सरगुजा: उदयपुर विकासखण्ड में भारत की प्राचीनतम नाटयशालाओं में से एक रामगढ़ नाट्यशाला है. रामगढ़ नाट्यशाला में इस बार भी दो दिवसीय रामगढ़ महोत्सव का शुभारंभ शनिवार को सरगुजा लोकसभा क्षेत्र के सांसद चिंतामणी महाराज ने किया. आषाढ़ माह के पहले दिन रामगढ़ महोत्सव मनाने की परंपरा दशकों से चली आ रही है. साहित्यकारों और लोगों की मान्यता है कि रामगढ़ की पहाड़ियों में महाकवि कालिदास ने अपने महाकाव्य मेघदूतम की रचना की थी.
राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का हुआ आयोजन: दो दिवसीय रामगढ़ महोत्सव के दौरान राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का भी आयोजन हुआ. इस आयोजन में छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों से आए शोधार्थियों ने शोध पत्रों लोगों के सामने रखा, उसका पाठ किया. भोपाल से आए डॉ निलिम्प त्रिपाठी और रायपुर से आए ललित शर्मा ने अन्य शोधार्थियों का मार्गदर्शन किया. इसके साथ कवि सम्मेलन में स्थानीय कवियों ने अपने लेखन कला का प्रदर्शन किया. इस अवसर पर स्कूल-कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने भी गीत-संगीत के जरिए समा बांधा. स्थानीय कलाकार और कत्थक नृत्यांगना रित्विका बनर्जी ने भी शानदार प्रस्तुति दी. आयोजन में रचनाकार और गीतकार मीना वर्मा की लिखित पुस्तक "रामगढ नाट्यशाला" खण्डकाव्य तथा श्रीश मिश्र द्वारा लिखित "सन्दर्भ रामगढ़ मेघदूतम की रचनास्थली सरगुजा का रामगढ़" का विमोचन किया गया.
''वनवास काल में यहां रुके थे सीताराम'': इस मौके पर सांसद चिंतामणी महाराज ने कहा कि "सरगुजा के इस ऐतिहासिक स्थल रामगढ़ में वनवास के दौरान भगवान राम, माता सीता और भ्राता लक्ष्मण के आगमण हुए थे. तीनों लोग यहां पर रुके भी थे इसके प्रमाण मिलते हैं. जिस जगह पर रुके थे वो जगह आज भी सीता बेंगरा गुफा के नाम से जानी जाती है. महाकवि कालिदास ने भी यहीं पर अपने खण्डकाव्य मेघदूतम की रचना की. इस ऐतिहासिक महत्व के स्थल को देश-विदेश में पहचान दिलाने के लिए महोत्सव का आयोजन हो रहा है.''