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अलवर का त्रिपोलेश्वर महादेव मंदिर, यहां शिव और शक्ति रूप में प्रज्जवलित रहती है अखंड ज्वाला ज्योत - First Sawan Somwar 2024

आज से सावन की शुरुआत हो गई है. अलवर के त्रिपोलेश्वर महादेव मंदिर शिव के मंदिरों में एक बड़ी आस्था का केंद्र है. इसे अलवर के पूर्व शासकों ने कई हजार वर्ष पूर्व बनवाया था. महंत के अनुसार त्रिपोलिया मंदिर का शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है और यही खासियत इस मंदिर को खास बनाती हैं.

TRIPOLIYA SHIV MANDIR ALWAR
TRIPOLIYA SHIV MANDIR ALWAR (PHOTO : ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 22, 2024, 8:19 AM IST

अलवर का त्रिपोलेश्वर महादेव मंदिर (VIDEO : ETV BHARAT)

अलवर. सावन के महीने में शिव मंदिरों में पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है. अलवर जिले में अनेक प्राचीन मंदिर हैं, लेकिन त्रिपोलेश्वर महादेव मंदिर के प्रति भक्तों में आस्था देखते ही बनती है. सावन में इस मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए लोगों का तांता लगा रहता है. त्रिपोलेश्वर मंदिर का निर्माण रियासतकाल में करीब 300 साल पहले कराया गया था. खास बात यह कि मंदिर जिस त्रिपोलिया में स्थित है, उसे अलवर के पूर्व शासकों ने कई हजार वर्ष पूर्व बनवाया था.

मंदिर के महंत जितेंद्र खेड़ापति ने बताया कि त्रिपोलेश्वर मंदिर की स्थापना से यहां शिव और शक्ति के रूप में ज्वाला अखंड ज्योत के रूप में प्रज्जवलित है. अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त ज्योत में घी चढ़ाते हैं. इस प्राचीन त्रिपोलिया मंदिर के कपाट सुबह 2 बजे खुल जाते हैं और प्रतिदिन प्रात: 4 बजे, 6 बजे, शाम को संध्या आरती और रात्रि में शयन आरती यहां होती है. इन आरती के दर्शन का विशेष महत्व है. इस कारण सभी आरतियों में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं. महंत के अनुसार त्रिपोलिया मंदिर का शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है और यही खासियत इस मंदिर को खास बनाती हैं. जितेंद्र खेड़ापति ने बताया कि अलवर शहर वासियों को मानना है भगवान त्रिपोलेश्वर से मांगी गई मनोकामना कभी भी खाली नहीं गई. यहां जो भी भक्त आता है, उनकी मनोकामना पूर्ण होती है.

जितेंद्र खेड़ापति ने बताया कि घर में जन्मे नए बच्चों के मूल उतारने के लिए त्रिपोलिया मंदिर के गौमुख से आने वाली जलधारा के पानी को भक्त अपने घर लेकर जाते हैं. त्रिपोलिया मंदिर के पानी से ही मूल विधिवत पूर्ण माना जाता है.

इसे भी पढ़ें : इस बार कालयुग में श्रावण मास, 5 सोमवार को महादेव की आराधना का विशेष महत्व - First Sawan Somwar 2024

प्रतिदिन कई रूपों में सजाई जाती है झांकियां : रियासतकालीन त्रिपोलेश्वर मंदिर की खासियत है कि यहां नर्भदेश्वर शिवलिंग विराजमान है. इस शिवलिंग की प्रतिदिन कई रूपों में झांकियां सजाई जाती है. यही कारण है कि इस मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों भक्त नर्भदेश्वर शिवलिंग के समक्ष अपनी हाजिरी लगाते हैं. इस मंदिर के चारों ओर बाजार हैं. इन बाजारों के दुकानदार त्रिपोलेश्श्वर मंदिर के दर्शन कर और यहां गोमुख से बहने वाले जल लेकर दुकान में छिड़काव कर कारोबार शुरू करते हैं. त्रिपोलेश्वर महादेव मंदिर करीब 300 साल पुराना है. इस मंदिर में भक्तों की ओर से परंपरागत तरीके से पूजा अर्चना की जाती है.

सावन में होते हैं विशेष आयोजन : महंत खेड़ापति ने बताया कि सावन मास में मंदिर प्रन्यास की ओर से विशेष आयोजन किए जाते हैं. इन आयोजनों में बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं. सबसे बड़ा आयोजन रुद्री पाठ का रहता है. इसमें त्रिपोलेश्वर महादेव को मंत्रों के द्वारा सवा लाख रुद्राक्ष चढ़ाए जाते हैं. आयोजन के बाद इन रूद्राक्षों को मंदिर में आने वाले भक्तों को नि:शुल्क बांटा जाता है. त्रिपोलेश्वर मंदिर में रुद्री पाठ का आयोजन पिछले 16 वर्षों से किया जा रहा है.

अलवर का त्रिपोलेश्वर महादेव मंदिर (VIDEO : ETV BHARAT)

अलवर. सावन के महीने में शिव मंदिरों में पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है. अलवर जिले में अनेक प्राचीन मंदिर हैं, लेकिन त्रिपोलेश्वर महादेव मंदिर के प्रति भक्तों में आस्था देखते ही बनती है. सावन में इस मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए लोगों का तांता लगा रहता है. त्रिपोलेश्वर मंदिर का निर्माण रियासतकाल में करीब 300 साल पहले कराया गया था. खास बात यह कि मंदिर जिस त्रिपोलिया में स्थित है, उसे अलवर के पूर्व शासकों ने कई हजार वर्ष पूर्व बनवाया था.

मंदिर के महंत जितेंद्र खेड़ापति ने बताया कि त्रिपोलेश्वर मंदिर की स्थापना से यहां शिव और शक्ति के रूप में ज्वाला अखंड ज्योत के रूप में प्रज्जवलित है. अपनी मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त ज्योत में घी चढ़ाते हैं. इस प्राचीन त्रिपोलिया मंदिर के कपाट सुबह 2 बजे खुल जाते हैं और प्रतिदिन प्रात: 4 बजे, 6 बजे, शाम को संध्या आरती और रात्रि में शयन आरती यहां होती है. इन आरती के दर्शन का विशेष महत्व है. इस कारण सभी आरतियों में बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं. महंत के अनुसार त्रिपोलिया मंदिर का शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है और यही खासियत इस मंदिर को खास बनाती हैं. जितेंद्र खेड़ापति ने बताया कि अलवर शहर वासियों को मानना है भगवान त्रिपोलेश्वर से मांगी गई मनोकामना कभी भी खाली नहीं गई. यहां जो भी भक्त आता है, उनकी मनोकामना पूर्ण होती है.

जितेंद्र खेड़ापति ने बताया कि घर में जन्मे नए बच्चों के मूल उतारने के लिए त्रिपोलिया मंदिर के गौमुख से आने वाली जलधारा के पानी को भक्त अपने घर लेकर जाते हैं. त्रिपोलिया मंदिर के पानी से ही मूल विधिवत पूर्ण माना जाता है.

इसे भी पढ़ें : इस बार कालयुग में श्रावण मास, 5 सोमवार को महादेव की आराधना का विशेष महत्व - First Sawan Somwar 2024

प्रतिदिन कई रूपों में सजाई जाती है झांकियां : रियासतकालीन त्रिपोलेश्वर मंदिर की खासियत है कि यहां नर्भदेश्वर शिवलिंग विराजमान है. इस शिवलिंग की प्रतिदिन कई रूपों में झांकियां सजाई जाती है. यही कारण है कि इस मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों भक्त नर्भदेश्वर शिवलिंग के समक्ष अपनी हाजिरी लगाते हैं. इस मंदिर के चारों ओर बाजार हैं. इन बाजारों के दुकानदार त्रिपोलेश्श्वर मंदिर के दर्शन कर और यहां गोमुख से बहने वाले जल लेकर दुकान में छिड़काव कर कारोबार शुरू करते हैं. त्रिपोलेश्वर महादेव मंदिर करीब 300 साल पुराना है. इस मंदिर में भक्तों की ओर से परंपरागत तरीके से पूजा अर्चना की जाती है.

सावन में होते हैं विशेष आयोजन : महंत खेड़ापति ने बताया कि सावन मास में मंदिर प्रन्यास की ओर से विशेष आयोजन किए जाते हैं. इन आयोजनों में बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं. सबसे बड़ा आयोजन रुद्री पाठ का रहता है. इसमें त्रिपोलेश्वर महादेव को मंत्रों के द्वारा सवा लाख रुद्राक्ष चढ़ाए जाते हैं. आयोजन के बाद इन रूद्राक्षों को मंदिर में आने वाले भक्तों को नि:शुल्क बांटा जाता है. त्रिपोलेश्वर मंदिर में रुद्री पाठ का आयोजन पिछले 16 वर्षों से किया जा रहा है.

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