लखनऊ : 60 और 70 के दशक के उत्तर प्रदेश के बेहतरीन स्ट्रोक प्लेयर क्रिकेटरों में से एक लखनऊ के नीरू कपूर का बुधवार तड़के निधन हो गया. वह 81 वर्ष के थे और पिछले काफी समय से बीमार थे. यूपी के पूर्व क्रिकेटर अशोक बॉम्बी ने उनके निधन की सूचना दी और बताया कि विगत 29 जनवरी को उनकी लंबी बातचीत हुई थी. उन्होंने कहा था कि अब उनके जीवन की पारी में ज्यादा समय नहीं बचा है.
नीरू कपूर को वर्ष 1964 में रणजी ट्रॉफी में यूपी के लिए खेलने के लिए चुना गया था. लेकिन, उनकी प्रतिभा और क्षमता को उचित सम्मान नहीं मिला. प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनके सात साल के कॅरियर में उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया गया. टीम में उनकी जगह सुरक्षित नहीं थी और बल्लेबाजी क्रम भी सही नहीं रखा गया. उन्होंने कुल मिलाकर 12 रणजी मैच खेले. लेकिन, कोई बेहतरीन प्रदर्शन नहीं कर सके. मूल रूप से उनकी उच्च क्षमता का उनके प्रदर्शन से मुकाबला नहीं किया जा सकता. क्योंकि, उन्होंने अपना प्रथम श्रेणी क्रिकेट बहुत प्रतिकूल और भयानक माहौल में खेला. 1971 में उन्हें टीम की कप्तानी करने के लिए बुलाया गया था. लेकिन, जब वह अलीगढ़ में ट्रायल के लिए उपस्थित हुए तो उन्हें टीम से बाहर भी कर दिया गया. उनका प्रथम श्रेणी करियर तब समाप्त हो गया जब वह मुश्किल से 28 वर्ष के थे.
पूर्व क्रिकेटर अशोक बॉम्बी ने बताया कि मैं उनके संपर्क में 1968 में आया जब मैं डीवाईए से जुड़ा और शीश महल में साथ खेला. वह शानदार स्ट्रोक खिलाड़ी थे. ईमानदारी से कहूं तो केवल कुछ ही लोग उसकी क्लास की बराबरी कर सकते थे. वह मेरे लिए बहुत मददगार थे और जब भी हम साथ खेलते थे तो मार्गदर्शन करते थे. मुझे कहना होगा कि उन्हें मेरी क्रिकेट क्षमता विशेष पसंद थी और वह उनका बहुत आदर करते थे.
नीरू कपूर अपने जीवन में बहुत पहले ही सुर्खियों में आ गए जब उन्होंने मॉर्निंग स्टार के खिलाफ शानदार शतक लगाया. जिसमें सात रणजी खिलाड़ी शामिल थे. जब वह मुश्किल से 16 साल के थे. पुराने लोग और मेरे सीनियर एक दशक बाद भी उस शानदार पारी के बारे में बात करते थे. डीवाईए में शामिल होने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और क्लब और लखनऊ के लिए अपनी कई शानदार पारियां खेलीं. केडी सिंह बाबू स्टेडियम में ऑल इंडिया सर फ्रैंक वॉरेल टूर्नामेंट में 4 घंटे में दोहरा शतक कोई कैसे भूल सकता है. उन्होंने चयनकर्ता और प्रबंधक के रूप में खेल को शानदार सेवाएं दीं. वह 15 वर्षों तक उत्तर प्रदेश टीम के चयनकर्ता रहे और उन्होंने भारतीय महिला टीम के चयनकर्ता के रूप में भी काम किया. लखनऊ वेटरन्स और खत्री इलेवन उनके मददगार रवैये के लिए बहुत आभारी हैं. वह हर साल 26 जनवरी को अपने पिता की याद में फेस्टिवल मैच का आयोजन करते थे और मैच के दौरान लखनऊ क्रिकेट के अधिकांश दिग्गजों को सम्मानित करते थे. यूपीसीए ने देवधर ट्रॉफी के फाइनल मैच को अपना बेनिफिट मैच घोषित करते हुए उनका सम्मान किया.
नीरू कपूर खेल निदेशालय से उपनिदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए. अपने विभाग में न केवल अपने काम के लिए, बल्कि अपने मददगार रवैये के कारण बहुत लोकप्रिय व्यक्ति हैं. उन्होंने खिलाड़ियों के लिए कई योजनाएं शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे न केवल क्रिकेटरों को बल्कि पूरे खेल जगत को फायदा हुआ. आगरा और कानपुर के खेल छात्रावासों के प्रशिक्षु उनके पितातुल्य रवैये को कभी नहीं भूलेंगे.
यह भी पढ़ें : Welcome Golden Boy: आज ढोल नगाड़े के साथ होगा नीरज चोपड़ा का स्वागत, जश्न का माहौल
यह भी पढ़ें : पहले टेस्ट से भारत को अच्छा-खासा आत्मबल मिला है : कार्तिक