रांचीः देश में लगातार हो रहे सरकारी नियमों में बदलाव को लेकर झारखंड के आदिवासी संगठन विरोध दर्ज करते रहे हैं. गुरुवार को एक बार फिर झारखंड के आदिवासियों ने अपने धर्म के लिए सरकारी कागजों में अन्य कॉलम नहीं होने को लेकर विरोध दर्ज कराया है.
झारखंड एकेडमिक काउंसिल के मुख्य द्वार पर आदिवासी संगठन ने आठवीं के लिए भरे जा रहे स्कॉलरशिप फॉर्म में धर्म कोड के लिए अन्य का कॉलम हटाए जाने को लेकर विरोध जताया है. आदिवासी संगठन के लोगों का कहना है कि झारखंड एकेडमिक काउंसिल के द्वारा निकाले गए फॉर्म में धर्म के लिए भरे जा रहे कॉलम में अन्य का ऑप्शन हटा दिया गया है. धर्म के कॉलम में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और जैन धर्म का ऑप्शन दिया गया है. लेकिन अन्य का ऑप्शन हटा दिया गया है जबकि झारखंड के आदिवासी समुदाय के लोग किसी भी फॉर्म में अन्य का ऑप्शन को भरते थे. क्योंकि सरना धर्म का कोई ऑप्शन अभी तक जारी नहीं हुआ है. ऐसे में आदिवासियों के लिए एकमात्र अन्य का ऑप्शन ही बच जाता था.
रांची में जैक कार्यालय का घेराव करने पहुंचे लोगों का समर्थन कर रहीं राज्य की पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि भारत सरकार जिस तरह से देश से आदिवासियों को मिटाने का प्रयास कर रही है. इसी का मिसाल झारखंड एकेडमिक काउंसिल की हरकत से देखने को मिल रहा है. उन्होंने झारखंड अकादमी बोर्ड के द्वारा स्कॉलरशिप फॉर्म से अन्य का ऑप्शन हटाए जाने का विरोध किया है. पूर्व मंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज सरना धर्म को मानते हैं लेकिन किसी भी सरकारी फॉर्म में सरना धर्म कहकर कोई ऑप्शन नहीं रहता इसीलिए आदिवासी छात्र अन्य ऑप्शन का प्रयोग करते हैं.
पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि अगर अन्य का ऑप्शन हटा दिया जाएगा तो आदिवासियों को मजबूरी में हिंदू या मुस्लिम धर्म को अपनाना होगा. उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर इस तरह से सरकारी फार्मों में से अन्य का ऑप्शन हटा दिया जाएगा तो निश्चित रूप से आदिवासियों का अस्तित्व मिट जाएगा. एक तरफ आदिवासी संगठन सरना धर्म कोड को लागू करवाने के लिए केंद्र सरकार से गुहार लगा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार गलत तरीके से देश से सरना धर्म को हटा रही है. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि झारखंड आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है और यहां पर आदिवासियों की बहुताय संख्या को देखते हुए कई योजना लागू किए जाते हैं. ऐसे में झारखंड जैसे प्रदेश से अगर अन्य का ऑप्शन हटा दिया जाएगा तो निश्चित रूप से आदिवासियों को मिटाने की साजिश कही जा सकती है.
लोगों के विरोध को देखते हुए झारखंड एकेडमिक काउंसिल के सचिव सच्चिदानंद तिग्गा ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधि मंडल से बातचीत करने के बाद जैक के अध्यक्ष के द्वारा चिट्ठी मांगी गई है. उन्होंने प्रदर्शन करने पहुंचे लोगों को आश्वासन देते हुए कहा कि चिट्ठी मिलने के तुरंत बाद से आदिवासियों के लिए अन्य का कॉलम शुरू कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकारी फॉर्म से धर्म के लिए अन्य का कॉलम हटाने से जो भी आदिवासी छात्र 2023-24 वित्तीय वर्ष की स्कॉलरशिप योजना से लाभान्वित नहीं हुए हैं, उनके लिए भी विशेष आदेश जारी किए जाएंगे.
झारखंड एकेडमिक काउंसिल के पदाधिकारियों से आश्वासन मिलने के बाद प्रदर्शनकारियों ने अपना विरोध समाप्त किया. लेकिन उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर जल्द से जल्द इसमें सुधार नहीं किया जाता तो आने वाले दिनों में आदिवासी संगठन और भी उग्र प्रदर्शन करेंगे.
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