प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सिर्फ सरनेम बदले जाने के आधार पर रिटायर्ड शिक्षिका का पेंशन व सेवानिवृत्ति भुगतान रोकने के कदम को अनुचित करार दिया है .कोर्ट ने कहा कि सरकार का काम है कि वह जनता के हित का ध्यान रखें न कि अनावश्यक के तकनीकी आधारों पर लोगों को परेशान (Unfair to stop pension over name change in documents) किया जाए. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ सरनेम दस्तावेजो में बदल जाने के आधार पर पेंशन रोकना सरकार का अत्यधिक तकनीकी रवैया है.
कोर्ट ने दिवंगत शिक्षिका के विधिक उत्तराधिकारी को बकाया पेंशन का भुगतान करने का निर्देश दिया है . ममता जौहरी उर्फ ममता भटनागर की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने दिया. मामले के अनुसार या याची बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापिका के पद से सेवानिवृत हुई. नौकरी ज्वाइन करते समय रिकॉर्ड में उसका नाम ममता भटनागर था. बाद में उन्होंने अपना नाम ममता जोहरी कर लिया तथा उनके बैंक अकाउंट भी इसी नाम से खुला और आधार कार्ड में भी उन्होंने अपना नाम ममता भटनागर की जगह ममता जौहरी करवा लिया.
सेवानिवृत्ति के उपरांत उनके पेंशन व अन्य सेवा निवृत्ति भुगतान के कागजात ममता जौहरी के नाम से तैयार नहीं किया जा सके. जिस वजह से भुगतान नहीं हो सका. याची ने वर्ष 2018 में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की जो करीब 6 सालों तक लंबित रही और इस दौरान 2021 में याची का निधन हो गया . बाद में उसके विधिक उत्तराधिकारी के नाम से याचिका में परिवर्तन किया गया. कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि वह याची के विधिक उत्तराधिकारी के बैंक खाते में उसकी पेंशन और सेवन िवृत्ति जो भी बकाया है उसका भुगतान किया जाए.