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सांदीपनि आश्रम में निभाई गई 5 हजार साल पुरानी परांपरा, बच्चों का कराया विद्यारंभ संस्कार - Ujjain Sandipani Ashram

उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में गुरु पूर्णिमा पर सुबह से भक्तों की भीड़ लगी रही है. इस दौरान भक्तों ने आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण और बलदेव के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया. यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण ने 64 दिन में 64 कलाएं सीखी थीं.

UJJAIN SANDIPANI ASHRAM
सांदीपनि आश्रम में बच्चों की कराई गई पाटी पूजन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 22, 2024, 8:24 AM IST

उज्जैन: बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन सहित देश भर में रविवार को गुरु पूर्णिमा के पर्व की धूम रही. वहीं, उज्जैन के मंगलनाथ रोड पर स्थित भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली के रूप में विख्यात गुरू सांदीपनि आश्रम में भी गुरु पूर्णिमा का महोत्सव धूमधाम से मनाया गया. आश्रम में छोटे बच्चों को विद्या आरंभ संस्कार कराने के लिए देशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां भगवान कृष्ण ने 64 दिन में 64 कलाओं का ज्ञान प्राप्त किया था. भगवान कृष्ण के साथ में बलराम और सुदामा जी भी 64 दिन तक शिक्षा-दिक्षा हासिल की थी.

धूमधाम से मनाया गया गुरु पूर्णिमा पर्व (ETV Bharat)

सुदामा जी से यहीं मिले थे भगवान श्री कृष्ण

उज्जैन के मंगलनाथ रोड पर पांच हजार साल से ज्यादा पुराना गुरुकुल ऋषि सांदीपनि का आश्रम है. यहां भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा जी ने पढ़ाई की थी. श्री कृष्ण ने गुरु सांदीपनि से 4 दिन में 4 वेद, 6 दिन में 6 शास्त्र, 16 दिन में 16 विद्याएं, 18 दिन में 18 पुराण सहित कुल 64 दिन में 64 अलग-अलग कलाओं का ज्ञान अर्जित किया था. बता दें कि, यहां हर वर्ष गुरु पूर्णिमा पर छोटे बच्चों का विद्या आरंभ संस्कार किया जाता है.

पाटी पूजन संस्कार किया गया

गुरु पुर्णिमा के अवसर पर सांदीपनि आश्रम में सुबह से भक्तों का तांता लगा रहा. यहां भगवान का विधि विधान से पूजन करने के पश्चात महाआरती की गई. इसके बाद वहां मौजूद भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया. वहीं आश्रम में गुरु पूर्णिमा के दिन जो छोटे बच्चे स्कूल जाते हैं, उनकी इस दिन पाटी पूजन की जाती है और भगवान कृष्ण ने जो तीन मंत्र लिखे थे, वे इन बच्चों से लिखाया जाता है, इसको विद्या बुद्धी संस्कार भी कहा जाता है. पाटी पूजन 16 संस्कारों में से एक है. इसमें गुरू के समक्ष पाटी रखकर बच्चों से पाटी का पूजन कराया जाता है. गुरु पूर्णिमा पर्व पर भगवान श्री कृष्ण, बलराम और सुदामा की प्रतिमा का अभिषेक पूजन कर बच्चों को संस्कार की शिक्षा दी जाती है.

यहां पढ़ें...

रीवा में गुरु पूर्णिमा पर आयोजित हुए कार्यक्रम, डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने गुरु को किया याद

गुरु पूर्णिमा महोत्सव पर खंडवा में उमड़ीं श्रद्धालुओं की भीड़, आकर्षक सजावट से जगमगा उठा दद्दा जी धाम

भागवान श्री कृष्ण ने यहीं सीखी थी 64 कलाएं

पुजारी रूपम व्यास बताते है कि "शास्त्रों की मान्यता के अनुसार, श्रीकृष्ण मथुरा से यहां पहुंचे थे और उन्होंने सांदीपनि आश्रम में गुरु सांदीपनि से विद्या और कलाएं सीखी थीं. शास्त्रों में उल्लेख है कि भगवान श्रीकृष्ण व भाई बलराम ने यहां 64 दिन रह कर 64 कलाएं और विद्याएं सीखी थी. आश्रम से शिक्षा ग्रहण करने के श्रीकृष्ण उज्जैन से लौटने के बाद ही द्वारकाधीश के नए स्वरूप में उभरे थे.''

उज्जैन: बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन सहित देश भर में रविवार को गुरु पूर्णिमा के पर्व की धूम रही. वहीं, उज्जैन के मंगलनाथ रोड पर स्थित भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली के रूप में विख्यात गुरू सांदीपनि आश्रम में भी गुरु पूर्णिमा का महोत्सव धूमधाम से मनाया गया. आश्रम में छोटे बच्चों को विद्या आरंभ संस्कार कराने के लिए देशभर से श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां भगवान कृष्ण ने 64 दिन में 64 कलाओं का ज्ञान प्राप्त किया था. भगवान कृष्ण के साथ में बलराम और सुदामा जी भी 64 दिन तक शिक्षा-दिक्षा हासिल की थी.

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उज्जैन के मंगलनाथ रोड पर पांच हजार साल से ज्यादा पुराना गुरुकुल ऋषि सांदीपनि का आश्रम है. यहां भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा जी ने पढ़ाई की थी. श्री कृष्ण ने गुरु सांदीपनि से 4 दिन में 4 वेद, 6 दिन में 6 शास्त्र, 16 दिन में 16 विद्याएं, 18 दिन में 18 पुराण सहित कुल 64 दिन में 64 अलग-अलग कलाओं का ज्ञान अर्जित किया था. बता दें कि, यहां हर वर्ष गुरु पूर्णिमा पर छोटे बच्चों का विद्या आरंभ संस्कार किया जाता है.

पाटी पूजन संस्कार किया गया

गुरु पुर्णिमा के अवसर पर सांदीपनि आश्रम में सुबह से भक्तों का तांता लगा रहा. यहां भगवान का विधि विधान से पूजन करने के पश्चात महाआरती की गई. इसके बाद वहां मौजूद भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया. वहीं आश्रम में गुरु पूर्णिमा के दिन जो छोटे बच्चे स्कूल जाते हैं, उनकी इस दिन पाटी पूजन की जाती है और भगवान कृष्ण ने जो तीन मंत्र लिखे थे, वे इन बच्चों से लिखाया जाता है, इसको विद्या बुद्धी संस्कार भी कहा जाता है. पाटी पूजन 16 संस्कारों में से एक है. इसमें गुरू के समक्ष पाटी रखकर बच्चों से पाटी का पूजन कराया जाता है. गुरु पूर्णिमा पर्व पर भगवान श्री कृष्ण, बलराम और सुदामा की प्रतिमा का अभिषेक पूजन कर बच्चों को संस्कार की शिक्षा दी जाती है.

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