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16 लाख के भुने आलू चट हो गए इस मेले में, दुकानदार मालामाल, क्या है रेसिपी-कितना मुनाफा जानिए - UP NEWS

13 जनवरी से शुरु हुए फर्रुखाबाद के मेला रामनगरिया में देशभर से पहुंच रहे भुने आलू के दीवाने.

up farrukhabad mini mahakumbh 2025 mela ramnagariya roasted potatoes traded.
यूपी के मिनी महाकुंभ में अब तक चट हो गए 16 लाख के भुने आलू. (photo credit: Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 20, 2025, 9:21 AM IST

Updated : Jan 20, 2025, 10:19 AM IST

फर्रुखाबादः प्रयागराज महाकुंभ के बाद जिले के मेला राम नगरिया को यूपी का मिनी महाकुंभ कहा जाता है. यहां प्रयागराज की तरह ही 13 जनवरी को पहले स्नान के साथ ही कल्पवास शुरू हो चुका है. यहां से दूर-दराज के जिलों से भक्तों के पहुंचने का सिलसिला जारी है. इस दौरान यहां एक कारोबार आजकल खूब फल-फूल रहा है. यह कारोबार है भुने आलू का. करीब एक महीने तक चलने वाले इस मिनी महाकुंभ में आने वाले यहां के भुने आलू खाए बिना खुद को रोक नहीं पाते हैं. दुकानदारों की मानें तो बीते 13 से 20 जनवरी तक करीब 16 लाख रुपए तक का कारोबार हो चुका है. अभी स्नान में भक्तों की संख्या बढ़ने पर कारोबार में और उछाल आ सकता है.


रोज दो लाख की कमाईः आलू कारोबारी सुरेंद्र और रामकिशन की मानें तो मेला परिक्षेत्र में करीब 60 से 65 दुकानें लगीं हैं. हर दुकान पर रोज करीब 400 से 500 ग्राहक पहुंच रहे हैं. रामकिशन की मानें तो वह रोज करीब तीन से चार हजार रुपए भुने आलू को बेचकर कमा ले रहे हैं. इस लिहाज से यदि 65 दुकानदारों की औसत कमाई रोज करीब 3000 रुपए मानी जाए तो करीब 1.95 लाख यानी करीब दो लाख रुपए का कारोबार हो रहा है. मेला 13 जनवरी से शुरू हुआ है. 20 जनवरी तक यहां रोज दो लाख रुपए के कारोबार के साथ अब तक 16 लाख रुपए का कुल कारोबार हो चुका है. दुकानदारों का कहना है कि अभी मौनी अमावस्या समेत की स्नान बाकी है. कारोबार में और इजाफा होगा. दुकानदारों की मानें तो माघ मेला एक महीने तक चलता है. इस लिहाज से यहां भुने आलू का कारोबार 60-65 लाख रुपए तक पहुंच सकता है.


कितना मुनाफा मिलता है: भुना आलू कारोबारी रामकिशन की मानें तो वह थोक में आलू 20 रुपए किलो में खरीदते हैं. इसके बाद वह इसे साफ करते हैं. इसमें 32 तरह के मसालों का लेप लगाया जाता है. इसके बाद इसे बालू में भूना जाता है. बालू में इसे तब तक भुना जाता है जब तक यह पूरी तरह से पक न जाए. इसके बाद इसे मक्खन, देशी घी समेत कई तरह के फ्लेवर के साथ ग्राहक के सामने परोसा जाता है. इस आलू की खासियत इसकी चटनी भी है जिसमें कई तरह का मिश्रण शामिल रहता है. चटनी को भी कई तरह के मसालों के मिश्रण के साथ तैयार किया जाता है. चटनी को सिलबट्टे पर पीसा जाता है ताकि ग्राहकों को घर का स्वाद मिल सके. इस आलू को ग्राहकों को 100 रुपए किलों में बेचा जाता है. सभी खर्चे काटने के बाद काफी मुनाफा बच जाता है.


24 घंटे हो रही बिक्रीः दुकानदारों की मानें तो इस वक्त यहां आलू खाने दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, मुंबई,आगरा समय देश के कोने कोने से लोग आ रहे हैं. लोग परिवार के साथ इन भुने आलू का आनंद उठा रहे हैं. ग्राहकों को आलू बेहद पसंद आता है.

फर्रुखाबाद के मेला रामनगरिया में देशभर से पहुंच रहे भुने आलू के दीवाने. (video credit: Etv Bharat)
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फर्रुखाबाद का मिनी महाकुंभ मेला रामनगरिया. (photo credit: Etv Bharat)
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भुने आलू तैयार हो रहे. (photo credit: Etv Bharat)
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भुने आलू का आनंद लेते लोग. (photo credit: Etv Bharat)


ग्राहक क्या बोलेः यहां आने वाली प्रीति मिश्रा, ज्योति पांडेय, विजय कुमारी मिश्रा, आशीष पांडे, शिवानी दीक्षित और गजेंद्र ने बताया कि उन्हें यहां के भुने आलू बेहद पसंद हैं. वह जब भी यहां आते हैं तो यह आलू जरूर खाते हैं. ऐसा स्वाद कहीं भी नहीं मिलता है. ये भुने आलू सिर्फ मेला रामनगरिया में ही मिलते हैं. भुने आलू का स्वाद लाजवाब है.

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भुने आलू. (photo credit: Etv Bharat)
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भुने आलू के लिए तैयार हो रही चटनी. (photo credit: Etv Bharat)



कब से हो रहा कारोबारः जानकारी के मुताबिक वर्ष 1965 में आयोजित माघ मेले में स्वामी श्रद्धानंद के प्रस्ताव से माघ मेले का नाम रामनगरिया रखा गया. वर्ष 1970 में गंगा तट पर पुल का निर्माण कराया गया. इसे लोहिया सेतु नाम दिया गया था पुल का निर्माण हो जाने से मेले में कल्पवासियों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ने लगी. फर्रुखाबाद के आसपास के सभी जिलों में के श्रद्धालु कल्पवास को आने लगे. वर्ष 1985 में यह संख्या काफी बढ़ गई. जब से मेला राम नगरिया में लोगों की भीड़ बढ़ी तभी से यहां भुने आलू का कारोबार भी बढ़ने लगा. अब यह कारोबार काफी बढ़ा हो गया है.


ये भी पढ़ेंः प्रयागराज महाकुंभ; IIT बाबा अभय सिंह बोले- मैं चेला नहीं बनने आया हूं, संतों ने कहा- उनकी हरकतें ठीक नहीं

ये भी पढ़ेंः 2 साल में 40 लाख का टर्नओवर, बनारस की ये फिशर मैडम हर महीने मछली बेचकर 3 लाख कमा रहीं

फर्रुखाबादः प्रयागराज महाकुंभ के बाद जिले के मेला राम नगरिया को यूपी का मिनी महाकुंभ कहा जाता है. यहां प्रयागराज की तरह ही 13 जनवरी को पहले स्नान के साथ ही कल्पवास शुरू हो चुका है. यहां से दूर-दराज के जिलों से भक्तों के पहुंचने का सिलसिला जारी है. इस दौरान यहां एक कारोबार आजकल खूब फल-फूल रहा है. यह कारोबार है भुने आलू का. करीब एक महीने तक चलने वाले इस मिनी महाकुंभ में आने वाले यहां के भुने आलू खाए बिना खुद को रोक नहीं पाते हैं. दुकानदारों की मानें तो बीते 13 से 20 जनवरी तक करीब 16 लाख रुपए तक का कारोबार हो चुका है. अभी स्नान में भक्तों की संख्या बढ़ने पर कारोबार में और उछाल आ सकता है.


रोज दो लाख की कमाईः आलू कारोबारी सुरेंद्र और रामकिशन की मानें तो मेला परिक्षेत्र में करीब 60 से 65 दुकानें लगीं हैं. हर दुकान पर रोज करीब 400 से 500 ग्राहक पहुंच रहे हैं. रामकिशन की मानें तो वह रोज करीब तीन से चार हजार रुपए भुने आलू को बेचकर कमा ले रहे हैं. इस लिहाज से यदि 65 दुकानदारों की औसत कमाई रोज करीब 3000 रुपए मानी जाए तो करीब 1.95 लाख यानी करीब दो लाख रुपए का कारोबार हो रहा है. मेला 13 जनवरी से शुरू हुआ है. 20 जनवरी तक यहां रोज दो लाख रुपए के कारोबार के साथ अब तक 16 लाख रुपए का कुल कारोबार हो चुका है. दुकानदारों का कहना है कि अभी मौनी अमावस्या समेत की स्नान बाकी है. कारोबार में और इजाफा होगा. दुकानदारों की मानें तो माघ मेला एक महीने तक चलता है. इस लिहाज से यहां भुने आलू का कारोबार 60-65 लाख रुपए तक पहुंच सकता है.


कितना मुनाफा मिलता है: भुना आलू कारोबारी रामकिशन की मानें तो वह थोक में आलू 20 रुपए किलो में खरीदते हैं. इसके बाद वह इसे साफ करते हैं. इसमें 32 तरह के मसालों का लेप लगाया जाता है. इसके बाद इसे बालू में भूना जाता है. बालू में इसे तब तक भुना जाता है जब तक यह पूरी तरह से पक न जाए. इसके बाद इसे मक्खन, देशी घी समेत कई तरह के फ्लेवर के साथ ग्राहक के सामने परोसा जाता है. इस आलू की खासियत इसकी चटनी भी है जिसमें कई तरह का मिश्रण शामिल रहता है. चटनी को भी कई तरह के मसालों के मिश्रण के साथ तैयार किया जाता है. चटनी को सिलबट्टे पर पीसा जाता है ताकि ग्राहकों को घर का स्वाद मिल सके. इस आलू को ग्राहकों को 100 रुपए किलों में बेचा जाता है. सभी खर्चे काटने के बाद काफी मुनाफा बच जाता है.


24 घंटे हो रही बिक्रीः दुकानदारों की मानें तो इस वक्त यहां आलू खाने दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, मुंबई,आगरा समय देश के कोने कोने से लोग आ रहे हैं. लोग परिवार के साथ इन भुने आलू का आनंद उठा रहे हैं. ग्राहकों को आलू बेहद पसंद आता है.

फर्रुखाबाद के मेला रामनगरिया में देशभर से पहुंच रहे भुने आलू के दीवाने. (video credit: Etv Bharat)
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फर्रुखाबाद का मिनी महाकुंभ मेला रामनगरिया. (photo credit: Etv Bharat)
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भुने आलू तैयार हो रहे. (photo credit: Etv Bharat)
up farrukhabad mini mahakumbh 2025 mela ramnagariya roasted potatoes traded.
भुने आलू का आनंद लेते लोग. (photo credit: Etv Bharat)


ग्राहक क्या बोलेः यहां आने वाली प्रीति मिश्रा, ज्योति पांडेय, विजय कुमारी मिश्रा, आशीष पांडे, शिवानी दीक्षित और गजेंद्र ने बताया कि उन्हें यहां के भुने आलू बेहद पसंद हैं. वह जब भी यहां आते हैं तो यह आलू जरूर खाते हैं. ऐसा स्वाद कहीं भी नहीं मिलता है. ये भुने आलू सिर्फ मेला रामनगरिया में ही मिलते हैं. भुने आलू का स्वाद लाजवाब है.

up farrukhabad mini mahakumbh 2025 mela ramnagariya roasted potatoes traded.
भुने आलू. (photo credit: Etv Bharat)
up farrukhabad mini mahakumbh 2025 mela ramnagariya roasted potatoes traded.
भुने आलू के लिए तैयार हो रही चटनी. (photo credit: Etv Bharat)



कब से हो रहा कारोबारः जानकारी के मुताबिक वर्ष 1965 में आयोजित माघ मेले में स्वामी श्रद्धानंद के प्रस्ताव से माघ मेले का नाम रामनगरिया रखा गया. वर्ष 1970 में गंगा तट पर पुल का निर्माण कराया गया. इसे लोहिया सेतु नाम दिया गया था पुल का निर्माण हो जाने से मेले में कल्पवासियों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ने लगी. फर्रुखाबाद के आसपास के सभी जिलों में के श्रद्धालु कल्पवास को आने लगे. वर्ष 1985 में यह संख्या काफी बढ़ गई. जब से मेला राम नगरिया में लोगों की भीड़ बढ़ी तभी से यहां भुने आलू का कारोबार भी बढ़ने लगा. अब यह कारोबार काफी बढ़ा हो गया है.


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Last Updated : Jan 20, 2025, 10:19 AM IST
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