लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 में खराब प्रदर्शन के बाद बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटने लगा है. हालांकि समय-समय पर बसपा सुप्रीमो मायावती उनमें जोश भरने के लिए नेताओं की बैठक बुलाकर नए सिरे से जुटने की सलाह देती रही हैं. अब उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव 2027 को लेकर बहुजन समाज पार्टी ने तेजी से तैयारी शुरू कर दी है.
संगठन में बदलाव के साथ ही अब दलित मुस्लिम गठजोड़ की रणनीति के साथ फिर से जंग जीतने का प्लान तैयार किया जा रहा है. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने उत्तर प्रदेश की अन्य पार्टियों समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की तरह ही मुसलमानों को तरजीह देने की योजना बनाई है. बीएसपी ने अपने संगठन में फेरबदल करते हुए अब हर मंडल में दो-दो समितियों का गठन किया है. बसपा ने सेक्टर और मंडल की कमेटी में मुसलमानों को अहमियत दी है.
लखनऊ सेक्टर में तीन मंडलों लखनऊ, कानपुर और झांसी को रखा गया है. पहले लखनऊ के साथ प्रयागराज और मिर्जापुर मंडल थे. नए सेक्टर में घनश्याम चंद्र खरवार, प्रवेश कुरील, शमसुद्दीन राइन और अखिलेश अंबेडकर को प्रभारी बनाया गया है. लखनऊ मंडल टीम ए में मौजीलाल गौतम, अनुरेंद्र कुमार, संदीप कुमार रावत और दिनेश पाल को जिम्मा सौंपा गया है.
टीम बी में श्याम किशोर अवस्थी, राकेश गौतम और गंगाराम को जगह दी गई है. शमसुद्दीन राइन का मुख्य काम पार्टी के साथ मुसलमानों को जोड़ने का होगा. प्रयागराज सेक्टर में प्रयागराज के अलावा चित्रकूट और मिर्जापुर को रखा गया है. इसमें मोहम्मद अकरम, भीमराव अंबेडकर, राजू गौतम, विजय प्रताप और अमरेंद्र बहादुर पासी को लगाया गया है.
प्रयागराज मंडल की ए टीम में आकाश वर्मा, आकाश राव गौतम और प्रेमचंद निर्मल को जगह दी गई है. इसके अलावा प्रयागराज मंडल की बी टीम में अवधेश गौतम, रमेश पासी और रामनारायण निषाद को जिम्मेदारी सौंपी गई है. इस मंडल में मुसलमानों को जोड़ने की जिम्मेदारी मोहम्मद अकरम निभाएंगे.
बहुजन समाज पार्टी ने बूथों से लेकर जिला स्तर तक की कमेटियों का गठन पहले ही कर दिया था. जिला स्तरीय समितियों में 60% दलितों को पदाधिकारी बनाया गया था. इसके पीछे बसपा मुखिया का उद्देश्य था कि अपने कोर वोटरों की वापसी पार्टी में कराई जाए. अब पार्टी दलितों के साथ मुसलमानों को भी अपने साथ जोड़ना चाहती है. बीएसपी के रणनीतिकारों को लग रहा है कि अगर मुसलमानों की हिस्सेदारी बसपा के साथ हो गई तो फिर पार्टी का जनाधार बढ़ सकता है.
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