नई दिल्ली/शिमला: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दो वरिष्ठतम जिला एवं सत्र न्यायाधीशों की याचिका पर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल से जवाब मांगा है. न्यायाधीशों ने यह दावा करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया कि न्यायाधीश पद के लिए नामों के चयन में उच्च न्यायालय कॉलेजियम द्वारा उनकी वरिष्ठता और योग्यता पर विचार नहीं किया गया. दोनों जजों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष दलील दी कि इन सर्विस कोटा के तहत न्यायिक अधिकारियों, जो उनके क्लाइंट्स से कनिष्ठ हैं. उनको उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद के लिए अनुशंसित किया गया था.
डेटा में 4 जनवरी, 2024 को शीर्ष अदालत द्वारा जारी एक कॉलेजियम प्रस्ताव और उसके बाद केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय को भेजे गए संचार का हवाला दिया गया. इस पृष्ठभूमि को लेकर उन्होंने कहा कि इनके अनुसार याचिकाकर्ता न्यायिक अधिकारियों के नामों पर उच्च न्यायालय कॉलेजियम द्वारा विचार किया जाना चाहिए था.
अरविंद दातार ने पीठ के समक्ष तर्क दिया कि उनके क्लाइंट्स के फैसले उपयुक्तता पर विचार करने के लिए नहीं बुलाए गए थे. याचिकाकर्ताओं का सेवा रिकॉर्ड बेदाग है और वे सबसे वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी हैं. वकील ने इस बात पर जोर दिया कि अगर हाल ही में समायोजित न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति पर विचार किया गया तो उनके क्लाइंट्स के प्रति पूर्वाग्रह होगा.
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि मामले की जांच तथ्यों और हिमाचल उच्च न्यायालय कॉलेजियम द्वारा जांची गई जानकारी के संदर्भ में करना महत्वपूर्ण है. सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद दातार की दलीलों पर विचार करने के बाद याचिका पर नोटिस जारी किया और मामले में अगली सुनवाई जुलाई महीन में निर्धारित की.
याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नति के लिए उच्च न्यायालय कॉलेजियम द्वारा न्यायिक अधिकारियों की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाया है. याचिका में आगे तर्क दिया गया कि शीर्ष अदालत कॉलेजियम के प्रस्ताव में इस मुद्दे को विशेष रूप से संदर्भित किए जाने के बावजूद उनकी योग्यता और वरिष्ठता को नजरअंदाज किया गया.
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