उज्जैन: सोमवार को बाबा महाकाल की सवारी निकाली गई. कार्तिक अगहन (मार्गशीर्ष) मास की यह पहली सवारी है. सावन-भादो की तरह कार्तिक-अगहन माह में भी महाकाल की सवारी निकालने की परंपरा है. कार्तिक शुक्ल पक्ष के पहले सोमवार को पहली सवारी राजसी ठाठ-बाट से निकाली गई. इससे पहले शाम 4 बजे सभामंडपम में विधिवत पूजन-अर्चन किया गया. शिप्रा नदी पर पूजा के बाद सवारी वापस महाकाल मंदिर पहुंची.
इन रास्तों से होकर गुजरी सवारी
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि, "भगवान महाकालेश्वर, मनमहेश के रूप में अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले थे. महाकालेश्वर की सवारी में पुलिस बैंड, घुड़सवार दल, सशस्त्र पुलिस बल के जवान भी शामिल थे. सवारी महाकाल मंदिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार कहारवाड़ी होते हुए रामघाट क्षिप्रा तट पहुंची. वहां मां क्षिप्रा के जल से पूजन-अर्चन के बाद रामघाट से गणगौर दरवाजा, मोड की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार होते हुए वापस महाकाल मंदिर पहुंची.
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हरिहर मिलन सवारी 14 नवंबर को
कार्तिक-अगहन मास की दूसरी सवारी 11 नवंबर, तीसरी 18 नवंबर और प्रमुख राजसी सवारी 25 नवंबर 2024 को निकाली जाएगी. साथ ही हरिहर मिलन की सवारी रविवार 14 नवंबर को निकाली जाएगी. हरिहर सवारी रात 12 बजे श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर पहुंचेगी. आपको बता दें कि, सावन और कार्तिक महीने में निकलने वाली सवारी में पूजा-अर्चना से लेकर विधि-विधान में कोई फर्क नहीं रहता है. सावन-भादो माह की तरह कार्तिक-अगहन में भी भगवान महाकाल को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है. हालांकि इस समय श्रद्धालुओं की संख्या कम रहती है.