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महाकाल परिसर की खुदाई में मिला मंदिर आखिर किस देवता का? पुरातत्व विभाग को सौंपी गई जांच, जीर्णोद्धार का काम जारी - Mysterious temple in Mahakal Campus

महाकाल परिसर में लगभग 3 साल पहले खुदाई में मिले मंदिर का रिकंस्ट्रक्शन किया जा रहा है. इसके पहले पुरातत्व विभाग यह जानकारी जुटाने में लगा हुआ है कि मंदिर परिसर में मिला एक और मंदिर भगवान शिव का है या किसी और देवता का.

MYSTERIOUS TEMPLE IN MAHAKAL CAMPUS
महाकाल परिसर की खुदाई में मिले मंदिर की जांच जारी (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 17, 2024, 9:33 AM IST

महाकाल परिसर की खुदाई में मिले मंदिर की जांच जारी (ETV BHARAT)

उज्जैन. विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में खुदाई को दौरान मिल प्राचीन मंदिर चर्चा का विषय बना हुआ है. ये मंदिर आखिर किस देवता का है अबतक यह पता नहीं चल सका है. 2021 में महाकाल लोक के निर्माण कार्य के समय जब महाकाल मंदिर परिसर में खुदाई की गई तब यह मंदिर नजर आया था. कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि इस मंदिर की जांच व निर्माण कार्य को राज्य के पुरातत्व विभाग ने टेकओवर किया है. इसके जीर्णोद्धार के साथ-साथ विभिन्न पहलुओं की जांच की जा रही है, जिससे स्पष्ट हो जाएगा कि ये मंदिर किस देवता का है.

इस तरह खुलेगा मंदिर का राज

जानकारों का कहना है कि प्राचीन मंदिर किस देवता का है, इसकी पहचान के लिए कुछ सिद्धांत हैं. जैसे मंदिर के शिखर व द्वार शाखा पर स्थित देवता के चिन्ह से पता चलता है कि मंदिर किस देवता का है. जैसे- शिखर दल पर गणेश जी हैं, तो शिव मंदिर होगा. यदि गरुड़ हैं, तो मंदिर विष्णु भगवान का होगा. मंदिर के आधार भाग को देखने पर स्पष्ट हो जाएगा कि यह प्राचीन मंदिर किस देवता का है. फिलहाल अबतक मिले अवशेष इसी ओर इशारा कर रहे हैं कि यह शिव मंदिर ही हो सकता है.

MYSTERIOUS TEMPLE IN MAHAKAL CAMPUS
महाकाल परिसर पुरातत्व विभाग की टीम (ETV BHARAT)

परमारकालीन है मंदिर

महाकाल परिसर में जारी निर्माण कार्य के दौरान जब 25 से 30 फीट खुदाई की गई, तब इस मंदिर के अवशेष नजर आए थे. पुरातत्व विशेषज्ञों का मानना है कि यह मंदिर परमारकालीन है. ऐसे में यह 1 हजार साल से ज्यादा पुराना हो सकता है. इस मंदिर का रिकंस्ट्रक्शन किया जा रहा है, जिसके बाद इसकी ऊंचाई लगभग 37 फीट होगी. इसे बनाने में 65 लाख रुपए की लागत आ सकती है. अगले 6 महीनों में स्टेट आर्कियोलॉजी की देखरेख में इसके पूर्ण होने का दावा किया जा रहा है.

आपको बता दें महाकाल मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान आधार भाग, प्राचीन शिवलिंग, नंदी, गणेश, मां चामुंडा और शार्दुल की मूर्तियां भी मिली थीं, जिसके बाद खुदाई का काम रोक दिया गया था. पुरातत्व विशेषज्ञों ने इसे परमारकालीन बताया था.

महाकाल परिसर की खुदाई में मिले मंदिर की जांच जारी (ETV BHARAT)

उज्जैन. विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में खुदाई को दौरान मिल प्राचीन मंदिर चर्चा का विषय बना हुआ है. ये मंदिर आखिर किस देवता का है अबतक यह पता नहीं चल सका है. 2021 में महाकाल लोक के निर्माण कार्य के समय जब महाकाल मंदिर परिसर में खुदाई की गई तब यह मंदिर नजर आया था. कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने बताया कि इस मंदिर की जांच व निर्माण कार्य को राज्य के पुरातत्व विभाग ने टेकओवर किया है. इसके जीर्णोद्धार के साथ-साथ विभिन्न पहलुओं की जांच की जा रही है, जिससे स्पष्ट हो जाएगा कि ये मंदिर किस देवता का है.

इस तरह खुलेगा मंदिर का राज

जानकारों का कहना है कि प्राचीन मंदिर किस देवता का है, इसकी पहचान के लिए कुछ सिद्धांत हैं. जैसे मंदिर के शिखर व द्वार शाखा पर स्थित देवता के चिन्ह से पता चलता है कि मंदिर किस देवता का है. जैसे- शिखर दल पर गणेश जी हैं, तो शिव मंदिर होगा. यदि गरुड़ हैं, तो मंदिर विष्णु भगवान का होगा. मंदिर के आधार भाग को देखने पर स्पष्ट हो जाएगा कि यह प्राचीन मंदिर किस देवता का है. फिलहाल अबतक मिले अवशेष इसी ओर इशारा कर रहे हैं कि यह शिव मंदिर ही हो सकता है.

MYSTERIOUS TEMPLE IN MAHAKAL CAMPUS
महाकाल परिसर पुरातत्व विभाग की टीम (ETV BHARAT)

परमारकालीन है मंदिर

महाकाल परिसर में जारी निर्माण कार्य के दौरान जब 25 से 30 फीट खुदाई की गई, तब इस मंदिर के अवशेष नजर आए थे. पुरातत्व विशेषज्ञों का मानना है कि यह मंदिर परमारकालीन है. ऐसे में यह 1 हजार साल से ज्यादा पुराना हो सकता है. इस मंदिर का रिकंस्ट्रक्शन किया जा रहा है, जिसके बाद इसकी ऊंचाई लगभग 37 फीट होगी. इसे बनाने में 65 लाख रुपए की लागत आ सकती है. अगले 6 महीनों में स्टेट आर्कियोलॉजी की देखरेख में इसके पूर्ण होने का दावा किया जा रहा है.

आपको बता दें महाकाल मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान आधार भाग, प्राचीन शिवलिंग, नंदी, गणेश, मां चामुंडा और शार्दुल की मूर्तियां भी मिली थीं, जिसके बाद खुदाई का काम रोक दिया गया था. पुरातत्व विशेषज्ञों ने इसे परमारकालीन बताया था.

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