गया: बिहार के गया जी धाम में विश्व विख्यात पितृपक्ष मेला चल रहा है. पितृ पक्ष मेले में लाखों-लाख की संख्या में तीर्थयात्री पहुंच रहे हैं. पितृ पक्ष मेले के 11 दिन बीत चुके हैं. शनिवार को पितृपक्ष मेला का 12वां दिन है. इस दिन मुंड पृष्ठा, आदि गया और धौत पद में खोए या तिल गुड़ से पिंडदान करने का विधान है. यहां चांदी की वस्तु के दान करने की भी परंपरा है.
इस स्थान पर बैठे थे भगवान विष्णु: मान्यता है कि मुंड पृष्ठा पिंड वेदी पर भगवान विष्णु धर्मशिला को स्थिर करने के लिए बैठे थे. इस स्थान पर भगवान नारायण के गजाधर रूप में बैठने को लेकर पास में ही आदि गया पिंडवेदी के रूप में है. इन वेदियों पर पिंडदान और चांदी की वस्तु के दान से पितरों को विष्णुलोक की प्राप्ति हो जाती है. शनिवार को पितृपक्ष तीर्थ यात्री मुंड पृष्ठा, आदि गया और धौत पद में पिंडदान का कर्मकांड करेंगे.
भगवान विष्णु मुंड पृष्ठा पर बैठे थे: मुंड पृष्ठ पिंड वेदी को लेकर कई पौराणिक कथाएं हैं. पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि गयासुर पर जब धर्मशिला पर्वत को रखा गया तो इसे स्थिर करने के लिए भगवान विष्णु आए थे. इस क्रम में भगवान विष्णु मुंड पृष्ठा पर बैठे थे. मुंड पृष्ठा पर भगवान नारायण के बैठने को लेकर इस पिंड वेदी का काफी माहात्म्य है. भगवान विष्णु गदाधर रूप में जिस स्थान पर बैठे थे, वहीं पर आदि गया पिंड वेदी गया जी की मुख्य पिंड वेदियों में से एक है. इन वेदियों पर पिंडदान से पितरों को विष्णु लोक की प्राप्ति हो जाती है.
धौत पद में चांदी का होता है दान: गयाजी धाम में मुंड पृष्ठा, आदि गया पिंड वेदी के पास ही धौत पद वेदी स्थित है. आश्विन कृष्ण एकादशी के दिन इन सभी वेदी पर पिंडदान का विधान है. धौत पद वेदी पर पिंडदानी द्वारा पुरोहित को चांदी का दान करना चाहिए. माना जाता है कि पिंडदानी द्वारा पुरोहित को चांदी का दाम देने से उनके पितर तर जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति हो जाती हैं.
पिंडदानी को चांदी का दान करना चाहिए: मान्यता है कि यहां ब्रह्मा जी ने चांदी का दान दिया था. धौंता ऋषि के द्वारा संकल्प कराया गया था. धौंता ऋषि द्वारा ब्रह्मा जी को संकल्प कराए जाने को लेकर ही इस पिंड वेदी का नाम धौत पद पड़ा और यहां पिंडदान के बाद पिंडदारी द्वारा क्षमता के अनुसार चांदी का दान अवश्य करना चाहिए. यह पौराणिक काल से परंपरा है. इससे पितरों के संबंध में कहा जाता है कि वे तर जाते हैं.
विधि विधान से करना चाहिए पिंडदान: देश और विदेश से लाखों लाख की संख्या में पिंडदानी गया जी धाम को पहुंच रहे हैं और अपने पितरों के मोक्ष की कामना के निमित पिंडदान का करकर्मकांड कर रहे हैं. पिंडदानी को पिंडदान की अवधि में पूरे विधि विधान के साथ कर्मकांड करने चाहिए. पितृपक्ष की अवधि के दौरान पिंडदानी को मांसाहारी का पूरी तरह से त्याग करना चाहिए. वहीं, लहसुन-प्याज और मसूर की दाल का सेवन भी वर्जित होता है.
17 सितंबर से चल रहा है पितृ पक्ष मेला: जानकारी के लिए बता दें कि विश्व विख्यात पितृपक्ष मेला गया जी मोक्ष धाम विष्णु नगरी में 17 सितंबर से शुरू हुआ है. 17 सितंबर से शुरू हुआ यह मेला का आज बारहवां दिन है और आज आश्विन कृष्ण एकादशी के दिन मुंड पृष्ठा, आदि गया और धौत पड़ पिंड वेदियों में खोए या तिल गुड़ से पिंडदान करने का विधान है.
2 अक्टूबर को तक चलेगा: विश्व विख्यात पितृ पक्ष मेला 2 अक्टूबर तक चलेगा. फिलहाल गया जी धाम में पिंडदानियों का सैलाब उमड़ रहा है. पिंडदानी अपने पितरों के मोक्ष की कामना को लेकर पिंडदान का कर्मकांड कर रहे हैं. इस क्रम में आज शनिवार को पिंड दानी गया जी में मुंड पृष्ठ, आदि गया और धौत पद पिंड वेदियों पर खोए या तिल गुड़ से पिंडदान का कर्मकांड करेंगे.
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