औरंगाबाद: बिहार के औरंगाबाद के मदनपुर प्रखंड के शिवगंज के दो लाल ने कमाल किया है. बिहार लोकसेवा आयोग के 32वीं बिहार न्यायिक सेवा प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त की है. शिवगंज निवासी अशोक कुमार मेहता के पुत्र अनुपम कुमार और विजय साव के पुत्र आदर्श कुमार ने पहले प्रयास में बाजी मार ली है. अनुपम को 151वां तो आदर्श को 120वां स्थान प्राप्त हुआ है, दोनों दोस्त है. इनके सफलता से शिवगंज समेत पूरे परिवार में जश्न का माहौल है.
पिता बेचते थे अंडा, बेटा बना जज: आदर्श कुमार ने अभावों में रहकर भी मुकाम पर पहुंचने का ऐसा जज्बा दिखाया कि उससे कई युवक-युवतियों की उम्मीदों को हौसला मिला है. हाल ही में बिहार लोक सेवा के तहत आयोजित बिहार न्यायिक सेवा प्रतियोगिता का परिणाम सामने आया हैं. खास बात है कि शिवगंज के इस बेटे के पिता ठेले पर अंडा बेचकर अपना गुजारा करते आ रहे हैं. हालांकि आदर्श ने आर्थिक तंगी को अपने पढ़ाई पर हावी होने नहीं दिया.
पहले प्रयास में मिली सफलता: आदर्श लगातार अध्ययन के जरिए खुद को तराशता रहा और आखिरकार न्यायिक सेवा में शानदार पद पर पहुंचने में उसे कामयाबी मिली. आदर्श की मैट्रिक और इंटर की पढ़ाई डीएवी स्कूल बोकारो से हुई है. उसने 2017 में क्लैट की परीक्षा पास कर चाणक्या लॉ यूनिवर्सिटी पटना से 2022 में लॉ की पढ़ाई की. इसके बाद दिल्ली में रहकर तैयारी की और पहले ही प्रयास में सफलता हासिल कर ली है.
मेहनत और लग्न दिलाया मुकाम: आदर्श के पिता विजय साव शिवगंज बाजार में ठेले पर अंडा बेचते हैं, तो वही मां सुनैना देवी गृहणी है. आदर्श ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और दोनों बड़ी बहन रेखा और लक्ष्मी को दिया है. आदर्श दो भाई और तीन बहन है, वो अपने भाइयों में सबसे बड़ा है. आदर्श ने बताया कि किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत और लग्न की जरूरत होती है. उसके बाद आप कोई भी मुकाम हासिल कर सकते हैं.
"वैसे छात्र छात्राएं जो इस क्षेत्र में आना चाहते हैं, उन्हें अभी से लॉ करते हुए प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए. बतौर जज बनकर पूरी ईमानदारी के साथ खासकर गरीब लोगों को न्याय दिलाना मेरी पहली प्राथमिकता होगी."-आदर्श कुमार, सफल अभ्यर्थी
छोटे किसान के बेटे की बड़ी सफलता: शिवगंज निवासी किसान अशोक कुमार मेहता का बेटा अनुपम कुमार जज बना है. अनुपम दो भाई और एक बहन में सबसे बड़ा है. इनके पिता अशोक कुमार मेहता किसान हैं, वहीं मां संजू मौर्या गृहणी हैं. अनुपम ने मैट्रिक की परीक्षा बीएल इंडो पब्लिक स्कूल औरंगाबाद से 2014 में 10 सीजीपीए अंक के साथ पास की थी. वहीं इंटर की परीक्षा 2016 में सच्चिदानंद सिन्हा कॉलेज औरंगाबाद से 77 परसेंट अंक के साथ उतीर्ण हुआ था
2 सालों में कड़ी मेहनत का फल: अनुपम ने बाद में क्लैट की परीक्षा पास कर चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी पटना से लॉ की पढ़ाई वर्ष 2022 में पूरी की थी. इसके बाद सिविल जज की तैयारी में दिल्ली जाकर जुट गए. पिछले 2 सालों में कड़ी मेहनत से उन्होंने पढ़ाई की. उन्होंने लक्ष्य बनाया कि घर तभी जाएंगे जब वो जज की कुर्सी हासिल कर लेंगे. इसी लक्ष्य के चलते पहले ही प्रयास में 151वां रैंक हासिल कर वो जज बन गए.
बचपन से ही थी जज बनने की चाहत: अनुपम ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और गुरुजनों को दिया है. उन्होनें बताया कि बचपन से ही जज बनने का उन्हें शौक था. वो अब लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए काम करेंगे. उन्होंने कहा कि दुनिया में असंभव नाम की कोई चीज नहीं है. उधर जैसे ही उनकी सफलता की खबर लोगों को मिली, उनके आवास पर बधाई देने वालों की भीड़ लग गई है. पूर्व विधायक सह 20 सूत्री उपाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह, राजद के जिला अध्यक्ष अमरेंद्र कुशवाहा समेत अन्य लोगों ने उनके सफलता पर हर्ष व्यक्त किया है.
"बचपन से ही शौक था कि जज बनूंगा और लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए काम करूंगा. दुनिया में असंभव नाम की कोई चीज नहीं है. मेहनत करने पर सफलता जरूर मिलती है."- अनुपम कुमार, सफल अभ्यर्थी
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