बस्तर : छत्तीसगढ़ का बस्तर अपने अंदर कई रहस्य समेटे हुए हैं.यहां का आदिवासी कल्चर और अबूझमाड़ की परंपराएं आज भी बाहरी दुनियां से अछूती हैं.लेकिन बस्तर की साधारण जीवनशैली के साथ यहां के प्रमुख व्यंजन लोगों की जुबान में धूम मचाते हैं. बस्तर में ऐसे तो कई जंगली प्रजाति के फल और सब्जियां मिलती हैं.लेकिन कुछ सब्जियां ऐसी हैं जिनका इंतजार साल भर से लोग करते हैं.ऐसी ही एक नायाब सब्जी बस्तर के बाजारों में सज चुकी है.
बस्तर के जंगलों में बांस की उपलब्धता अधिक है. मानसून में बांस के जड़ से कोमल बांस निकलते हैं. जिसे बांस की करील कहा जाता है. बस्तर के स्थानीय लोग इसे बास्ता कहते हैं. बास्ता को बस्तर के आदिवासी सब्जी बनाकर खाते हैं. बारिश में सबसे अधिक बास्ता बस्तर के साप्ताहिक बाजारों में बिकता है. स्थानीय आदिवासी इसे जंगल से तोड़कर शहर के मार्केंट में बेचने आते हैं. लेकिन इसका सबसे बड़ा नुकसान ये है कि करील तोड़ देने पर बासों की नई पौध नहीं पनपती. लिहाजा वन विभाग इस पर कार्रवाई करते नजर आ रहा है. पिछले 1 महीने में वन विभाग ने 4 क्विंटल से अधिक जब्ती की कार्रवाई की है.
''इसी कड़ी में वन विभाग की उड़नदस्ता टीम ने जगदलपुर शहर के संजय मार्केट से डेढ़ क्विंटल करील(बास्ता) जब्त किया गया. वहीं अब तक मानसून के शुरुआती समय से करीब 4 क्विंटल से अधिक बास्ता जब्ती कर बेचने वालों पर आवश्यक कार्रवाई की गई है.'' आरसी दुग्गा,सीसीएफ
बस्तर रेंज के सीसीएफ आरसी दुग्गा ने बताया कि बांस के पेड़ों को बढ़ने से रोकने के लिए और करील के पौधों को बढ़ने के लिए लगातार वन विभाग समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. करील तोड़कर बेचने वालों पर कार्रवाई की जा रही है. आने वाले दिनों में भी टीम के घूम-घूमकर कार्रवाई करने और अभियान चलाएगी.