छपरा: बिहार के छपरा में दशहरा को लेकर चल रहे कार्यक्रम में गजराज रूद्र अवतार देखकर सभी के होश उड़ गये. मेले में बेकाबू हाथी का उत्पात जिसने भी देखा उसके रोंगटे खड़े हो गये. वहीं सारण की दो बच्चियों ने साहस दिखाते हुए छह घंटे तक हाथी के पीठ पर बैठी रही. दोनों बच्चियों का साहस छपरा में खूब सुर्खियां बटोर रही है. दोनों भूईली गांव के निवासी मुकेश भारती की बेटियां है. मेले में उन्होंने अपनी दोनों बेटियों के जिद पर उन्हें हाथी पर बैठा दिए. उनके सवार होते ही हाथी बेकाबू गई और लोगों पर हमला करने लगी.
सारण में हाथी का गुस्सा: बेकाबू हाथी इधर-उधर भागने लगा. हाथी के सामने जो भी आया उसने सभी पर हमला करने लगा. मुकेश भारती की दोनों बेटी 10 वर्षीय प्रियांशी भारती और 6 वर्षीय यशस्वी भारती और महावत बाबूदीन हाथी के पीठ पर बैठे रहे. महावत हाथी को संभालने का प्रयास करता रहा लेकिन हाथी संभालने का नाम नहीं रह रहा था. यह मंजर काफी डरावना था. भीड़ में लोग जान बचाकर भाग रहे थे.
छह घंटे तक हाथी पर बैठी रहीं दोनों बच्चियां: हाथी के गुस्सा से दोनों काफी रो रही थी, लेकिन महावत ने हिम्मत रखने के लिए कह रहे थे तो दोनों समझ गईं और निडरता पूर्वक हाथी पर लगभग 6 घंटे तक बैठी रही. इस दौरान मुकेश हाथी के पीछे लगभग 18 से 20 किलोमीटर तक दौड़ लगाते रहे. मेले में काफी भीड़ थी जिसे देखते हुए हाथी चवर में भाग गई. जहां एक नदी थी. हाथी उसी नदी में तैरने लगी और उनकी दोनों बेटियां भीग गई. इतना सबकुछ होने के बाद भी हाथी का महावत भी दोनों बच्चियों को हिम्मत और हौसला दिया उसके बाद भी महावत और बच्चों ने हार नहीं मानी.
महावत ने हाथी को पेड़ में बांधा: बताया जाता है कि तीनों हाथी के पीठ पर ही बैठे रहे हालांकि हाथी बाद में नदी में उतर गई. उसके बाद भी बच्चियां हाथी पर ही बैठीं रही. हाथी के चंवर में जाते ही हाथी पानी में बैठ गई. उसके बाद हाथी को कीड़ा काटने लगा जिस वजह से हाथी पानी से निकलकर सूखे जमीन की तरफ आ गई. एक पेड़ के पास आते ही महावत ने पेड़ में हाथी को बांध दिया. उसके बाद हाथी को बैठने के लिए बोला. हाथी बात मानने लगी और बैठ गई. धीरे-धीरे जैसे-जैसे रात बड़ी हाथी का गुस्सा शांत हुआ और दोनों बच्चे सब कुशल वापस आए.
"भीड़ को देखकर हाथी गुस्सा गई थी. इस समय हाथी पूरी तरह से शांत है और मेरी सभी बातों को पूरी तरह से मान रहा है. दोनों बच्चियां ने साहस दिखाते हुए हाथी पर लगभग 6 घंटे तक बैठी रही. हाथी को पेड़ से बांध दिया गया है."- बाबूदीन, महावत
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