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यूपी में यादव समाज का बड़ा फैसला; तेरहवीं पर नहीं देंगे भोज, फैसला न मानने वालों का हुक्का-पानी बंद

UP News: झांसी में जारी हुआ फरमान. शोक संदेश का कार्ड छापने पर भी लगी रोक. फिजूलखर्ची रोकने को आगे आया यादव समाज. अन्य समाज से भी की फिजूलखर्ची रोकने के लिए अभियान चलाने की अपील.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 3 hours ago

Updated : 2 hours ago

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यूपी में यादव समाज का बड़ा फैसला. (Photo Credit; ETV Bharat Archive)

झांसी: महंगाई के इस दौर में किसी की मृत्यु के बाद रीति रिवाज को निभाते हुए होने वाले फिजूल खर्चों पर रोक लगाने के लिए झांसी में यादव समाज ने एक अहम फरमान जारी किया है. यादव समाज की हुई इस बैठक में सर्वसहमति से तेरहवीं भोज पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया. फरमान में तेरहवीं में छपने वाले निमंत्रण कार्ड पर भी रोक लगाई गई है.

जिम्मेदारों ने बताया कि ये नियम आज से ही यादव समाज के सभी लोगों पर लागू होगा. यदि कोई ऐसा करता है तो उसका सामूहिक सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा. उन्होंने अन्य समाज के लोगों से भी ऐसी फिजूलखर्ची के विरुद्ध मुहिम चलाने की अपील की है.

यादव समाज के फरमान के बारे में बताते सदस्य रघुवीर सिंह यादव. (Video Credit; ETV Bharat)

झांसी जिले के मोंठ में शनिवार शाम एक बैंक्वेट हॉल में यादव समाज के जिम्मेदार बुजुर्ग और समाज में अच्छी पकड़ रखने वाले व्यक्तियों के बीच बैठक हुई. बैठक में मृत्यु के बाद होने वाले तेरहवीं भोज और उसमे छपने वाले निमंत्रण का सर्वसहमति से बहिष्कार किया गया.

तेरहवीं भोज का बहिष्कार क्यों: बैठक की अध्यक्षता कर रहे रघुवीर सिंह यादव खलार ने कहा कि परिवार में जब किसी की मौत होती है तो उस समय सभी लोग दुखी रहते हैं. लेकिन, सदियों से चले आ रहे रीति-रिवाज का मजबूरन पालना करते हुए दुखी मन से भोज जैसे आयोजनों को करना पड़ता है, जिससे समाज के लोग दिन प्रतिदिन कर्ज तले दबते जा रहे हैं. कई परिवार तो इस कुप्रथा के कारण बर्बाद हो गए हैं.

तेरहवीं की जगह कन्या भोज किया जाए: रघुवीर सिंह यादव ने बताया की ऐसे में त्रियोदशी करना ठीक नहीं है. पुराणों में त्रियोदशी करने का कहीं भी उल्लेख नहीं है. ऐसे में लोगों को परिजनों की आत्मा की शांति के लिए कन्या भोज करना चाहिए. बैठक में मौजूद लोगों ने रघुवीर यादव के सुझाव को सहमति दी और फरमान जारी करते हुए सभी से अपील करते हुए कहा की आज से ही नगर में यादव समाज के लोग ऐसे आयोजनों में शामिल नहीं होंगे. यह एक कुप्रथा है, जिसे जल्द से जल्द बंद होना चाहिए.

Yadav Community
यादव समाज की बैठक में शामिल हुए लोग. (Photo Credit; ETV Bharat)

फरमान न मानने वालों का होगा हुक्का-पानी बंद: रघुवीर यादव ने बताया कि मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के कई शहरों और गांव में यह कुप्रथा पहले ही बंद हो चुकी है. अब हम सबको भी इस कुप्रथा से दूर होना ही होगा. तेरहवीं की जगह पर लोग ब्राह्मण भोज और कन्या भोज अपने परिजनों की आत्मा की शांति के लिए कर सकते हैं.

बैठक में इस कुप्रथा को बंद करने के लिए एक कमेटी गठित की गई. इस कुप्रथा को बंद करने के लिए प्रचार प्रसार भी किया जाएगा. जिसकी जिम्मेदारी कमेटी सदस्यों पर होगी. रघुवीर यादव ने बताया की इस काम की शुरुआत सिर्फ मोंठ नगर में की गई है. आगे पूरे जिले में इसको लागू करने के लिए समाज के अन्य लोगों से संपर्क कर एक बड़ा अभियान चलाया जाएगा.

कुरैशी समाज कई साल पहले लगा चुका है रोक: झांसी में मुस्लिम समाज में आने वाले कुरैशी समाज के लोग कई साल पहले ही इस तरह की मुहिम चला चुके हैं, जिसमें सरल निकाह के नाम की एक मुहिम है, जिसमें समाज शादियां बिना दहेज और बिना दावत के किया जान तय है. इसी समाज में मौत के बाद होने वाले चालीसवें के खाने पर भी पूरी तरह से रोक है. कुरैशी समाज यह मुहिम झांसी से शुरू हुई थी. लेकिन, इसका विस्तार होते होते बुंदेलखंड के कई क्षेत्रों के अलावा मध्य प्रदेश के इलाकों में भी लागू हो चुकी है.

ये भी पढ़ेंः हाय...ये अक्टूबर की गर्मी; यूपी में दिन-रात का तापमान हुआ बराबर, सबके मन में एक ही सवाल, कब आएगी सर्दी?

झांसी: महंगाई के इस दौर में किसी की मृत्यु के बाद रीति रिवाज को निभाते हुए होने वाले फिजूल खर्चों पर रोक लगाने के लिए झांसी में यादव समाज ने एक अहम फरमान जारी किया है. यादव समाज की हुई इस बैठक में सर्वसहमति से तेरहवीं भोज पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया गया. फरमान में तेरहवीं में छपने वाले निमंत्रण कार्ड पर भी रोक लगाई गई है.

जिम्मेदारों ने बताया कि ये नियम आज से ही यादव समाज के सभी लोगों पर लागू होगा. यदि कोई ऐसा करता है तो उसका सामूहिक सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा. उन्होंने अन्य समाज के लोगों से भी ऐसी फिजूलखर्ची के विरुद्ध मुहिम चलाने की अपील की है.

यादव समाज के फरमान के बारे में बताते सदस्य रघुवीर सिंह यादव. (Video Credit; ETV Bharat)

झांसी जिले के मोंठ में शनिवार शाम एक बैंक्वेट हॉल में यादव समाज के जिम्मेदार बुजुर्ग और समाज में अच्छी पकड़ रखने वाले व्यक्तियों के बीच बैठक हुई. बैठक में मृत्यु के बाद होने वाले तेरहवीं भोज और उसमे छपने वाले निमंत्रण का सर्वसहमति से बहिष्कार किया गया.

तेरहवीं भोज का बहिष्कार क्यों: बैठक की अध्यक्षता कर रहे रघुवीर सिंह यादव खलार ने कहा कि परिवार में जब किसी की मौत होती है तो उस समय सभी लोग दुखी रहते हैं. लेकिन, सदियों से चले आ रहे रीति-रिवाज का मजबूरन पालना करते हुए दुखी मन से भोज जैसे आयोजनों को करना पड़ता है, जिससे समाज के लोग दिन प्रतिदिन कर्ज तले दबते जा रहे हैं. कई परिवार तो इस कुप्रथा के कारण बर्बाद हो गए हैं.

तेरहवीं की जगह कन्या भोज किया जाए: रघुवीर सिंह यादव ने बताया की ऐसे में त्रियोदशी करना ठीक नहीं है. पुराणों में त्रियोदशी करने का कहीं भी उल्लेख नहीं है. ऐसे में लोगों को परिजनों की आत्मा की शांति के लिए कन्या भोज करना चाहिए. बैठक में मौजूद लोगों ने रघुवीर यादव के सुझाव को सहमति दी और फरमान जारी करते हुए सभी से अपील करते हुए कहा की आज से ही नगर में यादव समाज के लोग ऐसे आयोजनों में शामिल नहीं होंगे. यह एक कुप्रथा है, जिसे जल्द से जल्द बंद होना चाहिए.

Yadav Community
यादव समाज की बैठक में शामिल हुए लोग. (Photo Credit; ETV Bharat)

फरमान न मानने वालों का होगा हुक्का-पानी बंद: रघुवीर यादव ने बताया कि मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के कई शहरों और गांव में यह कुप्रथा पहले ही बंद हो चुकी है. अब हम सबको भी इस कुप्रथा से दूर होना ही होगा. तेरहवीं की जगह पर लोग ब्राह्मण भोज और कन्या भोज अपने परिजनों की आत्मा की शांति के लिए कर सकते हैं.

बैठक में इस कुप्रथा को बंद करने के लिए एक कमेटी गठित की गई. इस कुप्रथा को बंद करने के लिए प्रचार प्रसार भी किया जाएगा. जिसकी जिम्मेदारी कमेटी सदस्यों पर होगी. रघुवीर यादव ने बताया की इस काम की शुरुआत सिर्फ मोंठ नगर में की गई है. आगे पूरे जिले में इसको लागू करने के लिए समाज के अन्य लोगों से संपर्क कर एक बड़ा अभियान चलाया जाएगा.

कुरैशी समाज कई साल पहले लगा चुका है रोक: झांसी में मुस्लिम समाज में आने वाले कुरैशी समाज के लोग कई साल पहले ही इस तरह की मुहिम चला चुके हैं, जिसमें सरल निकाह के नाम की एक मुहिम है, जिसमें समाज शादियां बिना दहेज और बिना दावत के किया जान तय है. इसी समाज में मौत के बाद होने वाले चालीसवें के खाने पर भी पूरी तरह से रोक है. कुरैशी समाज यह मुहिम झांसी से शुरू हुई थी. लेकिन, इसका विस्तार होते होते बुंदेलखंड के कई क्षेत्रों के अलावा मध्य प्रदेश के इलाकों में भी लागू हो चुकी है.

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