गया: बिहार के गया में अजूबे नाम वाले दो गांव हैं और दोनों एक-दूसरे से सटे हुए हैं. इन गांव में एक का नाम बंदरा तो दूसरे का नाम बंदरी है. गांवों के इन नामों के पीछे एक बड़ी ही रोचक कहानी है. हालांकि, इसकी चर्चा करने से लोग बचते हैं.
200 साल पुराने गांव का अनोखा नाम: बिहार के गया में 200 साल पुराना गांव है. इन गांवों का नाम बंदरा और बंदरी है. गया जिले के गुरारू प्रखंड अंतर्गत डीहा और देवकली पंचायत में बंदरा- बंदरी गांव है. सैकड़ों साल पुराने इन गांवों के बारे में बताया जाता है, कि तब लोगों की कुछ आबादी यहां रहा करते थे, तब अंग्रेजों का शासन चरम पर था.
क्यों गांव का नाम बंदरा-बंदरी रखा गया : बंदरी गांव के ग्रामीण राजेंद्र पासवान बताते हैं, कि दो सटे गांव के नाम बंदरा और बंदरी हैं. इसके पीछे जो पूर्वजों के द्वारा हमें बताया गया है, उसके अनुसार अंग्रेज जब सर्वे कर रहे थे, तो इन स्थानों पर पहुंचे थे. अंग्रेज सर्वे में जुटे थे. इस बीच उनके जूते गायब कर दिए गए. सर्वे के दौरान अंग्रेज अफसर में पुरुष अफसर के अलावे महिला अफसर भी शामिल थीं. उनके जूते और जूतियां गायब हुई, तो अंग्रेजी हुकूमत वाले अफसर गुस्से में आ गए.
"गुस्साए अंग्रेजी अफसर ने हमारे गांव का नाम बंदरी रख दिया और बगल वाले गांव का नाम बंदरा कर दिया. तब से इन्हीं नाम से हमारा गांव प्रसिद्ध है. अंग्रेज जहां खुद को असहज महसूस करते थे, वैसे कई गांव का नाम अपमानजनक शब्दों वाला रख देते थे. बंदरा और बंदरी नाम गांव का होना, हमारे लिए मजाक का पात्र बन जाता है. कई तरह की मुश्किल इससे होती है. हम मजाक के पात्र बन जाते हैं."- राजेन्द्र पासवान, बंदरी के ग्रामीण
नाम को लेकर उड़ता है मजाक: दरअसल बंदरा- बंदरी गांव का नाम होना कई कारणों से ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बन जाता है. यात्री बस जब पैसेंजर को लेकर गांव पहुंचती है, तो कंडक्टर बोलता है, बंदरा के लोग उतर जाएं, आगे बंदरी वाले भी तैयार हो जाएं. यह सुनते ही बंदरा गांव के रहने वाले ग्रामीण झेप जाते हैं और शर्मिंदगी महसूस करने लगते हैं. उन्हें लगता है कि गांव का बंदरा या बंदरी होना एक अभिशाप के रूप में है.
"हमारे गांव का नाम बंदरा और बगल वाले गांव का नाम बंदरी होना अजीब लगता है. मैं बंदरा गांव का हूं. बंदरा नाम एकदम से खराब लगता है. सरकारी आंकड़ों में यही नाम है. यही नाम पोस्ट ऑफिस आदि में भी है. नाम से शादी विवाह प्रभावित होते हैं, लेकिन यहां के लोग काफी सजग हैं और शिक्षित हैं. छोटी नौकरियों से लेकर सीबीआई में ऑफिसर तक हैं."- अक्षय कुमार सिंह, ग्रामीण,बंदरा गांव
वहीं, डीहा पंचायत की मुखिया सुनीता देवी के प्रतिनिधि मिंटू वर्मा बताते हैं, कि बंदरा और बंदरी गांव सुनकर अजीब लगता है, लेकिन यह बहुत पहले से नाम है. इसका अनुमान नहीं है, कि यह कब से बंदरा- बंदरी गांव है. कुछ लोग जब गांव का नाम पूछते हैं और लोग बताते हैं तो सामने वाला कहता है कि क्या मजाक कर रहे हैं.
"बाहर में काम करने जाते हैं, तो वहां के लोगों को जब गांव का नाम मालूम होता है, तो वह भी उपहास उड़ाते हैं. शादियां इन अजीब नाम होने के कारण प्रभावित होती हैं. बंदरा या बंदरी नाम बोलने से सामने वाला यह समझता है, कि उन्हें गाली दे रहा है, तो कहीं-कहीं लड़ाई भी हो जाती है."- मिंटू वर्मा, डीहा पंचायत की मुखिया के प्रतिनिधि
100 घरों का है बंदरा और बंदरी गांव: बंदरा और बंदरी गांव तकरीबन 100 घरों से अधिक का है. 60 घर बंदरी गांव में है, तो 40 घर बंदरा गांव में है. हालांकि दोनों ही गांव संपन्न है, लेकिन नाम के कारण उनकी जो परेशानी है, वह लगातार बनी रहती है. यही वजह है, कि गांव के ग्रामीण अपने गांव का नाम नहीं बताना चाहते हैं.
नाम बदलने की मांग: गांव का नाम घुमाकर बताते हैं. कोई अपने पंचायत का नाम बता कर निकल जाता है, तो इस तरह से लोग अंग्रेजों के दिए बंदरा बंदरी गांव के नाम से की चर्चा करने से बचना चाहते हैं. वही, लोग नाम बदलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह नामुमकिन साबित हो रहा है, क्योंकि हर सरकारी रिकॉर्ड में बंदरा और बंदरी गांव के निवासी है.
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