मेरठ: पश्चिमी यूपी में किसानों की हमदर्द पार्टी कही जाने वाली रालोद अब NDA के साथ हो गई है. कल तक किसानों के जुड़े मुद्दों को लेकर सत्ता पक्ष के खिलाफ हुंकार भरने वाली रालोद के सत्ता के साथ जाने से आखिर किसानों की अब क्या राय है. इस पर ईटीवी भारत ने उनके मन की टोह ली. आईए जानते हैं, जयंत चौधरी के रालोद के INDIA गठबंधन का साथ छोड़ने पर अन्नदाता क्या बोले.
राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने एनडीए में शामिल होने का एलान कर दिया. इसके बाद अब सियासी गलियारों में उनके जाने के बाद नफे और नुकसान का मूल्यांकन तमाम दल कर रहे हैं. वहीं, पश्चिमी यूपी में किसान क्या चाहते हैं. क्या रालोद अध्यक्ष के निर्णय के साथ हैं या उनके निर्णय के विरोध में. इस बारे में इस ईटीवी भारत ने अन्नदाताओं से बात की. रालोद अध्यक्ष के निर्णय पर किसान बिल्कुल अचंभित नहीं हुए. किसानों का कहना है कि उन्हें उम्मीद है जयंत अब उनकी आवाज उठाएंगे और निश्चित ही किसानों की समस्याओं का हल कराएंगे. हालांकि, कुछ किसानों ने यह जरूर कहा कि लोग अपना हित देखते हैं और कहीं भी कभी भी चले जाते हैं. लेकिन, उन्होंने कहा कि किसानों के लिए उनकी समस्याएं बड़ी हैं.
बुजुर्ग किसान रणसिंह ने कहा कि ऐसे में किसानों की आवाज जयंत सत्ता के साथ होकर उठाएंगे. किसानों की जो समस्या बनी हुई हैं इस तरफ वे सत्ता के साथियों से मिलकर उनका समाधान करा पाएंगे पूरी उम्मीद है. किसान गुरुदेव सिंह का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को बहुत पहले भारत रत्न मिल जाना चाहिए था. लेकिन, किसी भी सरकार ने इस तरफ कभी ध्यान नहीं दिया. ऐसे में ज़ब सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री को भारत रत्न देने की घोषणा की है तो यह एक स्वागत योग्यता कदम है और किसान सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हैं.
किसान कुंवरपाल सिंह ने बताया कि उनके नेता जयंत हैं. किसानों की समस्याओं पर किसी का ध्यान नहीं है. फसलों को बेसहारा गौवंश बर्बाद कर रहे हैं. नलकूपों के बिजली के बिल अभी तक भी माफ़ नहीं किए गए. गन्ने के रेट को बढ़ाने का वादा पूर्व में एक रैली में मेरठ में खुद पीएम मोदी ने किया था. लेकिन, जो पैसा बढ़ाया गया वो कुछ भी नहीं है. इससे किसान का कोई भला नहीं होने वाला. जयंत की पार्टी अब तक उनकी आवाज उठा रही थी. अब वह अब सत्ता में चले गए हैं, इस सवाल के जवाब में किसानों का कहना है कि अब यह जयंत चौधरी को साबित करना होगा कि वह किस तरह से किसानों के हमदर्द साबित होते हैं.
किसान वीरेंद्र ने कहा कि जयंत किसानों के हमदर्द हैं. जो असल मुद्दे हैं किसानों के उन समस्याओं का समाधान कराना होगा. अब उनकी चुनौती बढ़ गई है. अब उन्हें दिखाना है कि कैसे किसानों की आवाज वह उठा सकते हैं और उनके लिए काम कर सकते हैं. वह कहते हैं कि जिसको जहां मौका मिलता है वहां चला जाता है. लेकिन, उन्हें जयंत से बहुत उम्मीद है और बेशक वह NDA के साथ चले गए हों. लेकिन, किसान उनके साथ हैं. बहरहाल गौर करने वाली बात यह है कि इसी वजह से भारतीय जनता पार्टी को राष्ट्रीय लोकदल का साथ पसंद है और इसी वजह से न सिर्फ इंडिया गठबंधन बल्कि एनडीए गठबंधन भी लगातार उनके संपर्क में था. और अब रालोद मुखिया जयंत ने NDA के साथ जाने का एलान करके INDIA ब्लॉक को जोर का झटका दे दिया है.