लखनऊ: यूपी जल निगम शहरी के करीब साढ़े नौ हजार कर्मचारियों और पेंशनर्स को बीते चार महीने से सैलरी-पेंशन नहीं मिली है. हालात ऐसे हो गई हैं कि किसी पेंशनर के पास दवा खरीदने के पैसे नहीं हैं. इसके साथ इन कर्मचारियों को बच्चों को पढ़ाने में भी समस्या आ रही है. जल निगम शहरी के पास लगातार काम नहीं है. इसी काम की वजह से जल निगम को सरकार से पैसा मिलता था. ऐसे में निग बंदी की कगार पर पहुंच गया है. चार माह से सैलरी न मिलने से कर्मचारी परेशान हैं. यूनियन का कहना है कि इस संबंध में कोई भी अधिकारी खुलकर नहीं बोल रहा है. वहीं नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने इस मामले में जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं.
इस वजह से हुआ था अलगः पहले जल निगम ग्रामीण और शहरी एक साथ काम करते थे. मगर जल जीवन मिशन पर काम तेज होने की वजह से हर घर नल से जल योजना ने काम करना शुरू किया. इसकी वजह से जल निगम ग्रामीण अलग हो गया और जल निगम शहरी अलग काम करने लगा. जल निगम ग्रामीण को जल जीवन मिशन से पैसा मिलने की वजह से वेतन की कोई दिक्कत नहीं है. जल निगम शहरी निर्माण एजेंसी के तहत काम करती है. कामना होने की वजह से जल निगम की आय नहीं हो रही जिसकी वजह से निगम अब बंदी कगार पर है.
चार महीने से नहीं मिली सैलरी-पेंशनः डिप्लोमा इंजीनियर्स पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश जल निगम के अध्यक्ष एसपी मिश्रा बताते हैं कि जल निगम नगरीय में 7142 पेंशनर्स और पारिवारिक पेंशनर्स हैं. इसके अलावा 2342 कर्मचारी हैं, जिन्हें चार महीने से सैलरी और पेंशन नहीं मिली है. हालात यह हैं कि किसी पेंशनर के पास दवा खरीदन के लिए पैसे नहीं हैं तो कोई कर्मचारी बच्चों के स्कूल की फीस नहीं भर पा रहा है. रोजमर्रा की जरूरतों के लिए इन कर्मचारियों, अधिकारियों और पेंशनरों को उधार तक लेना पड़ रहा है. अब तो हालात यह हैं कि दुकानदारों ने उधार में राशन देना भी बंद कर दिया है. कर्जा देने से भी लोग इनकार कर रहे हैं. पहले से दिया कर्जा चुकाने का भी दबाव बनाया जा रहा है. इस संबंध में नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने अधिकारियों को जरूरी कदम उठाने के लिए दिशा निर्देश दिए हैं.
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