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कैंसर से जूझ रहे दो बच्चे बने एक दिन के आर्मी ऑफिसर, 39 जीटीसी में अधिकारियों की तरह बिताया दिन - two children army officers for day

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से जूझ रहे दो बच्चों की ख्वाहिश को आर्मी ऑफिसर्स ने पूरा किया. लेफ्टिनेंट कर्नल की कुर्सी पर बैठकर दोनों बच्चों को एक अधिकारी के तौर पर काम करने का मौका मिला.

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दो बच्चे बने एक दिन के आर्मी ऑफिसर (photo credit- Etv Bharat)

वाराणसी: कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से जूझ रहे दो बच्चों की उस ख्वाहिश को आज एक सामाजिक संस्था और आर्मी ऑफिसर्स ने पूरा किया. वाराणसी में 39 जीटीसी के एकाउंट आफिसर कर्नल आशीष के प्रयासों से कैंसर जैसी बीमारी को लेकर काम करने वाली सामाजिक संस्था मेक ए विश की तरफ से मंगलवार को 12 साल के दिव्यांशु और 8 साल के आदर्श को 39 जीटीसी में एक दिन का ऑफिसर बनने का मौका मिला. सिक्योरिटी पर गार्ड सैल्यूट करने के साथ ही उन्हें लेफ्टिनेंट कर्नल की कुर्सी पर बैठकर एक अधिकारी के तौर पर काम करने का मौका इन्हें दिया गया. बच्चे बेहद खुश थे. आर्मी के इस प्रयास से बच्चों के चेहरे पर खुशी देखते ही बन रही थी.

कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को लेकर पीड़ितों की मदद करने वाली संस्था मेक ए विश की तरफ से लगातार कुछ अनूठे प्रयास किए जाते हैं. इससे पहले इस संस्था की तरफ से यूकेजी के 7 साल के छात्र प्रभात रंजन को कैंसर के लास्ट स्टेज के दौरान एक दिन का पुलिस ऑफिसर बनने के सपने को पूरा करने का भी काम किया गया था. उस वक्त संस्था के प्रयासों से अपर महानिदेशक पुलिस पियूष मोर्डिया ने प्रभात को एक दिन का एडीजी बनाया था और अपने ऑफिस में उसे अपनी कुर्सी पर बैठाकर उसकी ख्वाहिश को पूरा किया था. आज इसी क्रम में 12 साल के दिव्यांशु और 8 साल के आदर्श को मिलिट्री मैन बनने का सपना पूरा करने का काम संस्था की तरफ से किया गया.

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कैंसर से जूझ रहे दो बच्चे बने एक दिन के आर्मी ऑफिसर (video credit- Etv Bharat)

फाइलों पर किया साइन, फोन पर दिए ऑर्डर: संस्था ने दोनों बच्चों को एक दिन का मिलिट्री ऑफिसर बनने के लिए अधिकारियों से बात की और मिलिट्री अधिकारियों ने उनके इस सपने को पूरा करने के लिए इन्हें पूरा अधिकारियों वाला ट्रीटमेंट दिया. दोनों बच्चे जब अधिकारी की गाड़ी से कंपाउंड में पहुंचे तो मिलट्री कंपाउंड के बाहर मौजूद सुरक्षा जवानों ने इन्हें अधिकारियों की तरह ट्रीट करते हुए सलामी दी. जिससे बच्चे बेहद खुश हुए दोनों बच्चों का स्वागत कर्नल आशीष ने बुके देकर किया. इसके बाद ऑफिस में ले जाकर इन्हें पूरा काम समझाया. अधिकारी की कुर्सी पर बैठाया और फाइलों पर साइन करने से लेकर फोन पर ऑर्डर देने तक की प्रक्रिया को भी पूरा करवाया. यह बच्चे 2 घंटे से ज्यादा वक्त तक 39 जीटीसी में रहे और अधिकारियों की तरह कामकाज को देखा और ऑर्डर भी दिए.

ऐसे मिली अनुमति: मेक ए विश संस्था के वॉलिंटियर्स सोमेश मिश्रा की तरफ से ऐसे बच्चों की अंतिम ख्वाहिश को पूरा करने का प्रयास किया जाता है. सोमेश ने बताया, कि संस्था की तरफ से होमी भाभा कैंसर संस्थान में होने वाली काउंसलिंग प्रोग्राम से जुड़कर कैंसर पेशेंट की इच्छा को जानकर वह उनके इस कार्य को पूरा करने का प्रयास करते हैं. इसी क्रम में उन्होंने टू बी एन ऑफिसर विश के अंतर्गत सुल्तानपुर के रहने वाले दिव्यांशु और कुशीनगर के आदर्श को आर्मी ऑफिसर बनाकर ट्रीटमेंट के पहले उन्हें उनकी इच्छा पूरी करने का वादा किया था. जिसके बाद उन्होंने 39 जीटीसी से संपर्क किया और एडीएम एकाउंट ऑफिसर कर्नल आशीष ने उनको अनुमति दे दी. जिसके बाद उन्होंने बच्चों के साथ यहां पहुंचकर उनकी इस इच्छा को पूरा करवाया. बच्चों ने कई विभागों में फोन करके निर्देश दिए. ऑफिसर कर बुलवाकर 39 जीटीसी का निरीक्षण किया और पास में ही इस दौरान कर्नल खड़े भी रहे. दिव्यांशु अपने पिता दीपचंद गुप्ता और माता बिंदु देवी के साथ पहुंचे थे, जबकि आदर्श को उनकी मां लेकर वहां आई थी.

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वाराणसी: कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से जूझ रहे दो बच्चों की उस ख्वाहिश को आज एक सामाजिक संस्था और आर्मी ऑफिसर्स ने पूरा किया. वाराणसी में 39 जीटीसी के एकाउंट आफिसर कर्नल आशीष के प्रयासों से कैंसर जैसी बीमारी को लेकर काम करने वाली सामाजिक संस्था मेक ए विश की तरफ से मंगलवार को 12 साल के दिव्यांशु और 8 साल के आदर्श को 39 जीटीसी में एक दिन का ऑफिसर बनने का मौका मिला. सिक्योरिटी पर गार्ड सैल्यूट करने के साथ ही उन्हें लेफ्टिनेंट कर्नल की कुर्सी पर बैठकर एक अधिकारी के तौर पर काम करने का मौका इन्हें दिया गया. बच्चे बेहद खुश थे. आर्मी के इस प्रयास से बच्चों के चेहरे पर खुशी देखते ही बन रही थी.

कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को लेकर पीड़ितों की मदद करने वाली संस्था मेक ए विश की तरफ से लगातार कुछ अनूठे प्रयास किए जाते हैं. इससे पहले इस संस्था की तरफ से यूकेजी के 7 साल के छात्र प्रभात रंजन को कैंसर के लास्ट स्टेज के दौरान एक दिन का पुलिस ऑफिसर बनने के सपने को पूरा करने का भी काम किया गया था. उस वक्त संस्था के प्रयासों से अपर महानिदेशक पुलिस पियूष मोर्डिया ने प्रभात को एक दिन का एडीजी बनाया था और अपने ऑफिस में उसे अपनी कुर्सी पर बैठाकर उसकी ख्वाहिश को पूरा किया था. आज इसी क्रम में 12 साल के दिव्यांशु और 8 साल के आदर्श को मिलिट्री मैन बनने का सपना पूरा करने का काम संस्था की तरफ से किया गया.

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कैंसर से जूझ रहे दो बच्चे बने एक दिन के आर्मी ऑफिसर (video credit- Etv Bharat)

फाइलों पर किया साइन, फोन पर दिए ऑर्डर: संस्था ने दोनों बच्चों को एक दिन का मिलिट्री ऑफिसर बनने के लिए अधिकारियों से बात की और मिलिट्री अधिकारियों ने उनके इस सपने को पूरा करने के लिए इन्हें पूरा अधिकारियों वाला ट्रीटमेंट दिया. दोनों बच्चे जब अधिकारी की गाड़ी से कंपाउंड में पहुंचे तो मिलट्री कंपाउंड के बाहर मौजूद सुरक्षा जवानों ने इन्हें अधिकारियों की तरह ट्रीट करते हुए सलामी दी. जिससे बच्चे बेहद खुश हुए दोनों बच्चों का स्वागत कर्नल आशीष ने बुके देकर किया. इसके बाद ऑफिस में ले जाकर इन्हें पूरा काम समझाया. अधिकारी की कुर्सी पर बैठाया और फाइलों पर साइन करने से लेकर फोन पर ऑर्डर देने तक की प्रक्रिया को भी पूरा करवाया. यह बच्चे 2 घंटे से ज्यादा वक्त तक 39 जीटीसी में रहे और अधिकारियों की तरह कामकाज को देखा और ऑर्डर भी दिए.

ऐसे मिली अनुमति: मेक ए विश संस्था के वॉलिंटियर्स सोमेश मिश्रा की तरफ से ऐसे बच्चों की अंतिम ख्वाहिश को पूरा करने का प्रयास किया जाता है. सोमेश ने बताया, कि संस्था की तरफ से होमी भाभा कैंसर संस्थान में होने वाली काउंसलिंग प्रोग्राम से जुड़कर कैंसर पेशेंट की इच्छा को जानकर वह उनके इस कार्य को पूरा करने का प्रयास करते हैं. इसी क्रम में उन्होंने टू बी एन ऑफिसर विश के अंतर्गत सुल्तानपुर के रहने वाले दिव्यांशु और कुशीनगर के आदर्श को आर्मी ऑफिसर बनाकर ट्रीटमेंट के पहले उन्हें उनकी इच्छा पूरी करने का वादा किया था. जिसके बाद उन्होंने 39 जीटीसी से संपर्क किया और एडीएम एकाउंट ऑफिसर कर्नल आशीष ने उनको अनुमति दे दी. जिसके बाद उन्होंने बच्चों के साथ यहां पहुंचकर उनकी इस इच्छा को पूरा करवाया. बच्चों ने कई विभागों में फोन करके निर्देश दिए. ऑफिसर कर बुलवाकर 39 जीटीसी का निरीक्षण किया और पास में ही इस दौरान कर्नल खड़े भी रहे. दिव्यांशु अपने पिता दीपचंद गुप्ता और माता बिंदु देवी के साथ पहुंचे थे, जबकि आदर्श को उनकी मां लेकर वहां आई थी.

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