लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार के एक ताजा आदेश ने उत्तर प्रदेश में भाजपा के आला नेताओं के पर कतर दिए हैं. प्रदेश सरकार के आदेश में कहा गया है कि सरकारी अफसरों के लिए सांसद, विधायक के अलावा बाकी सभी नेताओं ने अगर कोई शिकायत की तो उनको साथ में हलफनामा देना होगा. बिना हलफनामा दिए कोई भी शिकायत स्वीकार नहीं की जाएगी. हलफनामा देकर नेता अगर किसी अन्य व्यक्ति की शिकायत को आगे बढ़ाएगा तो उसको इस शिकायत की पूरी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी.
गौरतलब है कि भाजपा नेताओं को आमतौर से यह शिकायत रहती है कि सरकार में अधिकारी उनकी सुनते नहीं हैं. संगठन का सरकार पर आरोप रहता है कि बीजेपी नेताओं की सुनवाई नहीं की जाती है. भाजपा नेताओं के बीच कार्मिक विभाग की ओर से जारी यह आदेश आग में घी का काम करेगा. इस शासनादेश को कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी की ओर से जारी किया गया है. इसमें कहा गया है कि सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों के विरुद्ध विभिन्न स्रोतों से प्राप्त शिकायती पत्रों के निस्तारण के लिए यह खास शासनादेश किया गया है.
इस शासनादेश के मुताबिक, विशिष्ट व्यक्तियों से प्राप्त शिकायती पत्रों के सम्बन्ध में कार्यवाही आरम्भ करने से पूर्व, सम्बन्धित विशिष्ट व्यक्ति को पत्र भेजकर यह पुष्टि करा ली जाएगी कि पत्र उन्हीं के द्वारा हस्ताक्षरित है और शिकायतों के सम्बन्ध में उनका संतोष हो गया है कि शिकायतें तथ्यों पर आधारित हैं. आदेश के मुताबिक, विशिष्ट व्यक्तियों में केवल वर्तमान सांसदों और विधायकों को ही लिया जाएगा. विभिन्न संवैधानिक निकायों (Statutory body) के वर्तमान अध्यक्षों को भी विशिष्ट व्यक्तियों को भी शामिल किया जाएगा.
इसके अलावा अन्य स्रोतों/व्यक्तियों से प्राप्त शिकायतों के सम्बन्ध में शिकायतकर्ता से इस बारे में एक शपथ-पत्र उपलब्ध कराने व शिकायतों की पुष्टि के लिए समुचित साक्ष्य उपलब्ध कराने को कहा जाएगा. उनके प्राप्त होने के उपरान्त ही आगे की कार्यवाही की जाएगी. इसी क्रम में यह भी स्पष्ट किया जाता है कि यदि किसी अन्य शिकायतकर्ता के शिकायती पत्र को विशिष्ट व्यक्तियों द्वारा अपने पत्र के माध्यम से आगे बढ़ाया जाएगा तब ऐसे शिकायतकर्ता से शपथ-पत्र प्राप्त करते हुए शिकायतों की पुष्टि के लिए समुचित साक्ष्य उपलब्ध कराए जाने पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.
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