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उत्तराखंड में कांग्रेस के दो कैंडिडेट्स ने अकेले दिखाया दम, खुद संभाला चुनावी कैंपेन, नहीं आया कोई स्टार प्रचारक - Congress Candidates in Uttarakhand

Congress Candidates in Uttarakhand उत्तराखंड में 83 लाख से ज्यादा मतदाता 55 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे. इसके लिए कल वोट डाले जाएंगे, लेकिन इस बार चुनाव प्रचार उतना खास नजर नहीं आया. खासकर कांग्रेस के दो प्रत्याशी तो 'वन मैन आर्मी' की तरह अकेले ही प्रचार और जनसंपर्क करते नजर आए. उनके लिए कोई भी स्टार प्रचारक मैदान में नहीं उतरा. पढ़िए पूरी खबर...

Congress Candidates Contesting Election Alone
कांग्रेस प्रत्याशी
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 18, 2024, 10:10 PM IST

Updated : Apr 18, 2024, 10:31 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में पांच लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे, लेकिन इस बार चुनाव में उस तरह की गर्मजोशी और माहौल नहीं दिखा, जो पिछले चुनाव में दिखा करता था. राजनीति के जानकारों का कहना है कि इस बार के चुनाव कुछ ऐसे हो रहे हैं, जिसका न तो स्थानीय जनता को पता लग रहा है और न ही कार्यकर्ताओं को ये आभास हो रहा है कि वो चुनावी मैदान में किसी के लिए काम कर रहे हैं.

बेहद फीके रहे इन चुनाव में बीजेपी ने अपने स्टार प्रचारकों की पूरी फौज तो उतारी, लेकिन कांग्रेस की हालत कुछ ऐसी थी कि उनके पास न तो दिल्ली से आने वाले स्टार प्रचारकों के नाम थे और न ही स्थानीय नेताओं ने किसी दूसरी लोकसभा पर जाने की जहमत उठाई. आलम ये रहा कि टिहरी लोकसभा सीट और अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट पर तो किसी भी बड़े चेहरे ने अपने उम्मीदवारों के लिए वोट तक नहीं मांगे.

बीजेपी ने उतारी थी फौज: उत्तराखंड में पांच लोकसभा सीटों पर हो रहे चुनाव में बीजेपी की तरफ से जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो रैलियां की तो वहीं सबसे पहले उत्तराखंड में स्टार प्रचारक की लिस्ट में स्मृति ईरानी गढ़वाल सीट पर पहुंची थीं. इसके बाद तो बीजेपी ने अपने तमाम बड़े नेताओं को उत्तराखंड के चुनावी समर में भेजा, जिसमें अमित शाह ने कोटद्वार, जेपी नड्डा ने हरिद्वार, पिथौरागढ़ और विकास नगर के साथ मसूरी में जनसभा की.

वहींं, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गौचर और कुमाऊं के कई हिस्सों में भी अपने प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रीनगर और हरिद्वार में हुंकार भरी. जहां उन्होंने बीजेपी प्रत्याशियों के लिए मैदान में उतरे.

वहीं, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को भी हरिद्वार के ग्रामीण में भेज कर बीजेपी ने पूरा चुनावी माहौल बना कर रखा. इसके अलावा जनरल वीके सिंह के साथ ही शहजाद पूनावाला भी प्रचार में दिखे. उत्तराखंड में बीजेपी के 40 स्टार प्रचारकों में 37 दिग्गजों ने ताबड़तोड़ रैलियां की.

Congress Candidate Jot Singh Gunsola
जोत सिंह गुनसोला की रैली (फोटो- X@INCUttarakhand)

टिहरी में भी नहीं आया कोई स्टार प्रचारक: कांग्रेस भले ही इस वक्त कमजोर हो, लेकिन प्रचार के मामले में उत्तराखंड की दो सीटें ऐसी रही, जहां पर किसी बड़े नेता ने आने की जहमत नहीं उठाई और उम्मीदवार अपने ही दम पर पूरा चुनाव लड़ते रहे. इसमें से एक सीट टिहरी लोकसभा सीट है.

इस सीट की महत्वता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राजधानी देहरादून का अमूमन हिस्सा इस सीट में आता है. मौजूदा समय में बीजेपी प्रत्याशी माला राज्य लक्ष्मी शाह, कांग्रेस प्रत्याशी जोत सिंह गुनसोला के सामने खड़ी हैं, लेकिन इसके बावजूद भी किसी भी पार्टी के बड़े कार्यकर्ता या नेता ने टिहरी में अपने उम्मीदवार के लिए प्रचार नहीं किया.

अकेले ही जोत सिंह गुनसोला देहरादून से लेकर गंगोत्री, चकराता, मसूरी और धनोल्टी जैसे हिस्सों में वोट मांगते रहे और जनसभा करते रहे, लेकिन किसी भी दिल्ली के नेता ने इस सीट पर आकर माहौल बनाने की कोशिश नहीं की. आलम ये रहा कि हरीश रावत जैसे नेता भी अपने बेटे की सीट पर ही प्रचार करते रहे.

Congress Candidate Pradeep Tamta
प्रदीप टम्टा की रैली (फोटो- X@PradeepTamtaINC)

अल्मोड़ा में भी अकेले लड़े प्रदीप टम्टा: ऐसा ही हाल अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट पर भी देखने को मिला. यहां पर पूर्व राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, लेकिन इतनी महत्वपूर्ण और विशालकाय लोकसभा सीट पर किसी भी प्रदेश व दिल्ली के नेताओं ने आने की कोशिश नहीं की.

प्रियंका गांधी गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र के रामनगर में तो आईं, लेकिन अल्मोड़ा जाने की कोशिश उन्होंने भी नहीं की. ऐसे में प्रदीप टम्टा भी अकेले ही पूरे संसदीय क्षेत्र का भ्रमण करते रहे. अब ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए कितनी गंभीर दिखाई दे रही थी.

उतने सक्रिय नहीं दिखे नेता: आलम ये था कि यशपाल आर्य, प्रीतम सिंह और हरीश रावत जैसे उत्तराखंड के दिग्गज नेता भी अपनी विधानसभाओं व अपनी लोकसभा से बाहर नहीं निकले. उत्तराखंड में कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा मौजूदा समय में हरीश रावत हैं, लेकिन वो भी बेटे को टिकट मिलने के बाद और उससे पहले भी वो हरिद्वार में ही भ्रमण करते दिखाई दिए.

प्रचार में दिखी नहीं कांग्रेस: राजनीतिक जानकार भागीरथ शर्मा कहते हैं कि कांग्रेस सत्ता में न होने की वजह से बेहद कमजोर है. ये बात सभी को पता है, लेकिन जिस तरह से इस बार कांग्रेस ने उत्तराखंड में चुनाव लड़ा है, उसे देखकर लगता है कि कोई भी उत्साह और चुनाव लड़ने की गंभीरता किसी भी नेता में नहीं दिखाई दी. सब अपने-अपने लिए काम करते हुए दिखाई दिए.

कांग्रेस का चुनावी मैनेजमेंट उसी दिन ही धराशायी हो गया था, जब उत्तराखंड के बड़े-बड़े नेताओं ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था. इतना ही नहीं हरीश रावत जैसे नेता जब हरिद्वार से बाहर नहीं निकलेंगे तो पार्टी के कार्यकर्ताओं में क्या संदेश जाएगा. उत्तराखंड में कांग्रेस के पास हरक सिंह, यशपाल आर्य, प्रीतम सिंह और हरीश रावत जैसे बड़े नेता हैं. इनका एक जिला या एक विधानसभा में कार्यकर्ता नहीं है.

इनकी पहुंच उत्तराखंड में अमूमन हर विधानसभा में है. ऐसे में अगर यह मिलकर चुनाव लड़ते तो शायद जिस तरह से बीजेपी का चुनाव प्रचार सब जगह पर दिख रहा है, वैसा ही चुनाव प्रचार शायद कांग्रेस का भी दिखता. फिलहाल, 19 अप्रैल यानी कल का दिन काफी अहम रहने वाला हैं. क्योंकि, कल उत्तराखंड में 83 लाख से ज्यादा मतदाता इनके भाग्य को ईवीएम में कैद कर देंगे. जो आगामी 4 जून को ही सामने आ पाएगा.

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बेहद फीके रहे इन चुनाव में बीजेपी ने अपने स्टार प्रचारकों की पूरी फौज तो उतारी, लेकिन कांग्रेस की हालत कुछ ऐसी थी कि उनके पास न तो दिल्ली से आने वाले स्टार प्रचारकों के नाम थे और न ही स्थानीय नेताओं ने किसी दूसरी लोकसभा पर जाने की जहमत उठाई. आलम ये रहा कि टिहरी लोकसभा सीट और अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट पर तो किसी भी बड़े चेहरे ने अपने उम्मीदवारों के लिए वोट तक नहीं मांगे.

बीजेपी ने उतारी थी फौज: उत्तराखंड में पांच लोकसभा सीटों पर हो रहे चुनाव में बीजेपी की तरफ से जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो रैलियां की तो वहीं सबसे पहले उत्तराखंड में स्टार प्रचारक की लिस्ट में स्मृति ईरानी गढ़वाल सीट पर पहुंची थीं. इसके बाद तो बीजेपी ने अपने तमाम बड़े नेताओं को उत्तराखंड के चुनावी समर में भेजा, जिसमें अमित शाह ने कोटद्वार, जेपी नड्डा ने हरिद्वार, पिथौरागढ़ और विकास नगर के साथ मसूरी में जनसभा की.

वहींं, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गौचर और कुमाऊं के कई हिस्सों में भी अपने प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रीनगर और हरिद्वार में हुंकार भरी. जहां उन्होंने बीजेपी प्रत्याशियों के लिए मैदान में उतरे.

वहीं, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को भी हरिद्वार के ग्रामीण में भेज कर बीजेपी ने पूरा चुनावी माहौल बना कर रखा. इसके अलावा जनरल वीके सिंह के साथ ही शहजाद पूनावाला भी प्रचार में दिखे. उत्तराखंड में बीजेपी के 40 स्टार प्रचारकों में 37 दिग्गजों ने ताबड़तोड़ रैलियां की.

Congress Candidate Jot Singh Gunsola
जोत सिंह गुनसोला की रैली (फोटो- X@INCUttarakhand)

टिहरी में भी नहीं आया कोई स्टार प्रचारक: कांग्रेस भले ही इस वक्त कमजोर हो, लेकिन प्रचार के मामले में उत्तराखंड की दो सीटें ऐसी रही, जहां पर किसी बड़े नेता ने आने की जहमत नहीं उठाई और उम्मीदवार अपने ही दम पर पूरा चुनाव लड़ते रहे. इसमें से एक सीट टिहरी लोकसभा सीट है.

इस सीट की महत्वता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राजधानी देहरादून का अमूमन हिस्सा इस सीट में आता है. मौजूदा समय में बीजेपी प्रत्याशी माला राज्य लक्ष्मी शाह, कांग्रेस प्रत्याशी जोत सिंह गुनसोला के सामने खड़ी हैं, लेकिन इसके बावजूद भी किसी भी पार्टी के बड़े कार्यकर्ता या नेता ने टिहरी में अपने उम्मीदवार के लिए प्रचार नहीं किया.

अकेले ही जोत सिंह गुनसोला देहरादून से लेकर गंगोत्री, चकराता, मसूरी और धनोल्टी जैसे हिस्सों में वोट मांगते रहे और जनसभा करते रहे, लेकिन किसी भी दिल्ली के नेता ने इस सीट पर आकर माहौल बनाने की कोशिश नहीं की. आलम ये रहा कि हरीश रावत जैसे नेता भी अपने बेटे की सीट पर ही प्रचार करते रहे.

Congress Candidate Pradeep Tamta
प्रदीप टम्टा की रैली (फोटो- X@PradeepTamtaINC)

अल्मोड़ा में भी अकेले लड़े प्रदीप टम्टा: ऐसा ही हाल अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट पर भी देखने को मिला. यहां पर पूर्व राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, लेकिन इतनी महत्वपूर्ण और विशालकाय लोकसभा सीट पर किसी भी प्रदेश व दिल्ली के नेताओं ने आने की कोशिश नहीं की.

प्रियंका गांधी गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र के रामनगर में तो आईं, लेकिन अल्मोड़ा जाने की कोशिश उन्होंने भी नहीं की. ऐसे में प्रदीप टम्टा भी अकेले ही पूरे संसदीय क्षेत्र का भ्रमण करते रहे. अब ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए कितनी गंभीर दिखाई दे रही थी.

उतने सक्रिय नहीं दिखे नेता: आलम ये था कि यशपाल आर्य, प्रीतम सिंह और हरीश रावत जैसे उत्तराखंड के दिग्गज नेता भी अपनी विधानसभाओं व अपनी लोकसभा से बाहर नहीं निकले. उत्तराखंड में कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा मौजूदा समय में हरीश रावत हैं, लेकिन वो भी बेटे को टिकट मिलने के बाद और उससे पहले भी वो हरिद्वार में ही भ्रमण करते दिखाई दिए.

प्रचार में दिखी नहीं कांग्रेस: राजनीतिक जानकार भागीरथ शर्मा कहते हैं कि कांग्रेस सत्ता में न होने की वजह से बेहद कमजोर है. ये बात सभी को पता है, लेकिन जिस तरह से इस बार कांग्रेस ने उत्तराखंड में चुनाव लड़ा है, उसे देखकर लगता है कि कोई भी उत्साह और चुनाव लड़ने की गंभीरता किसी भी नेता में नहीं दिखाई दी. सब अपने-अपने लिए काम करते हुए दिखाई दिए.

कांग्रेस का चुनावी मैनेजमेंट उसी दिन ही धराशायी हो गया था, जब उत्तराखंड के बड़े-बड़े नेताओं ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था. इतना ही नहीं हरीश रावत जैसे नेता जब हरिद्वार से बाहर नहीं निकलेंगे तो पार्टी के कार्यकर्ताओं में क्या संदेश जाएगा. उत्तराखंड में कांग्रेस के पास हरक सिंह, यशपाल आर्य, प्रीतम सिंह और हरीश रावत जैसे बड़े नेता हैं. इनका एक जिला या एक विधानसभा में कार्यकर्ता नहीं है.

इनकी पहुंच उत्तराखंड में अमूमन हर विधानसभा में है. ऐसे में अगर यह मिलकर चुनाव लड़ते तो शायद जिस तरह से बीजेपी का चुनाव प्रचार सब जगह पर दिख रहा है, वैसा ही चुनाव प्रचार शायद कांग्रेस का भी दिखता. फिलहाल, 19 अप्रैल यानी कल का दिन काफी अहम रहने वाला हैं. क्योंकि, कल उत्तराखंड में 83 लाख से ज्यादा मतदाता इनके भाग्य को ईवीएम में कैद कर देंगे. जो आगामी 4 जून को ही सामने आ पाएगा.

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Last Updated : Apr 18, 2024, 10:31 PM IST
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