सिरमौर: हिमाचल प्रदेश को एप्पल बाउल के नाम से जाना जाता है. राज्य की आर्थिकी में सेब कारोबार पांच हजार करोड़ का योगदान देता है. जिला सिरमौर के 2 बागवानों ने इससे हटकर सफलता की कहानी लिखी है. इन बागवानों के लिए कीवी का उत्पादन लाखों रुपये के मुनाफे का सौदा साबित हो रहा है. ये दोनों बागवान एक ही झटके में लखपति बन गए हैं. ऐसे में बागवानी के क्षेत्र में ये दोनों ही बागवान अन्य किसानों और बागवानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनकर उभरे हैं. दोनों ही किसानों ने करीब 25 लाख रुपये की कीवी बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया है. साथ ही कीवी उत्पादन से अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ करने में जुटे है.
अन्य बागवानों के लिए भी यह बेहतर विकल्प है. दरअसल जिला सिरमौर का पच्छाद क्षेत्र नगदी फसलों के उत्पादन के लिए जाना जाता है. यहां के किसान टमाटर, शिमला मिर्च, बीन्स, मटर, अदरक, लहसुन की खेती के साथ-साथ फल उत्पादन विशेषकर आड़ू, नाशपाती, सेब, कीवी का भी उत्पादन कर अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ कर रहे हैं. इनमें से विजेन्द्र सिंह ठाकुर और नरेन्द्र पंवार ने कीवी की खेती को अपनाकर सफलता की कहानी लिखी है.
1990 में लगाए थे 100 पौधे
जिला की उप तहसील नारग के गांव थलेडी का बेड़ के प्रगतिशील बागवान विजेन्द्र सिंह ठाकुर ने बताया कि, 'उन्होंने वर्ष 1990 में पहली बार एलीसन और हेबर्ट प्रजाति के 100 पौधे लगाए. इसके चार साल बाद उन्होंने अपने बगीचे में 50 पौधे कीवी के और लगाए. आज उनके बगीचे में 150 कीवी के फलदार पौधे हैं. उन्होंने बताया कि इसी माह सितम्बर में उनके बगीचे से लगभग 50 क्विंटल कीवी का उत्पादन हुआ, जिससे उन्हें इसी व्यवसाय से 10 लाख रुपये की आमदनी हुई है. उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें 100 पौधे कीवी के लगाने पर मुख्यमंत्री कीवी प्रोत्साहन योजना के तहत 1 लाख 60 हजार रुपये अनुदान भी मिला. उनका संयुक्त परिवार है, जिसमें परिवार के 6 सदस्य कृषि और बागवानी व्यवसाय से जुड़े हैं. इसके अतिरिक्त 2 अन्य लोगों को भी उन्होंने रोजगार दिया है. वह अपने खेतों में टमाटर, शिमला मिर्च, मटर और लहसून की भी खेती करते हैं.'
इस साल हुई 15 लाख की आय
दूसरी तरफ इसी गांव के प्रगतिशील बागवान नरेन्द्र पंवार ने बताया कि, 'उन्होंने वर्ष 1993 में डॉ. वाईएस परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी से पहली बार कीवी के 150 पौधे खरीदे और अपने खेतों में रोपित किए. उन्होंने कीवी की बागवानी संबंधी जानकारी व बारीकियां विश्वविद्यालय से प्राप्त की. उन्होंने बताया कि कीवी की पैदावार चार हजार से छः हजार फीट की ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर होती है, जिसमें कीवी की एलिसन, ब्रूनो, मोंटी, एबोट व हेवर्ड मुख्य प्रजातियां हैं. अब उनके बगीचे में 300 कीवी के फलदार पौधे हैं. उन्होंने इस वर्ष 90 क्विंटल के लगभग कीवी का उत्पादन किया है, जिससे उन्हें 15 लाख रुपये से अधिक की आय अर्जित हुई हैं. बेरोजगार युवाओं से आह्वान किया कि वह सरकारी नौकरी की ओर भटकने की बजाय कीवी उत्पादन में रूची लें और अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ करें.'
क्या कहते है अधिकारी?
उधर उद्यान विकास अधिकारी पच्छाद जिला सिरमौर डॉ. राजेश शर्मा ने बताया कि, 'पच्छाद क्षेत्र की जलवायु कीवी उत्पादन के लिए सर्वोत्तम है. प्रदेश सरकार की ओर से मुख्यमंत्री कीवी प्रोत्साहन योजना चलाई जा रही है, जिसका बेरोजगार युवाओं को लाभ लेना चाहिए. पच्छाद क्षेत्र में लगभग 16 हेक्टेयर भूमि पर कीवी के पौधे रोपित किए गए हैं, जिसके तहत 133 मीट्रिक टन कीवी का उत्पादन हो रहा है. कीवी फल में औषधीय तत्व विद्यमान हैं, जो शरीर में खून की कमी और प्लेटलेट्स को बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं.'
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