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डीलिस्टिंग की मांग को लेकर सड़क पर उतरे आदिवासी समाज के लोग, धर्मांतरण का किया विरोध

Rally for delisting in Latehar. लातेहार में डीलिस्टिंग की मांग को लेकर आदिवासी समाज के लोग सड़क पर उतरे और रैली निकाली. इस दौरान उन्होंने धर्मांतरण कर चुके लोगों को आदिवासियों के लाभ मिलने का विरोध किया. उन्होंने अपनी मांगों को लेकर सीएम के नाम ज्ञापन भी सौंपा.

Rally for delisting in Latehar
Rally for delisting in Latehar
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 31, 2024, 6:28 PM IST

Updated : Jan 31, 2024, 7:00 PM IST

डीलिस्टिंग की मांग को लेकर आदिवासियों का विरोध

लातेहार: झारखंड राज्य में डीलिस्टिंग की मांग अब तेज हो गई है. जनजातीय सुरक्षा मंच झारखंड के बैनर तले लातेहार में डीलिस्टिंग की मांग को लेकर आदिवासी समुदाय के लोगों ने रैली निकाली. दरअसल, झारखंड जनजातीय सुरक्षा मंच के बैनर तले आंदोलन कर रहे आदिवासियों की मांग है कि जिन लोगों ने आदिवासी रूढ़िवादी परंपरा को छोड़कर दूसरी परंपरा को अपना लिया है, उन लोगों को आदिवासियों को मिलने वाले लाभ से पूरी तरह वंचित किया जाए.

कार्यक्रम में अतिथि के रूप में उपस्थित मनिका के पूर्व विधायक हरि कृष्ण सिंह ने कहा कि झारखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश में आदिवासियों की अपनी एक अलग परंपरा और रूढ़िवादी व्यवस्था होती है. जिसके आधार पर आदिवासियों की पहचान की जाती है और सरकार ने इस व्यवस्था के आधार पर आदिवासियों के लिए संविधान में आरक्षण तथा अन्य सुविधाएं बहाल की है. लेकिन वर्तमान में कई लोगों ने आदिवासियों की मूल परंपरा को त्याग दिया है और अन्य परंपरा में चले गए हैं. सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों को तत्काल डीलिस्टिंग करते हुए आदिवासियों को मिलने वाले सरकारी लाभ से वंचित किया जाए.

वर्षों से चल रही है मांग: वहीं इस संबंध में जानकारी देते हुए जनजातीय सुरक्षा मंच के प्रदेश प्रवक्ता मेघा उरांव ने कहा कि डीलिस्टिंग करने की मांग वर्ष 1977 में सबसे पहले सांसद डॉक्टर कार्तिक उरांव ने उठाया था. तब से यह मुद्दा बना हुआ है. उन्होंने कहा कि आदिवासियों की एक अलग परंपरा और आचरण होती है. जो लोग आदिवासियों की परंपरा और पूजा पद्धति को छोड़ चुके हैं, उन्हें आदिवासी नहीं माना जा सकता है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आधे घंटे के अंदर विधानसभा में सरना कोड को पेश कर केंद्र सरकार के पास भेज दिया था, उसी प्रकार डीलिस्टिंग कानून को भी पास कर केंद्र सरकार के पास भेजें. इसी मांग को लेकर आज लातेहार जिला मुख्यालय में रैली और प्रदर्शन किया जा रहा है.

बड़ी संख्या में उपस्थित रहे लोग: रैली में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग उपस्थित थे. कई आदिवासी अपने पारंपरिक हथियार तीर धनुष के साथ रैली में शामिल थे. कार्यक्रम का नेतृत्व हरिकृष्ण सिंह, मेघा उरांव, अजय उरांव, संगम सिंह, राजू उरांव, प्रदीप टोप्पो, शीला देवी, लाल उरांव, रमेश उरांव, कमलेश उरांव, सुमन उरांव, रेणु देवी समेत कई अन्य लोग कर रहे थे. रैली के बाद मुख्यमंत्री के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन भी दिया गया.

यह भी पढ़ें: बंधु तिर्की ने भाजपा पर लगाए गंभीर आरोप, कहा-डीलिस्टिंग के नाम पर आदिवासियों को बांटने की है साजिश

यह भी पढ़ें: रांची में 4 फरवरी को आदिवासी एकता महारैली, बंधु तिर्की ने आरएसएस पर आदिवासी समाज को कमजोर करने की साजिश रचने का लगाया आरोप

यह भी पढ़ें: डीलिस्टिंग महारैली का जवाब देगी आदिवासी एकता महारैली, धर्म बदलने वाले को आदिवासी का दर्जा नहीं देने की मांग पर छिड़ा घमासान

डीलिस्टिंग की मांग को लेकर आदिवासियों का विरोध

लातेहार: झारखंड राज्य में डीलिस्टिंग की मांग अब तेज हो गई है. जनजातीय सुरक्षा मंच झारखंड के बैनर तले लातेहार में डीलिस्टिंग की मांग को लेकर आदिवासी समुदाय के लोगों ने रैली निकाली. दरअसल, झारखंड जनजातीय सुरक्षा मंच के बैनर तले आंदोलन कर रहे आदिवासियों की मांग है कि जिन लोगों ने आदिवासी रूढ़िवादी परंपरा को छोड़कर दूसरी परंपरा को अपना लिया है, उन लोगों को आदिवासियों को मिलने वाले लाभ से पूरी तरह वंचित किया जाए.

कार्यक्रम में अतिथि के रूप में उपस्थित मनिका के पूर्व विधायक हरि कृष्ण सिंह ने कहा कि झारखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश में आदिवासियों की अपनी एक अलग परंपरा और रूढ़िवादी व्यवस्था होती है. जिसके आधार पर आदिवासियों की पहचान की जाती है और सरकार ने इस व्यवस्था के आधार पर आदिवासियों के लिए संविधान में आरक्षण तथा अन्य सुविधाएं बहाल की है. लेकिन वर्तमान में कई लोगों ने आदिवासियों की मूल परंपरा को त्याग दिया है और अन्य परंपरा में चले गए हैं. सरकार को चाहिए कि ऐसे लोगों को तत्काल डीलिस्टिंग करते हुए आदिवासियों को मिलने वाले सरकारी लाभ से वंचित किया जाए.

वर्षों से चल रही है मांग: वहीं इस संबंध में जानकारी देते हुए जनजातीय सुरक्षा मंच के प्रदेश प्रवक्ता मेघा उरांव ने कहा कि डीलिस्टिंग करने की मांग वर्ष 1977 में सबसे पहले सांसद डॉक्टर कार्तिक उरांव ने उठाया था. तब से यह मुद्दा बना हुआ है. उन्होंने कहा कि आदिवासियों की एक अलग परंपरा और आचरण होती है. जो लोग आदिवासियों की परंपरा और पूजा पद्धति को छोड़ चुके हैं, उन्हें आदिवासी नहीं माना जा सकता है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आधे घंटे के अंदर विधानसभा में सरना कोड को पेश कर केंद्र सरकार के पास भेज दिया था, उसी प्रकार डीलिस्टिंग कानून को भी पास कर केंद्र सरकार के पास भेजें. इसी मांग को लेकर आज लातेहार जिला मुख्यालय में रैली और प्रदर्शन किया जा रहा है.

बड़ी संख्या में उपस्थित रहे लोग: रैली में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग उपस्थित थे. कई आदिवासी अपने पारंपरिक हथियार तीर धनुष के साथ रैली में शामिल थे. कार्यक्रम का नेतृत्व हरिकृष्ण सिंह, मेघा उरांव, अजय उरांव, संगम सिंह, राजू उरांव, प्रदीप टोप्पो, शीला देवी, लाल उरांव, रमेश उरांव, कमलेश उरांव, सुमन उरांव, रेणु देवी समेत कई अन्य लोग कर रहे थे. रैली के बाद मुख्यमंत्री के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन भी दिया गया.

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Last Updated : Jan 31, 2024, 7:00 PM IST
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