गरियाबंद: कांडसर गौशाला में बाबा उदय नाथ पिछले 18 सालों से लगातार अनोखी होली का आयोजन करते चले आ रहे हैं. कांडसर गौशाला में इस बार होली पर बाबा उदय नाथ गुबरैल कीटों और चमगादड़ को अतिथि बनाकर बुला रहे हैं. पलाश के पेड़ जिसे गांव के लोग टेसू भी कहते हैं उसको भी मेहमान बनाया गया है. होली से पहले ब्रह्ममुहूर्त में गौशाला में हवन पूजन शुरु हो जाता है. पूर्मिणा के दिन हवन की पूर्णाहुति होती है. हवन से जो राख बनता है उसी से यहां होली खेली जाती है.
कांडसर गौशाला में होगी अनोखी होली: होली की तैयारियां कांडसर गौशाल में शुरु हो चुकी हैं. शनिवार को हजारों की संख्या में माताएं और बहनें सिर पर कलश लेकर यज्ञ स्थल के लिए निकलीं. होली में शामिल होने आए अतिथियों का गौशाला की और से शानदार स्वागत भी किया गया. गरियाबंद सहित आस पास के जिलों में बाबा के हजारों भक्त हैं. बाबा के भक्त हर साल प्रकृति के साथ होली खेलते हैं. बाबा की होली में शामिल होने के लिए इस बार भी दूर दूर से उनके भक्त पहुंचे हैं. शुक्रवार शाम से होली का आयोजन यहां शुरु हो जाता है जो होली के दिन तक चलता है.
होली पर बाबा देते हैं प्रकृति प्रेम का संदेश: बाबा उदय नाथ बताते हैं कि हमें पर्व त्योहारों पर प्रकृति का आभार व्यक्त करना चाहिए. होली हमारी सनातन परंपरा से जुड़ा त्योहार है. समय के साथ होली के स्वरुप में भी बदलाव आया. अब होली में हुड़दंग और मांस मदिरा पीकर लोग हंगामा मचाते हैं. बाबा का कहना है कि वो अपने भक्तों को ऐसी होली नहीं खेलने की सलाह देते हैं जो प्रकृति के खिलाफ और आचरण विरुद्ध हो. साल 2005 में बाबा ने कांडसर गौशाला से इस होली की शुरुआत की थी. शुरुआत में कुछ भक्त इस होली में शामिल होने आते थे. धीरे धीरे लोगों का जुड़ाव बढ़ा और अब 7 से 8 हजार लोग होली का पर्व मनाने यहां आते हैं. बाबा त्योहार के मौके पर लोगों को प्रकृति से जुड़ने और गाय की सेवा करने का संदेश भी लोगों को देते हैं.