हजारीबाग: जिले के कटकमदाग प्रखंड के रेवाली गांव में सड़क किनारे इन दिनों इलाहाबाद से आए व्यापारी अनोखी तरह की मुर्गी की बिक्री कर रहे हैं. व्यापारी इसे चाइनीज मुर्गी बता रहे हैं. वहीं खास तरह की मुर्गी देख लोगों में कौतूहल है. व्यापारी बताते हैं कि ठंड के मौसम में इस खास मुर्गी की डिमांड काफी बढ़ जाती है. इसका अंडा भी सेहत के लिए फायदेमंद है. लेकिन इस खास तरह के मुर्गी के अंडे और उसके मांस को खा सकते हैं कि एक्सपर्ट यह बता नहीं पा रहे हैं.
हजारीबाग में इन दिनों इस खास तरह के पक्षी की काफी चर्चा हो रही है. इलाहाबाद से आए व्यापारी इन मुर्गे और मुर्गियों की हजारीबाग में बिक्री कर रहे हैं. 600 रुपये जोड़ा की दर से इसकी बिक्री की जा रही है. देखने में मुर्गी अजीबोगरीब है. काले रंग के ऊपर सफेद स्पॉट वाली मुर्गियां लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. जो भी व्यक्ति उधर से गुजरता है, एक बार रुककर इनके झुंड को जरूर देखता है.
लगभग 2000 से अधिक मुर्गे और मुर्गियां लेकर इलाहाबाद से हजारीबाग पहुंचे व्यापारी बताते हैं कि बिहार में इसे तीतर और उत्तर प्रदेश में चाइना मुर्गा के नाम से जाना जाता है. इलाहाबाद के आसपास के गांव में किसान इसे बड़े पैमाने पर इस पक्षी को पालते हैं.
व्यापारी ने बताया कि 4 महीने में इसका वजन लगभग 3 किलो हो जाता है .डेढ़ महीने के बाद से ही यह खास तरह की मुर्गी अंडा देना शुरू कर देती है. 4 महीने तक लगातार अंडे देती है. इसका अंडा भी काफी स्वादिष्ट होता है. उत्तर प्रदेश में अंडा का व्यवसाय करने वाले भी इस मुर्गी का पालन करते हैं.
बता दें कि हजारीबाग से सिमरिया जाने वाली सड़क किनारे खेत में इन मुर्गियों को रखा गया है. स्थानीय भी बताते हैं की पहली बार इस तरह की मुर्गी हजारीबाग में दिखी है. यह खाने योग्य है या नहीं इसकी जानकारी नहीं है. मांसाहारी के शौकीन मुर्गी की खरीदारी कर रहे हैं. कई लोग इसे पालने के लिए भी ले जाते हैं.
वहीं इस संबंध में पर्यावरणविद सह पक्षी शोधकर्ता मुरारी सिंह ने कहा कि यह पक्षी भारतीय मूल का नहीं है. लेकिन इसे खाने में किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं है. अन्य मुर्गी और मुर्गा की ही तरह इसका स्वाद भी अच्छा होता है. हजारीबाग में इसका पालन नहीं होता है, लेकिन इसका पालन किया जा सकता है. यह लाभ का व्यवसाय है.
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