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शपथ ग्रहण तो हो गया, कैबिनेट का कैसे होगा विस्तार! चुनाव सामने, क्या सभी वर्गों को खुश कर पाएंगे नीतीश?

बिहार में एनडीए की सरकार बन गई है. सीएम नीतीश कुमार, दो डिप्टी सीएम और 6 मंत्रियों का शपथ ग्रहण हो चुका है लेकिन मंत्रिमंडल का विस्तार होना बाकी है. लोकसभा चुनाव को देखते हुए सभी वर्गों के वोटरों को खुश करना है. इसके अनुसार ही मंत्रियों का भी चयन करना होगा. ऐसे में एनडीए के सामने यह बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. देखें एक रिपोर्ट.

बिहार में मंत्रीमंडल का विस्तार चुनौतीपूर्ण
बिहार में मंत्रीमंडल का विस्तार चुनौतीपूर्ण
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 31, 2024, 10:12 PM IST

Updated : Feb 1, 2024, 7:04 AM IST

बिहार में मंत्रीमंडल का विस्तार चुनौतीपूर्ण

पटनाः एक बार फिर बिहार में एनडीए की सरकार बन गई है. सीएम नीतीश कुमार सहित 8 मंत्रियों का शपथ ग्रहण हुए चार दिन बीत चुके हैं. अब तक ना तो मंत्रियों के विभाग का बंटवारा हो पाया है और ना ही दूसरे चरण के मंत्रिमंडल का विस्तार हो सका है. मंत्रिमंडल विस्तार नीतीश कुमार के लिए चुटकी का काम माना जाता रहा है लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए चुनौती है.

मंत्रिमंडल का विस्तार आसान नहींः 28 जनवरी को नीतीश कुमार अपने आठ सहयोगी डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, डिप्टी सीएम विजय सिन्हा और मंत्री प्रेम कुमार, विजय चौधरी, श्रवण कुमार, बिजेंद्र यादव, संतोष मांझी और सुमित सिंह ने शपथ ली. नीतीश कुमार ने कहा था कि जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा. जानकार की माने तो इस बार मंत्रिमंडल का विस्तार आसान नहीं है. भाजपा और जदयू लोकसभा चुनाव को देखते हुए सावधानी से कदम बढ़ाना चाहती हैं.

लव-कुश समीकरण सबसे ऊपरः राजनीतिक विशेषज्ञ डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि लव-कुश समीकरण को एनडीए ने सबसे ऊपर रखा है. उसके अगड़ी जाति को तवज्जो दी गई है. दोनों दल जातिगत समीकरण को लेकर मंथन कर रहे हैं. साल 2020 में एनडीए की सरकार ने शपथ ग्रहण के अगले दिन 14 मंत्रियों में विभाग बांट दिया था. 2022 में महागठबंधन सरकार में भी 31 मंत्रियों ने शपथ लिया, जिसमें राजद के 16 जदयू के 11, कांग्रेस के दो और हम के एक मंत्री थे.

"लोकसभा चुनाव को साधने के लिए एनडीए नेता मंथन कर रहे हैं. जातिगत जनगणना की रिपोर्ट मुश्किल बढ़ा दी है. सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देना और सामंजस्य बिठाना एक चुनौतीपूर्ण काम है. एनडीए नेता किसी वर्ग को नाराज करना नहीं चाहेंगे. शायद इस वजह से मंत्रिमंडल विस्तार में देरी हो रही है." -डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

27 मंत्री और बनाए जाएंगेः डॉक्टर संजय कुमार बताते हैं कि संविधान के मुताबिक मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या राज्य विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या के 15% से अधिक नहीं हो सकती है. इस हिसाब से बिहार में कुल 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं. 9 मंत्रियों का शपथ ग्रहण हो चुका है. अधिकतम 27 मंत्री और बन सकते हैं. सामान्य तौर पर 30 से 32 मंत्री ही कैबिनेट में शामिल होते हैं.

लव कुश समीकरण लगभग पूराः अब तक जिन जाति के नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह मिली है, उसमें कुर्मी जाति से दो नेताओं को जगह मिली है. बिहार में कुर्मी जाति की आबादी 2.87% है. सीएम नीतीश कुमार कुर्मी जाति से आते हैं. 4.21% कोईरी वोटरों को खुश करने के लिए भाजपा कोटे से सम्राट चौधरी डिप्टी सीएम बन गए हैं. लव कुश समीकरण 7.08% वोट बैंक साधा जा चुका है.

भूमिहार से जीवेश मिश्रा दावेदारः नीतीश कैबिनेट में दो कद्दावर मंत्री भूमिहार जाति से शामिल किए गए हैं. जदयू नेता विजय चौधरी और भाजपा कोटे के उपमुख्यमंत्री विजय सिंह इसी जाति से आते हैं. बिहार में भूमिहार जाति की आबादी 2.86% है. थोड़ा और असर के लिए भाजपा नेता जीवेश मिश्रा को मंत्री मंडल में जगह दी जा सकती है. यानि भूमिहार वोटरों के लिए इतना काफी माना जा सकता है.

राजपूत में कई नेता कर रहे इंतजारः बिहार में राजपूत जाति की आबादी 3.45% है. इसके लिए निर्दलीय विधायक सुमित सिंह मंत्री बनाए गए हैं. राजपूत जाति में कई नेता कतार में हैं, इसमें सबसे ऊपर जदयू नेता लेसी सिंह, जदयू नेता संजय सिंह, भाजपा विधायक नीरज बबलू प्रमुख दावेदार हैं. पिछली सरकार में भी नीरज बबलू मंत्री थे. इसके अलावा भाजपा ने श्रेयशी सिंह को लेकर भी आगे करने की तैयारी में है.

दलितों की आबादी 19.65%: संतोष सुमन दलित समुदाय से आते हैं. नीतीश कैबिनेट में इन्हें जगह दी गई है. दलितों की आबादी 19.65% है. ऐसे में मंत्रीमंडल में ऐसे नेता को तवज्जो देना जरूरी है. दलित समाज से अशोक चौधरी को मंत्री बनाया जा सकता है. इसके अलावा भाजपा कोटे के नेता रामप्रीत पासवान की दावेदारी भी मजबूत है. भाजपा नेता जनक राम का भी मंत्री बनना तय माना जा रहा है.

अति पिछड़ा पर टार्गेटः अति पिछड़ा समुदाय राजनीतिक दलों के टारगेट पर है. बिहार में अति पिछड़ों की आबादी 36% है. नीतीश कैबिनेट में सिर्फ एक चेहरा अति पिछड़ा समाज से शामिल किया जा सका है, जो भाजपा नेता प्रेम कुमार हैं. अति पिछड़ा समाज से मदन साहनी पिछली सरकार में भी मंत्री थे. इस बार भी इनका दावा मजबूत है. इसके अलावे हरि साहनी और प्रमोद कुमार की दावेदारी भी मजबूत है.

यादवों की आबादी 14%: बिहार में दलित अति पिछड़ा और दलित वोटरों के बाद सबसे बड़ी जाति यादवों की है. यादव जाति राज्य के अंदर 14% से अधिक हैं. नीतीश कैबिनेट में इस जाति से एक नेता को जगह मिली है जो विजेंद्र यादव 28 जनवरी को मंत्री का शपथ ली है. नंदकिशोर यादव को विधानसभा अध्यक्ष बनाने की बात चल रही है. इसके अलावे भाजपा नेता मोहन यादव, भाजपा नेता नवल किशोर यादव, रामसूरत राय भी हैं जो मंत्री बनने के लिए कतार में हैं.

ब्राह्मणों से अभी एक भी मंत्री भी नहींः बिहार में ब्राह्मणों की आबादी 3.65 प्रतिशत है. इस जाति से कैबिनेट में एक भी नेता शामिल नहीं किया जा सका है. भाजपा और जदयू पर दबाव होगा कि ब्राह्मण जाति से नेताओं को जगह दी जाए. जदयू नेता संजय झा, भाजपा नेता मंगल पांडे ब्राह्मण जाति के बड़े नेता माने जाते हैं. दोनों मंत्रिमंडल के दावेदार भी हैं. इसके अलावा भाजपा नेता नीतीश मिश्रा को लेकर भी मंथन चल रहा है.

मुसलमान की आबादी 17.70%: बिहार में मुसलमान की आबादी 17.70% है. यानि यादवों से ज्यादा यहां ध्यान देने की जरूरत है. क्योंकि इसपर भी राजनीतिक दलों की नजर है. भाजपा कोटे से शाहनवाज हुसैन मंत्रिमंडल में शामिल किए जा सकते हैं. जदयू कोटे के जमाखान कैबिनेट में जगह पा सकते हैं. जमा खान पिछले नीतीश कैबिनेट में भी मंत्री थे. ऐसे में लोकसभा चुनाव को देखते हुए मंत्रीमंडल का विस्तार करना चुनौतीपूर्ण नजर आ रहा है. अब देखना है कि इसमें भाजपा-जदयू सफल हो पाती है या नहीं.

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पटनाः एक बार फिर बिहार में एनडीए की सरकार बन गई है. सीएम नीतीश कुमार सहित 8 मंत्रियों का शपथ ग्रहण हुए चार दिन बीत चुके हैं. अब तक ना तो मंत्रियों के विभाग का बंटवारा हो पाया है और ना ही दूसरे चरण के मंत्रिमंडल का विस्तार हो सका है. मंत्रिमंडल विस्तार नीतीश कुमार के लिए चुटकी का काम माना जाता रहा है लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए चुनौती है.

मंत्रिमंडल का विस्तार आसान नहींः 28 जनवरी को नीतीश कुमार अपने आठ सहयोगी डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, डिप्टी सीएम विजय सिन्हा और मंत्री प्रेम कुमार, विजय चौधरी, श्रवण कुमार, बिजेंद्र यादव, संतोष मांझी और सुमित सिंह ने शपथ ली. नीतीश कुमार ने कहा था कि जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा. जानकार की माने तो इस बार मंत्रिमंडल का विस्तार आसान नहीं है. भाजपा और जदयू लोकसभा चुनाव को देखते हुए सावधानी से कदम बढ़ाना चाहती हैं.

लव-कुश समीकरण सबसे ऊपरः राजनीतिक विशेषज्ञ डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि लव-कुश समीकरण को एनडीए ने सबसे ऊपर रखा है. उसके अगड़ी जाति को तवज्जो दी गई है. दोनों दल जातिगत समीकरण को लेकर मंथन कर रहे हैं. साल 2020 में एनडीए की सरकार ने शपथ ग्रहण के अगले दिन 14 मंत्रियों में विभाग बांट दिया था. 2022 में महागठबंधन सरकार में भी 31 मंत्रियों ने शपथ लिया, जिसमें राजद के 16 जदयू के 11, कांग्रेस के दो और हम के एक मंत्री थे.

"लोकसभा चुनाव को साधने के लिए एनडीए नेता मंथन कर रहे हैं. जातिगत जनगणना की रिपोर्ट मुश्किल बढ़ा दी है. सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देना और सामंजस्य बिठाना एक चुनौतीपूर्ण काम है. एनडीए नेता किसी वर्ग को नाराज करना नहीं चाहेंगे. शायद इस वजह से मंत्रिमंडल विस्तार में देरी हो रही है." -डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

27 मंत्री और बनाए जाएंगेः डॉक्टर संजय कुमार बताते हैं कि संविधान के मुताबिक मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या राज्य विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या के 15% से अधिक नहीं हो सकती है. इस हिसाब से बिहार में कुल 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं. 9 मंत्रियों का शपथ ग्रहण हो चुका है. अधिकतम 27 मंत्री और बन सकते हैं. सामान्य तौर पर 30 से 32 मंत्री ही कैबिनेट में शामिल होते हैं.

लव कुश समीकरण लगभग पूराः अब तक जिन जाति के नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह मिली है, उसमें कुर्मी जाति से दो नेताओं को जगह मिली है. बिहार में कुर्मी जाति की आबादी 2.87% है. सीएम नीतीश कुमार कुर्मी जाति से आते हैं. 4.21% कोईरी वोटरों को खुश करने के लिए भाजपा कोटे से सम्राट चौधरी डिप्टी सीएम बन गए हैं. लव कुश समीकरण 7.08% वोट बैंक साधा जा चुका है.

भूमिहार से जीवेश मिश्रा दावेदारः नीतीश कैबिनेट में दो कद्दावर मंत्री भूमिहार जाति से शामिल किए गए हैं. जदयू नेता विजय चौधरी और भाजपा कोटे के उपमुख्यमंत्री विजय सिंह इसी जाति से आते हैं. बिहार में भूमिहार जाति की आबादी 2.86% है. थोड़ा और असर के लिए भाजपा नेता जीवेश मिश्रा को मंत्री मंडल में जगह दी जा सकती है. यानि भूमिहार वोटरों के लिए इतना काफी माना जा सकता है.

राजपूत में कई नेता कर रहे इंतजारः बिहार में राजपूत जाति की आबादी 3.45% है. इसके लिए निर्दलीय विधायक सुमित सिंह मंत्री बनाए गए हैं. राजपूत जाति में कई नेता कतार में हैं, इसमें सबसे ऊपर जदयू नेता लेसी सिंह, जदयू नेता संजय सिंह, भाजपा विधायक नीरज बबलू प्रमुख दावेदार हैं. पिछली सरकार में भी नीरज बबलू मंत्री थे. इसके अलावा भाजपा ने श्रेयशी सिंह को लेकर भी आगे करने की तैयारी में है.

दलितों की आबादी 19.65%: संतोष सुमन दलित समुदाय से आते हैं. नीतीश कैबिनेट में इन्हें जगह दी गई है. दलितों की आबादी 19.65% है. ऐसे में मंत्रीमंडल में ऐसे नेता को तवज्जो देना जरूरी है. दलित समाज से अशोक चौधरी को मंत्री बनाया जा सकता है. इसके अलावा भाजपा कोटे के नेता रामप्रीत पासवान की दावेदारी भी मजबूत है. भाजपा नेता जनक राम का भी मंत्री बनना तय माना जा रहा है.

अति पिछड़ा पर टार्गेटः अति पिछड़ा समुदाय राजनीतिक दलों के टारगेट पर है. बिहार में अति पिछड़ों की आबादी 36% है. नीतीश कैबिनेट में सिर्फ एक चेहरा अति पिछड़ा समाज से शामिल किया जा सका है, जो भाजपा नेता प्रेम कुमार हैं. अति पिछड़ा समाज से मदन साहनी पिछली सरकार में भी मंत्री थे. इस बार भी इनका दावा मजबूत है. इसके अलावे हरि साहनी और प्रमोद कुमार की दावेदारी भी मजबूत है.

यादवों की आबादी 14%: बिहार में दलित अति पिछड़ा और दलित वोटरों के बाद सबसे बड़ी जाति यादवों की है. यादव जाति राज्य के अंदर 14% से अधिक हैं. नीतीश कैबिनेट में इस जाति से एक नेता को जगह मिली है जो विजेंद्र यादव 28 जनवरी को मंत्री का शपथ ली है. नंदकिशोर यादव को विधानसभा अध्यक्ष बनाने की बात चल रही है. इसके अलावे भाजपा नेता मोहन यादव, भाजपा नेता नवल किशोर यादव, रामसूरत राय भी हैं जो मंत्री बनने के लिए कतार में हैं.

ब्राह्मणों से अभी एक भी मंत्री भी नहींः बिहार में ब्राह्मणों की आबादी 3.65 प्रतिशत है. इस जाति से कैबिनेट में एक भी नेता शामिल नहीं किया जा सका है. भाजपा और जदयू पर दबाव होगा कि ब्राह्मण जाति से नेताओं को जगह दी जाए. जदयू नेता संजय झा, भाजपा नेता मंगल पांडे ब्राह्मण जाति के बड़े नेता माने जाते हैं. दोनों मंत्रिमंडल के दावेदार भी हैं. इसके अलावा भाजपा नेता नीतीश मिश्रा को लेकर भी मंथन चल रहा है.

मुसलमान की आबादी 17.70%: बिहार में मुसलमान की आबादी 17.70% है. यानि यादवों से ज्यादा यहां ध्यान देने की जरूरत है. क्योंकि इसपर भी राजनीतिक दलों की नजर है. भाजपा कोटे से शाहनवाज हुसैन मंत्रिमंडल में शामिल किए जा सकते हैं. जदयू कोटे के जमाखान कैबिनेट में जगह पा सकते हैं. जमा खान पिछले नीतीश कैबिनेट में भी मंत्री थे. ऐसे में लोकसभा चुनाव को देखते हुए मंत्रीमंडल का विस्तार करना चुनौतीपूर्ण नजर आ रहा है. अब देखना है कि इसमें भाजपा-जदयू सफल हो पाती है या नहीं.

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Last Updated : Feb 1, 2024, 7:04 AM IST
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