सरगुजा : छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा भी कहा जाता है. इस प्रदेश की अर्थ व्यवस्था और जीवन शैली का सबसे महत्वपूर्ण अंग है धान की फसल. जैसे ही मानसून आता है, छत्तीसगढ़ में किसान खेतों में पहुंचते हैं. खेतों को तैयार करने के बाद धान की रोपाई शुरु होती है. पुरुष खेतों में मेहनत वाला काम जैसे नागर चलाते हैं. वहीं महिलाएं रोपा लगाने का काम करती हैं. इस दौरान यदि आप छत्तीसगढ़ के खेतों के पास से गुजरेंगे तो आपको अद्भुत नजारा दिखाई और सुनाई देगा.
"महिलाएं गीत गाते हुए काम करती हैं इससे उन्हें थकावट नही होती है. आप देखेंगे कि वो कड़ी मेहनत करती हैं. लेकिन उनके चेहरों पर थकान नहीं दिखती है. यह मनोविज्ञान का हिस्सा है. गीत गाते हुए जब ये काम करती हैं तो किसी प्रकार का मानसिक तनाव उन्हें नही होता है"- अजय चतुर्वेदी, लोक साहित्यकार
कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया में महिलाओं को रोपा लगाते हुए एक गीत वायरल हुआ था. सरगुजिहा साहित्य के जानकार रंजीत सारथी के मुताबिक ये महिलाएं जो गीत गा रही हैं वो सरगुजा का सुगा गीत है. इस गीत में नारी व्यथा को गाती हैं. रोपा लगाते समय या अन्य उत्सव में भी महिलाएं सुगा गीत गाती हैं. ये रामपुर गांव की महिलाएं हैं. इस गीत का हिंदी भावार्थ है, भंवरी माने फेरी बाजार यानी घुम घुम के बाजार में खरीदी करते हैं. अपने सिंगार, टिकली, सिंदुर, चूड़ी, काजल के बारे में गीत गा रही हैं.