दुर्ग : आपने कलाकार तो बहुत देखे होंगे लेकिन आज हम आपको ऐसे कलाकार से मिलाने जा रहे हैं.जिनकी कला अपने आप में अनोखी है.इस कलाकार की खासियत ये है कि इनके बनाए हुए कलाकृति को देखकर आप ये अंदाजा नहीं लगा सकते कि ये असली हैं या नकली. तो आईए मिलते हैं ऐसे अनोखे कलाकार से.
कौन है अनोखा कलाकार : इस कलाकार का नाम है विष्णु प्रसाद ताम्रकार.जो मूर्तिकला के महारथी है.पेशे से प्राध्यापक विष्णु प्रसाद अब रिटायर हो चुके हैं.लेकिन इन्होंने अपनी कला से रिटायरमेंट नहीं ली है.विष्णु प्रसाद मूर्तियां बनाते हैं. इनकी बनाई हुई मूर्तियां इतनी खूबसूरत और जीवंत होती हैं कि देखने वाले मंत्रमुग्ध हो जाते हैं. भारत में पुराने समय से ही मिट्टी की बनी हुई वस्तुओं का उपयोग किया जाता रहा है. जिसमें मिट्टी के उपयोग से एक से बढ़कर एक सुंदर मूर्तियां एवं घर के सजावट सामान बनाए जाते हैं.आज भी इस परंपरा को विष्णु जीवित रखे हुए हैं.
बचपन से ही मूर्ति बनाने का शौक : विष्णु ताम्रकार का कहना है कि वो बचपन से ही मूर्ति बनाने का शौक पाले हुए हैं. बचपन में मूर्ति बनाते थे. उसके बाद उनकी नौकरी लग गई.नौकरी के दौरान उन्हें मूर्ति बनाने का समय नहीं मिल पाता था.लेकिन अब रिटायरमेंट के बाद भरपूर समय मिलता है. इस समय का इस्तेमाल वो अपने हुनर को आकार देने में लगाते हैं.
अब मैं रिटायर हो गया हूं. अब मेरे पास भरपूर समय है. इस समय का सदुपयोग करके मैं मिट्टी के अनेकों प्रकार के मूर्ति बनाता हूं. इसमें फल, पक्षी और राजनेताओं का मूर्ति शामिल हैं.मैं चाहता हूं कि सरकार मूर्ति कला को लेकर लोगों को प्रोत्साहित करे और धमधा में म्यूजियम बनवाएं - विष्णु ताम्रकार, मूर्तिकार
कैसे बनाते हैं आकृति ? : विष्णु के मुताबिक सबसे पहले मूर्ति बनाने के लिए सादा मिट्टी और चूना लिया जाता है. पानी डाल कर इन दोनों को मिक्स किया जाता है. मिक्स करने के बाद जब इनका घोल बन जाता है, तब मूर्तियों के बने हुए अलग-अलग सांचे सेट कर के इस घोल कों इन अंदर डाल दिया जाता है. सांचों में डालने के बाद इनको अच्छे तरीके से सांचों में फैलाया जाता है. लगभग 2 से 3 घंटे के लिए इन को सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है. जब ये सूख जाती है, तो उनको सांचे से बाहर निकाल करके इन पर रंग पेंट किया जाता है. रंग पेंट करने के बाद थोड़ी देर इन को धूप में रख देते हैं. जब यह अच्छी तरीके से सूख जाती हैं. इसके बाद घर में सजाकर रखता हूं, मैं सरकार से मांग करता हूं कि धमधा में एक म्यूजियम बनाया जाए.