंचकर माथा टेका. इस ऐतिहासिक मेले के बाबत बताया कि पाण्डे बाबा पशुप्रेमी थे. यहां पशुओं को अपने साथ रखते थे. यह मेला आस्था का बड़ा केंद्र है.
जाम से अव्यवस्थाः सुबह करीब नौ बजे लखनऊ बलिया मार्ग पर कादीपुर की तरफ से रूट डायवर्जन के बावजूद रोडवेज बस व ट्रक मेले क्षेत्र में आ गए. इससे जाम की स्थिति बन गई. मेले में तैनात सुरक्षा कर्मियों ने मामले को गंभीरता से लिया. भारी वाहनों के आवागमन को बंद कराया. सीओ जयसिंहपुर रमेश ने बताया कि कादीपुर पुलिस से बात किया गया है. भारी वाहनों को डायवर्ट करने के लिए कहा गया है.
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