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यूपी के 30 जिलों में 60 दिन तक नहीं बिकेंगे धान में छिड़काव के ये 10 पेस्टीसाइड; बासमती निर्यातकों ने जताई आपत्ति - UP Paddy Purchase

यूपी के जिन 30 जनपदों में कीटनाशकों को प्रतिबंधित किया गया है, उनमें से एक जिला फिरोजाबाद भी है. प्रदेश के 30 जनपदों के लिए 10 कीटनाशक दवाओं को 60 दिन के लिए प्रतिबन्धित किए जाने के पीछे मुख्य कारण बासमती चावल का निर्यात बढ़ाने और इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुकूल बनाने का है.

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यूपी के 30 जिलों में 60 दिन तक नहीं बिकेगा धान. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 20, 2024, 5:08 PM IST

Updated : Sep 20, 2024, 5:47 PM IST

फिरोजाबाद: यूपी के 30 जिलों में सरकार ने 10 कीटनाशक दवाओं को प्रतिबंधित कर दिया गया है. दरअसल में इन दवाओं का प्रयोग बासमती चावल की फसल को रोगों से बचाने के लिए किया जाता है लेकिन, विदेश में निर्यात किए जाने वाले बासमती चावलों में ऐसे रसायनों की मात्रा अधिक पाए जाने पर चावलों के निर्यात में कमी आने के बाद राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है.

यूपी के जिन 30 जनपदों में कीटनाशकों को प्रतिबंधित किया गया है, उनमें से एक जिला फिरोजाबाद भी है. फिरोजाबाद के जिला कृषि रक्षा अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि प्रदेश के 30 जनपदों के लिए 10 कीटनाशक दवाओं को 60 दिनों के लिए प्रतिबन्धित किए जाने के पीछे मुख्य कारण बासमती चावल का निर्यात बढ़ाने और इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुकूल बनाने का है. इसी उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने दस कीटनाशकों के प्रयोग को प्रतिबंधित किया है.

उन्होंने बताया कि बासमती चावल में लगने वाले कीटों एवं रोगों की रोकथाम के लिए किसानों द्वारा कृषि रक्षा रसायनों का प्रयोग किया जाता है. इन रसायनों के अवशेष चावल में पाए जा रहे हैं. जिससे निर्यात प्रभावित हो रहा है. बासमती चावल में फफूंदनाशक रसायन ट्राईसाइक्लाजोल अधिकतम कीटनाशी अवशेष स्तर (एमआरएल) से अधिक पाए जाने के कारण निर्यात में 15 प्रतिशत की कमी आई है.

एपीडा (एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेकंट अथारिटी) द्वारा कृषि विभाग को अवगत कराया गया है कि यूरोपीय संघ द्वारा बासमती चावल में ट्राईसाइक्लाजोल रसायन की मात्रा मानक से अधिक पाए जाने के कारण इसके यूरोप, अमेरिका और खाड़ी देशों के निर्यात में कमी आई है.

इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश शासन द्वारा 60 दिनों की अवधि के लिए राज्य के 30 जिलों यथा आगरा, अलीगढ़, औरेया, बागपत, बरेली, बिजनौर, बदायूं, बुलन्दशहर, एटा, कासगंज, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, इटावा, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, हापुड़, हाथरस, मथुरा, मैनपुरी, मेरठ, मुरादाबाद, अमरोहा, कन्नौज, मुजफ्फरनगर, शामली, पीलीभीत, रामपुर, सहारनपुर, शाहजहांपुर एवं सम्भल में बासमती चावल में ट्राईसाइक्लाजोल, ब्यूप्रोफेजिनएसीफेट, क्लोरोपाइरीफास, हेक्साकोनोजोल, प्रोपिकोनाजोल, थायोमेथाक्साम, प्रोफेनोफास, इमिडाक्लोप्रिड एवं कार्बण्डाजिम कीटनाशकों के सभी प्रकार के फार्मूलेशन की बिक्री, वितरण और प्रयोग को प्रतिबंधित किया गया है.

इससे गुणवत्तायुक्त बासमती चावल के निर्यात में वृद्धि की जा सकेगी. जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने जनपद के सभी कीटनाशी विक्रेताओं को निर्देशित किया है कि कोई भी विक्रेता बासमती धान में लगने वाले विभिन्न प्रकार के कीटों और बीमारियों में प्रतिबंधित किए गए कीटनाशकों का प्रयोग न कराएं. यदि किसी विक्रेता को ऐसे कीटनाशकों की बिक्री करते पाया जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

सभी कीटनाशक विक्रेताओं को सलाह दी जाती है कि बासमती धान में सन्तुलित मात्रा में वैकल्पिक कीटनाशकों का प्रयोग करने, नियंत्रण की आईपीएम पद्धितियों का प्रयोग करने एवं जैव कीटनाशकों जैसे नीम ऑयल, ट्राईकोडरमा, व्युवेरिया बेसियाना, स्यूडोमोनास, मैटाराइजियम, बीटी, एनपीवी की बिक्री को बढ़ाया जाए तथा कुछ वैकल्पिक उपायों जैसे लाइट ट्रेप, फेरोमोन ट्रेप, स्टिकी ट्रेप और ट्राइकोकार्ड का प्रयोग कराया जाए.

जनपद के बासमती उत्पादक किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि फसल पकने के एक माह पूर्व से कीटनाशकों का प्रयोग पूर्ण रूप से बन्द कर दें, जिससे कटाई के उपरान्त फसल में कीटनाशकों के अवशेष विद्यमान न रहें.

ये भी पढ़ेंः इस साल अच्छे मानसून की वजह से धान की बुआई सामान्य से अधिक, बेहतर पैदावार की उम्मीद

फिरोजाबाद: यूपी के 30 जिलों में सरकार ने 10 कीटनाशक दवाओं को प्रतिबंधित कर दिया गया है. दरअसल में इन दवाओं का प्रयोग बासमती चावल की फसल को रोगों से बचाने के लिए किया जाता है लेकिन, विदेश में निर्यात किए जाने वाले बासमती चावलों में ऐसे रसायनों की मात्रा अधिक पाए जाने पर चावलों के निर्यात में कमी आने के बाद राज्य सरकार ने यह कदम उठाया है.

यूपी के जिन 30 जनपदों में कीटनाशकों को प्रतिबंधित किया गया है, उनमें से एक जिला फिरोजाबाद भी है. फिरोजाबाद के जिला कृषि रक्षा अधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि प्रदेश के 30 जनपदों के लिए 10 कीटनाशक दवाओं को 60 दिनों के लिए प्रतिबन्धित किए जाने के पीछे मुख्य कारण बासमती चावल का निर्यात बढ़ाने और इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुकूल बनाने का है. इसी उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने दस कीटनाशकों के प्रयोग को प्रतिबंधित किया है.

उन्होंने बताया कि बासमती चावल में लगने वाले कीटों एवं रोगों की रोकथाम के लिए किसानों द्वारा कृषि रक्षा रसायनों का प्रयोग किया जाता है. इन रसायनों के अवशेष चावल में पाए जा रहे हैं. जिससे निर्यात प्रभावित हो रहा है. बासमती चावल में फफूंदनाशक रसायन ट्राईसाइक्लाजोल अधिकतम कीटनाशी अवशेष स्तर (एमआरएल) से अधिक पाए जाने के कारण निर्यात में 15 प्रतिशत की कमी आई है.

एपीडा (एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेकंट अथारिटी) द्वारा कृषि विभाग को अवगत कराया गया है कि यूरोपीय संघ द्वारा बासमती चावल में ट्राईसाइक्लाजोल रसायन की मात्रा मानक से अधिक पाए जाने के कारण इसके यूरोप, अमेरिका और खाड़ी देशों के निर्यात में कमी आई है.

इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश शासन द्वारा 60 दिनों की अवधि के लिए राज्य के 30 जिलों यथा आगरा, अलीगढ़, औरेया, बागपत, बरेली, बिजनौर, बदायूं, बुलन्दशहर, एटा, कासगंज, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, इटावा, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, हापुड़, हाथरस, मथुरा, मैनपुरी, मेरठ, मुरादाबाद, अमरोहा, कन्नौज, मुजफ्फरनगर, शामली, पीलीभीत, रामपुर, सहारनपुर, शाहजहांपुर एवं सम्भल में बासमती चावल में ट्राईसाइक्लाजोल, ब्यूप्रोफेजिनएसीफेट, क्लोरोपाइरीफास, हेक्साकोनोजोल, प्रोपिकोनाजोल, थायोमेथाक्साम, प्रोफेनोफास, इमिडाक्लोप्रिड एवं कार्बण्डाजिम कीटनाशकों के सभी प्रकार के फार्मूलेशन की बिक्री, वितरण और प्रयोग को प्रतिबंधित किया गया है.

इससे गुणवत्तायुक्त बासमती चावल के निर्यात में वृद्धि की जा सकेगी. जिला कृषि रक्षा अधिकारी ने जनपद के सभी कीटनाशी विक्रेताओं को निर्देशित किया है कि कोई भी विक्रेता बासमती धान में लगने वाले विभिन्न प्रकार के कीटों और बीमारियों में प्रतिबंधित किए गए कीटनाशकों का प्रयोग न कराएं. यदि किसी विक्रेता को ऐसे कीटनाशकों की बिक्री करते पाया जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

सभी कीटनाशक विक्रेताओं को सलाह दी जाती है कि बासमती धान में सन्तुलित मात्रा में वैकल्पिक कीटनाशकों का प्रयोग करने, नियंत्रण की आईपीएम पद्धितियों का प्रयोग करने एवं जैव कीटनाशकों जैसे नीम ऑयल, ट्राईकोडरमा, व्युवेरिया बेसियाना, स्यूडोमोनास, मैटाराइजियम, बीटी, एनपीवी की बिक्री को बढ़ाया जाए तथा कुछ वैकल्पिक उपायों जैसे लाइट ट्रेप, फेरोमोन ट्रेप, स्टिकी ट्रेप और ट्राइकोकार्ड का प्रयोग कराया जाए.

जनपद के बासमती उत्पादक किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि फसल पकने के एक माह पूर्व से कीटनाशकों का प्रयोग पूर्ण रूप से बन्द कर दें, जिससे कटाई के उपरान्त फसल में कीटनाशकों के अवशेष विद्यमान न रहें.

ये भी पढ़ेंः इस साल अच्छे मानसून की वजह से धान की बुआई सामान्य से अधिक, बेहतर पैदावार की उम्मीद

Last Updated : Sep 20, 2024, 5:47 PM IST
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