आगरा : पहाड़ों पर बर्फबारी हो रही है, मैदानी क्षेत्रों में मौसम ने करवट ले ली है. सर्द हवाएं चल रही हैं, जिससे लोगों के होंठ फटने के साथ पपड़ी जम रही है. होंठों से रक्त आने से लोगों को भोजन करने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इस पीड़ा के साथ बच्चे, किशोर, युवा, महिला, पुरुष और बुजुर्ग त्वचा रोग विशेषज्ञ के पास पहुंच रहे हैं.
इस मौसम में काॅमन समस्या: एसएन मेडिकल कॉलेज के त्वचा रोग विभागाध्यक्ष डॉ. यतेंद्र चाहर बताते हैं कि इस मौसम में तापमान ऊपर-नीचे होने की वजह से त्वचा में नमी की कमी आती है. इस मौसम में हवा भी चल रही है, जिससे त्वचा की ऊपर की लेयर ज्यादा सेंसटिव होती है. लिप्स की ऊपर की लेयर में नमी कम होने लगती है, जिससे परेशानी बढ़ती है. होंठ फटने या पपड़ी पड़ने लगती है. इस मौसम में ये समस्या बेहद काॅमन है. ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है.
सर्द हवा से बढ़ी चेलाइटिस : एसएन मेडिकल कॉलेज के त्वचा रोग विभागाध्यक्ष डॉ. यतेंद्र चाहर ने बताया कि होंठ की त्वचा बेहद सेंसटिव होती है. अभी एकदम मौसम बदल रहा है. सर्द हवा चल रही है. ये सर्द हवा ही नमी और सोखती है, जिससे होंठ पर पपड़ी बनती है. त्वचा में खुजली भी होने लगती है. होंठों पर दरार होने से रक्त भी आता है. मेडिकल में इसे चेलाइटिस कहते हैं. इसमें कई बार लोग होठों पर अपनी जीभ बार-बार फिराते हैं. जिससे नम होने के बजाय त्वचा जल्द शुष्क होने लगती है. जो उसकी परेशानी बढ़ाते हैं.
देसी घी-मलाई फायदेमंद : एसएन मेडिकल कॉलेज के त्वचा रोग विभागाध्यक्ष डॉ. यतेंद्र चाहर ने बताया कि फटे होंठ होने की समस्या होने पर मॉश्चराइजर करें. इसमें सबसे अच्छा मॉश्चराइजर देसी घी या मलाई है. इसलिए, फटे होंठ की परेशानी होने पर होंठों पर दिन में दो-तीन बार देसी घी या मलाई लगाएं. इसके साथ ही नारियल का तेल भी लगाना फायदेमंद रहता है. इससे होंठों की त्वचा नम रहेगी. सबसे अहम बात यह है कि अक्सर लोग सर्दी के मौसम में पानी कम पीते हैं, जिससे भी होंठ फटने की समस्या होती है. इसलिए, तीन से पांच लीटर पानी रोज पिएं. जब मर्ज ठीक न हो तो चिकित्सक को दिखाएं.
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