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बस्तर दशहरा में काला जादू की अनोखी रस्म,निशा जात्रा रक्त भोग से मां होती है प्रसन्न - BASTAR DUSSEHRA

बस्तर दशहरा में काले जादू की अनोखी रस्म निभाई जाती है.जिसमें पशुओं की बलि देकर माता को रक्त भोग लगाया जाता है.

Unique ritual of black magic in Bastar
बस्तर दशहरा में काले जादू की अनोखी रस्म (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 12, 2024, 2:09 PM IST

Updated : Oct 12, 2024, 4:55 PM IST

बस्तर : विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरे की सबसे अद्भुत रस्म निशा जात्रा पूरे विधि विधान के साथ पूरी की गई.शनिवार रात एक बजे इस रस्म को निभाया गया.इस रसम को काला जादू की रस्म भी कहते हैं. प्राचीनकाल में इस रस्म को राजा-महाराजा बुरी प्रेत आत्माओं से अपने राज्य की रक्षा के लिए निभाते थे. जिसमें हजारों बकरों भैंसों समेत नरबलि देने की भी परंपरा थी.लेकिन अब सिर्फ 14 बकरों की बलि देकर इस रस्म को निभाया जाता है.

600 साल पुरानी परंपरा : निशा जात्रा रस्म की अदायगी रात 02 बजे शहर के अनुपमा चौक स्थित गुडी मंदिर में पूरी की गई. निशा जात्रा की ये रस्म बस्तर के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखती है. बस्तर राजपरिवार सदस्य कमलचंद भंजदेव का कहना है कि 14वीं ईस्वी से चली आ रही ये परंपरा 600 सालों से यूं ही कायम है.

Unique ritual of black magic
माता को लगता है रक्त का भोग (ETV Bharat Chhattisgarh)
Unique ritual of black magic
निशा जात्रा की अनोखी रस्म (ETV Bharat Chhattisgarh)

अष्टमी के दिन हवन के बाद बलि प्रथा होती है. जो तंत्र विद्याओं की पूजा है. इस पूजा में चांवल, मूंग की दाल और नमक का बड़ा बनाया जाता है. इस रस्म में नमक का ही प्रसाद चढ़ाया जाता है. यह सबसे तेज और ताकत की पूजा है. तंत्र विद्याओं की पूजा होने के कारण इसे बहुत संभलकर करना पड़ता है. देवी को इस पूजा में मिठाई नहीं बल्कि रक्त का भोग दिया जाता है. ताकि बस्तर के लोग, बस्तर के जनजातियों की सुरक्षा हो- कमलचंद भंजदेव, सदस्य राजपरिवार

माटी पुजारी होने के नाते 699 सालों से राज परिवार सदस्य इस रस्म को निभाते आ रहे हैं. इस रस्म में जो रक्त का भोग लगता है. वो आदिवासियों में बंटता है. जिसे भोग के रूप में नवमीं के दिन खाया जाता है. इसके अलावा आग की 2 बड़ी माल देवड़ी राजा के साथ चलती है. पुराने जमाने में लाइट नहीं होने के कारण जनता राजा के दर्शन नहीं कर पाती थी. इस माल देवड़ी की मदद से लोग राजा को रात के समय देखते थे.

बस्तर दशहरा में काला जादू की अनोखी रस्म (ETV Bharat Chhattisgarh)

1 साल बाद निकाला गया चावल दाल : इस रस्म में बीते वर्ष चावल और उड़द की दाल को मिट्टी के बर्तन में डालकर गाड़ा गया था. जिसे इस वर्ष निशा जात्रा रस्म के दौरान निकाला जाता है.एक साल बाद भी मिट्टी में गाड़ा गया चावल और दाल खराब नहीं होता.

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बस्तर : विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरे की सबसे अद्भुत रस्म निशा जात्रा पूरे विधि विधान के साथ पूरी की गई.शनिवार रात एक बजे इस रस्म को निभाया गया.इस रसम को काला जादू की रस्म भी कहते हैं. प्राचीनकाल में इस रस्म को राजा-महाराजा बुरी प्रेत आत्माओं से अपने राज्य की रक्षा के लिए निभाते थे. जिसमें हजारों बकरों भैंसों समेत नरबलि देने की भी परंपरा थी.लेकिन अब सिर्फ 14 बकरों की बलि देकर इस रस्म को निभाया जाता है.

600 साल पुरानी परंपरा : निशा जात्रा रस्म की अदायगी रात 02 बजे शहर के अनुपमा चौक स्थित गुडी मंदिर में पूरी की गई. निशा जात्रा की ये रस्म बस्तर के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखती है. बस्तर राजपरिवार सदस्य कमलचंद भंजदेव का कहना है कि 14वीं ईस्वी से चली आ रही ये परंपरा 600 सालों से यूं ही कायम है.

Unique ritual of black magic
माता को लगता है रक्त का भोग (ETV Bharat Chhattisgarh)
Unique ritual of black magic
निशा जात्रा की अनोखी रस्म (ETV Bharat Chhattisgarh)

अष्टमी के दिन हवन के बाद बलि प्रथा होती है. जो तंत्र विद्याओं की पूजा है. इस पूजा में चांवल, मूंग की दाल और नमक का बड़ा बनाया जाता है. इस रस्म में नमक का ही प्रसाद चढ़ाया जाता है. यह सबसे तेज और ताकत की पूजा है. तंत्र विद्याओं की पूजा होने के कारण इसे बहुत संभलकर करना पड़ता है. देवी को इस पूजा में मिठाई नहीं बल्कि रक्त का भोग दिया जाता है. ताकि बस्तर के लोग, बस्तर के जनजातियों की सुरक्षा हो- कमलचंद भंजदेव, सदस्य राजपरिवार

माटी पुजारी होने के नाते 699 सालों से राज परिवार सदस्य इस रस्म को निभाते आ रहे हैं. इस रस्म में जो रक्त का भोग लगता है. वो आदिवासियों में बंटता है. जिसे भोग के रूप में नवमीं के दिन खाया जाता है. इसके अलावा आग की 2 बड़ी माल देवड़ी राजा के साथ चलती है. पुराने जमाने में लाइट नहीं होने के कारण जनता राजा के दर्शन नहीं कर पाती थी. इस माल देवड़ी की मदद से लोग राजा को रात के समय देखते थे.

बस्तर दशहरा में काला जादू की अनोखी रस्म (ETV Bharat Chhattisgarh)

1 साल बाद निकाला गया चावल दाल : इस रस्म में बीते वर्ष चावल और उड़द की दाल को मिट्टी के बर्तन में डालकर गाड़ा गया था. जिसे इस वर्ष निशा जात्रा रस्म के दौरान निकाला जाता है.एक साल बाद भी मिट्टी में गाड़ा गया चावल और दाल खराब नहीं होता.

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Last Updated : Oct 12, 2024, 4:55 PM IST
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