लखनऊ: प्रदेश के मरीजों को एयर एंबुलेंस की सुविधा देने की तैयारी है. इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इससे मरीजों को तत्काल एक शहर से दूसरे शहर पहुंचाया जा सकेगा. स्वास्थ्य विभाग की ओर से एयर एंबुलेंस कंपनियों से करार किया जाएगा. इससे एयर एंबुलेंस का खर्चा तय कर दिया जाएगा. स्वास्थ्य विभाग की रणनीति है कि एयर एंबुलेंस कंपनियों से करार करके दूरी और समय के हिसाब से दर तय कर दी जाए, ताकि यहां भर्ती गंभीर मरीज को दूसरे शहर में शिफ्ट करने में सुविधा रहे. स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. ब्रजेश राठौर ने बताया कि एयर एंबुलेंस सुविधा शुरू होने से प्रदेश के मरीजों के साथ ही आसपास के प्रदेश के मरीजों को भी यहां ले आने में सहूलियत मिलेगी. इससे संबंधित प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया है.
उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं है कि एयर एंबुलेंस की सुविधा पहले नहीं थी. पहले भी यह सुविधा थी. बर्शते हाई प्रोफाइल के लोग ही इस सुविधा का उपयोग कर पाते हैं. इसका शुल्क बहुत अधिक होता है. इसका शुल्क एक आम मरीज नहीं दे सकता है. मरीजों की सहूलियत के लिए एयर एंबुलेंस सुविधा शुरू करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है. इसको लेकर तेजी से प्रक्रिया आगे बढ़ रही है. वहीं, साथ ही कई और एंबुलेंस कंपनियों से भी बातचीत चल रही है. सरकार इसका अलग से शुल्क निर्धारित करेगी, ताकि एक आम मरीज को अगर आवश्यकता पड़े तो वह एयर एंबुलेंस कर सके. इस एयर एंबुलेंस में तमाम तरह की सुविधा होती हैं. मरीज को इलाज एयर एंबुलेंस में ही मिल जाता है. कई जांच हो जाती हैं. सारी सुविधाएं होती हैं. फिलहाल, अभी मीटिंग चल रही है. इसको लेकर एक अलग कमेटी गठित की जाएगी. जो इसका शुल्क एक आम नागरिक के इस्तेमाल होने के हिसाब से निर्धारित करेगी.
एयर एंबुलेंस होती हैं यह सुविधाएं
उन्होंने कहा कि एयर एंबुलेंस के अंदर किसी भी इमरजेंसी स्थिति में इस्तेमाल किए जाने वाले या मरीज की स्थिति का आंकलन करने के लिए जरूरी उपकरण होते हैं. इन उपकरणों में ब्रीदिंग एप्रेटस, मॉनिटरिंग सिस्टम, पेसमेकर आदि होते हैं. इसके अलावा एयर एंबुलेंस में एड्रेनलीन, प्रोपोफोल, बीटा ब्लॉकर्स और खून पतला करने वाली मेडिसिन भी शामिल होती हैं.
एसजीपीजीआई व केजीएमयू में बनेगी हवाई पट्टी
एसजीपीजीआई में करीब तीन साल पहले इमरजेंसी ब्लॉक के बगल में एयर एंबुलेंस के लिए रनवे बनाने की जगह चिह्नित की गई थी. हालांकि, अभी तक यह परियोजना शुरू नहीं हो पाई है. इसी तरह केजीएमयू के ट्रॉमा फेज-2 की परियोजना में भी एयर एंबुलेंस उतारने की सुविधा दी जाएगी. सूत्रों के मुताबिक, लखनऊ के चिकित्सा संस्थानों के बाद झांसी, गोरखपुर, वाराणसी, आगरा, मेरठ सहित अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी हवाई पट्टी बनाई जाएगी. इससे यहां भर्ती होने वाले मरीजों को दूसरी जगह भेजने और मरीजों को अन्य स्थानों से यहां लाने में आसानी होगी.
मालूम रहे कि दो साल पहले उन्नाव रेप पीड़िता के सड़क हादसे में घायल होने के बाद सरकारी खर्चे पर एयर एंबुलेंस ली गई थी. ऐसे में केजीएमयू से लेकर एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था. इसी तरह, लोहिया संस्थान की डॉक्टर को चेन्नई भेजने के लिए भी किराये पर एयर एंबुलेंस ली गई थी. सुविधा शुरू होने के बाद ग्रीन कॉरिडोर नहीं बनाना पड़ेगा.
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