उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी में रविवार को होलिका दहन मनाया गया है. संध्या आरती में भगवान श्री महाकालेश्वर को गुलाल अर्पित किया गया. संध्या आरती से पहले बाबा महाकाल का विशेष रूप से श्रृंगार किया गया. पुजारी, पुरोहित और भक्तों द्वारा नंदी मंडपम व गणपति मण्डपम में भी हर्बल गुलाल एवं फूलों से होली खेली गयी. इस दौरान भक्त बहुत ही खुश नजर आए. आरती के समापन के बाद मंदिर परिसर में होलिका दहन हुआ. बता दें यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. जहां सबसे पहले महाकाल के आंगन में होलिका दहन होता है.
होलिका दहन पर बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार
मान्यता है कि, होलिका अज्ञान व अहंकार को निरूपित करती है, इसलिए अपने जीवन को प्रगति की ओर ले जाना कर्मयज्ञ है और होलिका की अग्नि में इस कर्मयज्ञ को सात्विकता की ओर मोड़ने व प्रहलाद के प्रति उनके द्वेश का परिणाम दहन होना है. जैसे अग्नि समापन का प्रतीक है. वैसे ही अगले दिन खेले जाने वाला रंगोत्सव सृजन का प्रतीक है. महाकाल मंदिर में संध्या आरती से पहले बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार कर आरती शुरू हुई. वैसे ही महाकालेश्वर मंदिर में गुलाल उड़ने लगा और फूलों की बारिश हुई.
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भक्तों ने खेली बाबा महाकाल के साथ होली
होलिका दहन और होली मनाने बड़ी संख्या में महाकालेश्वर मंदिर पहुंचे, क्योंकि बाबा महाकाल के दरबार में होली का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. आरती के बाद मंदिर परिसर में मंदिर के मुख्य पुजारी घनश्याम शर्मा ने कंडों (उपले) व लकडी से निर्मित होलिका का विधिवत पूजन कर दहन किया. वहीं इसके बाद श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के साथ खूब होली खेली. वहीं अगले दिन यानि की होली पर भस्म आरती में भी रंग-गुलाल उड़ाया जाता है. बाबा महाकाल के साथ होली खेलने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. बता दें महाकाल नगरी में होलिका दहन और होली पर्व होने के बाद पूरे देश में फिर होली धूमधाम से मनाई जाती है.