कानपुर: कानपुर के डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह मंगलवार रात को अचानक अंग्रेजों के जमाने के घाट मैस्कर घाट पर हो रहे निर्माण कार्यों को देखने पहुंच गए. इस दौरान वहां टूटी सीढ़ियां और गायब बोर्ड को देखकर वह बेहद नाराज हो गए. उन्होंने महाकुंभ के दो स्नान बीतने के बाद तक घाट तैयार न होने पर गहरी नाराजगी जताई. साथ ही अफसरों को जमकर फटाकारा.
क्या कहा डीएम नेः पांच माह में आपने किया क्या? कब ये काम खत्म करोगे? आपने तमाशा बना रखा है. महाकुंभ से पहले अगर मैस्कर घाट का काम पूरा कर लेते, तो यहां लाखों श्रद्धालु आकर आस्था की डुबकी लगा सकते थे. ये क्या तरीका बना रखा है? परियोजना का बोर्ड कहां है? क्या नाम है आपका? इतनी लापरवाही बर्दाश्त नहीं. डीएम ने यह फटकार पर्यटन विकास निगम लिमिटेड के सहायक प्रबंधक राजीव डिमरी को लगाई.
93 लाख से बन रहा घाटः डीएम कानपुर जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया मैस्कर घाट परियोजना को 15 मार्च 2024 को स्वीकृति मिल गई थी. इस परियोजना में कुल 93 लाख रुपये खर्च किए जाने हैं. अगस्त में इसका टेंडर कराया जा चुका है. पहली किस्त के तौर पर 45.75 लाख रुपये पर्यटन विकास निगम को मिल भी गए हैं मगर, ठेकेदार को अभी तक एक भी रुपये का पेमेंट नहीं हुआ. इस परियोजना में काम की वित्तीय प्रगति शून्य है. जिम्मेदार अफसर चाह लेते तो शायद महाकुंभ के स्नान पर्वों से ही इस घाट का सुंदरीकरण हो जाता और यहां भी श्रद्धालु आकर स्नान कर लेते.
महाकुंभ स्नान के दौरान बुरी हालत देखकर गुस्साएः दरअसल, मौजूदा समय में महाकुंभ का स्नान चल रहे हैं. अभी मौनी अमावस्या समेत कई स्नान बाकी हैं. जब इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया गया था तब उम्मीद थी कि महाकुंभ से पहले ही इस प्रोजेक्ट का काम पूरा हो जाएगा. शहर के साथ ही बाहर से आने वाले भक्त भी इस घाट पर गंगा स्नान कर सकेंगे. इस वजह से शासन की ओर से पहली किस्त भी जारी कर दी गई. डीएम को मौके पर टूटी सीढ़ियां मिली. इसे देखकर वह नाराज हो गए.
बोर्ड तक नहीं लगायाः डीएम की सबसे ज्यादा नाराजगी उस वक्त नजर आई जब उन्हें मौके पर परियोजना का बोर्ड तक नहीं मिला. उन्होंने कहा कि यह सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है. इसके बावजूद बड़े पैमाने पर लापरवाही मिली है. घाट पर परियोजना का बोर्ड तक नहीं लगाया गया.
क्यों खास है मैस्कर घाटः मैस्कर घाट अंग्रेजों के जमाने का घाट है. यहां 1857 की पहली क्रांति के दौरान नाव से गंगा पार कर रहे अंग्रेजों को क्रांतिकारियों ने मौत के घाट उतार दिया था. अंग्रेजों ने इसका बदला लेने के लिए कई क्रांतिकारियों को नानाराव पार्क के बूढ़े बरगद पेड़ पर फांसी पर लटका दिया था. यह कानपुर की क्रांति का अमूल्य गवाह है. इसी वजह से योगी सरकार इसे संवारना चाहती है. अब घाट निर्माण में बड़ी लापरवाही उजागर हुई है.