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निदेशक का आदेश; माध्यमिक विद्यालयों में दर्ज हो ऑनलाइन उपस्थिति, विद्यालय बोले- बजट मुहैया कराए सरकार - Secondary School Online Attendance

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 13, 2024, 6:45 PM IST

माध्यमिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित राजकीय और सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों और कर्मचारियों की ऑनलाइन उपस्थिति को लेकर निदेशक ने आदेश जारी किए हैं. वहीं विद्यालयों का कहना है कि सरकार इसके लिए बजट उपलब्ध कराए.

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माध्यमिक विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति लागू करने पर जोर (फोटो क्रेडिट- Etv Bharat)

लखनऊः माध्यमिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित राजकीय व सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों और कर्मचारियों की ऑनलाइन उपस्थिति को लेकर निदेशक ने सख्त आदेश जारी किए हैं. निदेशक ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को आदेश जारी करते हुए कहा है कि वह अपने विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति को शक्ति से लागू करवाए.

विभाग की ओर से माध्यमिक विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति को लेकर अगस्त 2022 में आदेश जारी किया गया था. इस आदेश के बाद माध्यमिक विद्यालयों ने बजट मुहैया करने की मांग सरकार से की थी. तब से यह व्यवस्था ठंडा बस्ते में चली गई थी. अब बेसिक विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति को लेकर शुरू हुए बवाल के बाद माध्यमिक शिक्षा विद्यालयों में भी इसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू की गई है. सभी विश्वविद्यालय, डिग्री कॉलेज, माध्यमिक विद्यालय और बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने को लेकर 2 साल पहले सरकार की ओर से इन संस्थाओं को आदेश जारी किया गया था.

ऑनलाइन अटेंडेंस का टीचर कर रहे विरोध: इस आदेश के बाद राज भवन के निर्देश पर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय जैसे लखनऊ विश्वविद्यालय, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी सहित प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालय में बायोमेट्रिक उपस्थिति को अनिवार्य रूप से लागू कर दिया गया. वहीं बीते 8 जुलाई को बेसिक शिक्षा परिषद ने अपने सभी एक लाख 32 हजार स्कूलों में पढ़ा रहे साढ़े 4 लाख शिक्षकों को ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू किया था. इसके बाद प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक लगातार इसका विरोध कर रहे हैं.

वहीं प्रदेश के डिग्री कॉलेज और माध्यमिक विद्यालयों में यह प्रक्रिया ठंडे बस्ते में पड़ी रही. अब बेसिक विद्यालयों में शुरू हुए विवाद के बीच माध्यमिक शिक्षा परिषद ने भी अपने विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं.

बड़ी मुश्किल से लगे थे सीसीटीवी कैमरे और वॉइस रिकॉर्डर: साल 2017 में प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद यूपी बोर्ड परीक्षा में काफी बदलाव किया गया. इसी के तहत यूपी बोर्ड परीक्षा सीसीटीवी कैमरे और वॉइस रिकॉर्डर की निगरानी में आयोजित करने की प्रक्रिया शुरू हुई. इसको लेकर माध्यमिक शिक्षा मंत्री की तरफ से सभी राजकीय व सहायता प्राप्त विद्यालयों को अपने-अपने विद्यालयों में सीसीटीवी और वॉइस रिकॉर्डर लगाने के निर्देश दिए थे. पर ज्यादातर सहायता प्राप्त विद्यालयों ने बजट के अभाव का हवाला देते हुए इसे लागू करने से इनकार कर दिया था.

सरकार की लगातार सख्ती के बाद करीब 3 साल बाद विभाग इस प्रक्रिया को लागू करने में कामयाब हो पाया था अब ऑनलाइन उपस्थिति को भी लेकर वही समस्या दोबारा खड़ी है. सहायता प्राप्त विद्यालय प्रबंध समिति का कहना है कि उनके विद्यालयों में शिक्षकों की सैलरी का पैसा सरकार देती है. इसके अलावा किसी भी तरह का ग्रांट सरकार की ओर से उनके विद्यालयों को नहीं दिया जाता है. जबकि विद्यालय के इंफ्रास्ट्रक्चर रखरखाव आदि खर्च का जो भी बजट होता है.

वह विद्यालय प्रबंध समिति अपने पास से करती है. इसके अलावा विद्यालय प्रबंध समिति किसी भी छात्र से किसी भी तरह की कोई फीस नहीं लेती है. ऐसे में जो बजट इन विद्यालयों के पास होता है, उसे साल भर का खर्च चलाना भी संभव नहीं हो पता है. ऐसे में सरकार की ओर से बार-बार अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए जो निर्देश दिए जा रहे हैं उस इन विद्यालयों पर आर्थिक दबाव बढ़ता है.

इस संबंध में माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश के मंत्री डॉ आरपी मिश्रा ने कहा कि सरकार को अगर बायोमेट्रिक उपस्थिति आदि लगवाना है तो वह सहायता प्राप्त विद्यालयों के लिए भी बजट की व्यवस्था करें. पहले बोर्ड परीक्षा के नाम पर विद्यालयों में सीसीटीवी आदि लगवाए गए. जिस पर विद्यालयों के लाखों रुपए खर्च हो गए और अब बायोमैट्रिक मशीन लगाने के निर्देश दिए गए हैं जिसे लगाने व संचालित करने के लिए विद्यालयों को फिर से लाखों रुपए खर्च करने पड़ेंगे. ऐसे में सहायता प्राप्त विद्यालयों के लिए बजट एक बड़ी समस्या है सरकार को पहले इसे हल करने का रास्ता निकालना होगा.

ये भी पढ़ें- मुझे 8वीं बार शनिवार को काटेगी नागिन; फतेहपुर के विकास द्विवेदी की भविष्यवाणी - Snake Revenge Fatehpur Youth

लखनऊः माध्यमिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित राजकीय व सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों और कर्मचारियों की ऑनलाइन उपस्थिति को लेकर निदेशक ने सख्त आदेश जारी किए हैं. निदेशक ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को आदेश जारी करते हुए कहा है कि वह अपने विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति को शक्ति से लागू करवाए.

विभाग की ओर से माध्यमिक विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति को लेकर अगस्त 2022 में आदेश जारी किया गया था. इस आदेश के बाद माध्यमिक विद्यालयों ने बजट मुहैया करने की मांग सरकार से की थी. तब से यह व्यवस्था ठंडा बस्ते में चली गई थी. अब बेसिक विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति को लेकर शुरू हुए बवाल के बाद माध्यमिक शिक्षा विद्यालयों में भी इसे लागू करने की प्रक्रिया शुरू की गई है. सभी विश्वविद्यालय, डिग्री कॉलेज, माध्यमिक विद्यालय और बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने को लेकर 2 साल पहले सरकार की ओर से इन संस्थाओं को आदेश जारी किया गया था.

ऑनलाइन अटेंडेंस का टीचर कर रहे विरोध: इस आदेश के बाद राज भवन के निर्देश पर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय जैसे लखनऊ विश्वविद्यालय, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी सहित प्रदेश के सभी राज्य विश्वविद्यालय में बायोमेट्रिक उपस्थिति को अनिवार्य रूप से लागू कर दिया गया. वहीं बीते 8 जुलाई को बेसिक शिक्षा परिषद ने अपने सभी एक लाख 32 हजार स्कूलों में पढ़ा रहे साढ़े 4 लाख शिक्षकों को ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू किया था. इसके बाद प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक लगातार इसका विरोध कर रहे हैं.

वहीं प्रदेश के डिग्री कॉलेज और माध्यमिक विद्यालयों में यह प्रक्रिया ठंडे बस्ते में पड़ी रही. अब बेसिक विद्यालयों में शुरू हुए विवाद के बीच माध्यमिक शिक्षा परिषद ने भी अपने विद्यालयों में ऑनलाइन उपस्थिति को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं.

बड़ी मुश्किल से लगे थे सीसीटीवी कैमरे और वॉइस रिकॉर्डर: साल 2017 में प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद यूपी बोर्ड परीक्षा में काफी बदलाव किया गया. इसी के तहत यूपी बोर्ड परीक्षा सीसीटीवी कैमरे और वॉइस रिकॉर्डर की निगरानी में आयोजित करने की प्रक्रिया शुरू हुई. इसको लेकर माध्यमिक शिक्षा मंत्री की तरफ से सभी राजकीय व सहायता प्राप्त विद्यालयों को अपने-अपने विद्यालयों में सीसीटीवी और वॉइस रिकॉर्डर लगाने के निर्देश दिए थे. पर ज्यादातर सहायता प्राप्त विद्यालयों ने बजट के अभाव का हवाला देते हुए इसे लागू करने से इनकार कर दिया था.

सरकार की लगातार सख्ती के बाद करीब 3 साल बाद विभाग इस प्रक्रिया को लागू करने में कामयाब हो पाया था अब ऑनलाइन उपस्थिति को भी लेकर वही समस्या दोबारा खड़ी है. सहायता प्राप्त विद्यालय प्रबंध समिति का कहना है कि उनके विद्यालयों में शिक्षकों की सैलरी का पैसा सरकार देती है. इसके अलावा किसी भी तरह का ग्रांट सरकार की ओर से उनके विद्यालयों को नहीं दिया जाता है. जबकि विद्यालय के इंफ्रास्ट्रक्चर रखरखाव आदि खर्च का जो भी बजट होता है.

वह विद्यालय प्रबंध समिति अपने पास से करती है. इसके अलावा विद्यालय प्रबंध समिति किसी भी छात्र से किसी भी तरह की कोई फीस नहीं लेती है. ऐसे में जो बजट इन विद्यालयों के पास होता है, उसे साल भर का खर्च चलाना भी संभव नहीं हो पता है. ऐसे में सरकार की ओर से बार-बार अपनी योजनाओं को लागू करने के लिए जो निर्देश दिए जा रहे हैं उस इन विद्यालयों पर आर्थिक दबाव बढ़ता है.

इस संबंध में माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश के मंत्री डॉ आरपी मिश्रा ने कहा कि सरकार को अगर बायोमेट्रिक उपस्थिति आदि लगवाना है तो वह सहायता प्राप्त विद्यालयों के लिए भी बजट की व्यवस्था करें. पहले बोर्ड परीक्षा के नाम पर विद्यालयों में सीसीटीवी आदि लगवाए गए. जिस पर विद्यालयों के लाखों रुपए खर्च हो गए और अब बायोमैट्रिक मशीन लगाने के निर्देश दिए गए हैं जिसे लगाने व संचालित करने के लिए विद्यालयों को फिर से लाखों रुपए खर्च करने पड़ेंगे. ऐसे में सहायता प्राप्त विद्यालयों के लिए बजट एक बड़ी समस्या है सरकार को पहले इसे हल करने का रास्ता निकालना होगा.

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